शिमला। कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी खराब हालात से आहत प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व श्री नैना देवी हलके से कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर ने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी में हलचल मचा दी हैं। राम लाल ठाकुर ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का जो चिंतन शिविर हुआ था उसमें तय हुआ था के जो नेता 15 -15,20-20 साल से पार्टी के अहम पदों पर हैं उन्हेंं अपने पदों से इस्तीफा देकर नए लोगों को मौका देना चाहिए। उन्होंंने कहा कि बाकी प्रदेशों की तो उन्हें जानकारी नहीं है लेकिन प्रदेश में इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ।
ठाकुर ने कहा कि वह पूर्व मुख्य्मंत्री वीरभद्र सिंह जब बहुत अरसा पहले पार्टी के अध्यक्ष थे तो भी वह पार्टी के उपाध्यक्ष रहे। इसके बाद सत महाजन, विप्लव ठाकुर, कौल सिंह व बाकी जितने भी पार्टी अध्य क्ष बने उनके सबसे कार्यकाल में वह कभी उपाध्यक्ष तो कभी महासचिव के पद पर तैनात रहे। अब प्रतिभा सिंह पार्टी अध्यक्ष है तो वह अब भी उपाध्यक्ष हैं।
उन्हों ने कहा कि उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति व सोनियां गांधी ने चुनावों के लिए चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया है तो उपाध्यक्ष के पद पर रहकर क्यों अपना समय बर्बाद करेंगे वह चुनाव प्रबंधन समिति का काम देंखेंगे। वह जल्द् की प्रदेश के दौरे पर निकल रहे हैं।आचार संहिता लगने तक वह प्रदेश के दौरे पर रहेंगे और पार्टी को सता में लाने के लिए काम करेंगे।
लेकिन समझा जा रहा है कि उनका इस्तीफा देने के पीछे असली कारण यह नहीं हैं। कांग्रेस से जुडे सूत्र बताते है कि राम लाल ठाकुर इसलिए आहत है कि पार्टी में हर कोई दिल्ली से अपने आप को पदाधिकारी नियुक्ति करवा के आ जाता हैं। स्मागलर और नशे के धंधे में लगे लोग पार्टी के पदाधिकारी बन गए है। मंडी शराब कांड में फंसा हमीरपुर का एक नेता तो इसकी मिसाल है ही। यह सिलसिला अभी तक नहीं रुका हैं।
जब पार्टी के लोग पार्टी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह से इस बावत पूछते है तो वह कहती है कि उन्हें नहीं पता दिल्ली से नियुक्ति हुई है और जब प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला से पूछा जाता है तो वह कहते है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से पूछो ।
सूत्र बताते है कि राम लाल ठाकुर पार्टी की इस तरह की अंदरूनी हालात से आहत थे। प्रदेश कांग्रेस की पौने तीन सौ के करीब पदाधिकारियों की समिति बन गई हैं। बिलासपुर में भी कई ऐसे पदाधिकारी बन गए है जो नशे के धंधे से जुडे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री के ही कई -कई दावेदार बन गए हैं। जबकि अभी जीत कर कोई आया ही नहीं है। मुख्यमंत्री तो कोई तब बनेगा जब कोई जीत कर आएगा। सूत्रों का कहना है कि पूर्व में आलाकमान ने सुखराम को मुख्यमंत्री बनाकर प्रदेश में भेज दिया था लेकिन कांग्रेस विधायकों ने आलाकमान की नहीं मानी और वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया ।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि राम ठाकुर का मानना है कि ऐसे में चुनाव में जाना आसन काम नहीं हैं। इसलिए उन्होंने आहत होकर उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर पार्टी को संदेश दे दिया है अभी सुधरने का मौका हैं।
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