शिमला। वामपंथी पार्टी माकपा ने बेतहाशा बढ़ रही महंगाई के खिलाफ आज राजधानी में प्रदर्शन किया और प्रदेश व केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान वामपंथियों ने उपायुक्त कार्यालय से लेकर लोअर बाजार हुोते हुए शेरे पंजाब तक रैली निकाली । वामंपथियों ने इस दौरान मोदी सरकार की ओर से लागू की जा रही महंगाई को बढ़ाने वाली नीतियों को बदलने की मांग की गईकरते हुए पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पद कर, सेस व सरचार्ज तुरन्त घटाने, रसोई गैस में सब्सिडी प्रदान करने व गैर आयकरदाताओं के खाते में 7500 रुपये प्रति महीना जमा करने और 35 किलो राशन प्रति महीना मुफत देने की मांग की।
इस मौके पर माकपा नेता संजय चौहान और विजेंद्र मेहरा व अन्य नेताओं ने कहा कि 2014 से जबसे भाजपा की सरकार बनी है तबसे सरकार की नीतियों के चलते देश में व्यापक महंगाई, बेरोजगारी व कृषि का संकट बढ़ा । देश में महंगाई व बेरोजगारी पिछले 40 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंची है। सरकार निरन्तर रसोई गैस व पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डालने का कार्य कर रही है। आज घरेलू गैस का सिलिंडर 1052 रुपये का व व्यवसायिक गैस का सिलिंडर 2302 रुपये का मिल रहा है। पेट्रोल व डीज़ल के दामों में निरंतर बढ़ौतरी की जा रही है और आज पेट्रोल 102 रुपये प्रति लीटर से अधिक दर से बेचा जा रहा है।
इन नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 से लेकर 2021 तक 13 बार पेट्रोल व डीज़ल पर उत्पाद कर बढ़ाया व 4 बार इसे घटाया गया है। 2014 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये थी जिसे 2022 में बढ़ाकर 32.90 रुपये कर दिया तथा डीज़ल पर 2014 मे एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपये थी जिसे 2022 में बढ़ाकर 31.80 रुपये कर दिया गया है। मोदी सरकार ने गत 7 वर्षों में क़रीब 26 लाख करोड़ रुपए इससे इकट्ठे किए परन्तु इन पैसों से जनता को बढ़ती महंगाई से कोई भी राहत नही दी गई है।
दूसरी ओर मोदी सरकार ने इस दौरान लाखों करोड़ रुपए की छूट कॉरपोरेट घरानों को दी गई जिससे इनकी संपत्ति में कई गुना वृद्धि हुई है। सरकार की इन नीतियों से अमीर और अमीर और गरीब और गरीब हो रहा है। एक ओर देश में अरबपतियों की संख्या बढ़ रही है और दूसरी ओर जनता बेरोजगारी व महंगाई से उत्पन्न हुए आर्थिक संकट के कारण रोजी रोटी से वंचित हो रही है।
चौहान व मेहरा ने कहा कि सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने की नीतियों के चलते खाद्य वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है। आज सरसों का तेल 230 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है। इन वामपंथी नेताओं ने कहा कि जब तक सरकार जनविरोधी इन नीतियों को नहीं बदलेगी तब तक वामपंथी दलों का संघर्ष जारी रहेगा।
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