शिमला। कोटखाई के सेब के कारोबारी कृष्ण बरागटा व उनकी पत्नी ने पुलिस पर उनको जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने व जान से मारने की धमकी देने वालों के साथ् मिलीभगत कर गवाहों के लिए बयानों की सीडीज नष्ट करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। कोटखाई के रहने वाले कृष्ण कुमार और उनकी पत्नी प्रियंका ने कहा कि गवाहों के ब्यानों की सीडीज ही नष्ट नहीं की बल्कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले को हलकेा करता हुए आइ्रपीसी की मामूली धाराएं लगा दी।
राजधानी शिमला में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कृष्ण कुमार ने पुलिस ये सब ठियोग के बड़े राजनेता के दबाव में कर रही है। क्योंकि जिन पर आरोप है उनके राजनीतिक लोगों से क्नेक्शन है। पत्नी प्रियंका संग संवादददाता सम्मेलन में पहुंचे कृष्ण कुमार बरागटा ने एसपी के रीडर पर भी आरोपियों से मिलीभगत का आरोप लगा दिया।
यही नहीं पुलिस जांच की हर हरकत को आरोपियों तक पहुंचा देते है। बाद में मामला पुलिस ने पंचायत प्रधान को भेज दिया। उन्होंने पंचायत प्रधान की ओर से की गई जांच की रिपोर्ट को भी मीडिया को जारी किया।
प्रियंका की कोटखाई के उपरी जाति के कृष्ण बरागटा के साथ 2009 में शादी हुई थी।प्रियंका ने आरोप लगाया कि उनके पति के चेचरे भाई और उनकी पत्नी ने 2012 के बाद उन्हें तंग करना शुरू कर दिया। 3जुलाई 2014को वो अपनी पति के साथ कोटखाई बाजार से गैसगोदाम की ओर जा रही थी। उसी दिन डीएवी कॉलेज के पास उनके पति के चचेरे भाई व उनकी पत्नी ने उनकी गाड़ी रोक कर उनके साथ चल रहे पंचायत केस को वापस लेने की को कहा और बाद में गाली गलौच कर जान से मारने की धमकी दे दी।इसी बीच उसे जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल किया।इस मामले की शिकायत 5जुलाई को एसपी शिमला डी डब्ल्यू नेगी को लिखित शिकायत दी।जिस पर कोटखाई थाने में एसएचओ ने आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर दी और जांच डीएसपी ठियोग रतननेगी को सौंपी गई।
प्रियंका ने कहा कि इसके बाद खेल शुरू हो गया और पुलिस ने राजनीतिक दबाव के चलते एससी/एसटी एक्ट के तहत लगाई गई धाराएं हटा दी। इन्होंने आरोप लगाया कि जांच के दौरान न तो स्पॉट विजिट किया गया और न ही गवाहों के बयान लिए गए। उनके जिन गवाहों के कैमरे पर बयान लिए थे उन सीडीज से ये रिकार्डिंग ही मिटा दी।
इसके बाद पुलिस ने मामले को बाग डोमेर पंचायत को सौंप दिया।उन्होंने मीडिया को बाग डुमेहर के प्रधान मोहन लाल चौहान कीरिपोर्ट भी जारी की। इस रिपोर्ट में प्रधान ने कहा है किपुलिस ने सही जांच नहीं की है और पीडि़तों को इस तरह न्याय नहीं मिल सकता। उन्होंने सारे दस्तावेजों के साथ 8सितंबर 2014को मामले को प्रदेश के गृह सचिव व डीजीपी को भेज दिया। साथ हीइस मामले की जांच किसी उच्च अधिकारी से कराने का आग्रह किया।इसके बाद मामले के दोबारा एसएसपी संदीप धवल ने जांच की । उन्होंने कहा कि पहले तो धवल ने ठीक जांच की लेकिन बाद में राजनीतिक दबाव और विभाग के अफसरों को बचाने के लिए जांच का पासा ही पलट दिया और मामला दोबारा पंचायत को भेज दिया। लेकिन पंचायत के पास मामले की सुनने की पावर ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि मामले की सही जांचकरा कर अदालत में चालान पेश किया जाए। ये अदालत का मामला है न कि पंचायत का।कृष्ण कुमार ने कहा कि वो रसूखदारों को भी समय आने पर भंडा फोड़ेंगे।
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