शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के मनी लांड्रिंग मामले में पिछले डेढ सालं से तिहाड़ जेल में बंद उनके एलाआईसी एजेंट आनंद चौहान की जमानत याचिका पर 23 दिसंबर को फैसला आएगा। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रखा ।
सेशन जज संतोष नेहीमान की अदालत में आज प्रवर्तन निदेशालय व आनंद चौहान की ओर से वकीलों ने दलीलें दी। प्रर्वतन निदेशालय ने कहा कि मनी लांड्रिंग का ये बेहद गंभीर मामला हैं व आनंद चौहान वीरभद्र सिंह के साथ मिलकर मनी लांड्रिग करने में शामिल रहा हैं। ऐसे में जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
दूसरी ओर आनंद चौहान की ओर से पैरवी कर रही वकील रेबेका जॉन और तरन्नुम शीमा ने दलीलें दी कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत आनंद चौहान को जमानत नहीं दी जा रही हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया हैं। इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय पिछले छह महीने से दलीलें दे रहा हैं वह जल्द ही इस मामले में पूरक चालान पेश कर देगा । लेकिन निदेशालय ऐसा नहीं कर पा रहा हैं। जबकि जांच पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा आनंद चौहान पिछल्ले डेढ साल से इस मामले में जेल में बंद हैं जो न्याय के खिलाफ हैं।
इस पर सेशन जज संतोष नेहीमान ने अपने फैसला सुरक्षित रख लिया। आनंद चौहान की ओर से पैरवी कर रही उनकी वकील तरन्नुम शीमा ने कहा कि फैसला 23 दिसंबर को आ जाएगा।
गौरतलब हो कि सीबीआई की ओर से आय से अधिक मामले में 2015 में मुख्यमत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही इडी ने मनी लांड्रिंग का मुकदमा भी दर्ज कर दिया था।
इस मामले में इडी ने वीरभद्र सिंह, उनके परिवार के सदस्यों व बाकियों को गिरफतार नहीं किया था। केवल उनके एलआईसी एजेंट आनंद चौहान को गिरफतार किया था। आनंद चौहान ने वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों की पांच करोड़ की एलआईसी कराई थी। जांच होने पर आयकर विभाग को उन्होंने बताया था कि ये पैसे वीरभद्र सिंह के हैं। जांच के दौरान वीरभद्र सिंह व वकामुला चंद्रशेखर के बीच लेनदेन का पता भी चला था। इडी ने इस मामले में चालान दायर कर दिया हैं। लेकिन वकामूला चंद्रशेखर के साथ हुए लेनदेन में उसे पूरक चालान पेश करना हैं,जो अभी तक नहीं हुआ हैं। इडी ने दिल्ली में वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों की करोड़ों की संपति को भी अटैच कर रखा हैं।
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