शिमला। लोकसभा की चारों सीटें हार जाने और छह में से विधनसभा की दो सीटें हार जाने के बावजूद भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस समर्थकों की ओर से उठाए जा रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर मौन साधने की हठ नहीं छोड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज प्रदेश विवि में पुराने छात्रों के समारोह में गए थे। विवि में कांग्रेस के अग्रणी छात्र संगठन एनएसयूआइ ने उन्हें एक ज्ञापन देकर पूर्व कुलपति व अब भाजपा से राज्यसभा सांसद सिंकदर कुमार के कार्यकाल में हुए भर्ती घोटाले की जांच कराने की मांग की । लेकिन एनएसयूआइ को मुख्यमंत्री सुक्खू का इस मामले में कोई साथ नहीं मिला। याद रहे सुक्खू कभी एनएसयूआइ के अध्यक्ष हुआ करते थे।
सुक्खू ने न तो इस समारोह में और न ही मीडिया से बातचीत में इस भर्ती घोटाले को लेकर मुंह खोला। इस मसले पर वह बिलकुल चुप रहे। इस मसले पर सुक्खू व उनकी सरकार पिछले डेढ साल से चुप हैं। उनकी चुप्पी से एनएसयूआइ जैसे छात्र संगठनों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को फजीहत झेलनी पड़ती हैं। डेढ साल से पार्टी व संगठन में बहुत स्तर पर इस तरह की फजीहत झेली भी जा रही हैं। कांग्रेस ने सत्ता से आने से पहले भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने की बात की थी। सत्ता में आने के बाद अब खुद ही कटघरे में हैं।
यही नहीं विवि में कांग्रेस समर्थक शिक्षक कर्मचारी व एनएसयूआइ स्थाई कुलपति की तैनाती की मांग कर रहे हैं। एनएसयूआइ ने ये मांग आज भी की। लेकिन सुक्खू सबके सामने कांग्रेस समर्थक इस तबके पर बिजलियां गिरा गए और मौजूद एसपी बंसल की तारीफ कर चलते बने। प्रोफेसर बंसल को पूर्व भाजपा सरकार में हिमाचल विवि का कार्यभार दिया गया था। विवि में कांग्रेसियों को उम्मीद थी कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद पार्टी समर्थक को कुलपति बनाया जाएगा। (इस तरह की रीत एक अरसे से प्रदेश में चली हुई हैं)
सुक्खू का शासन चलाने का अंदाज गजब है। इसी गजब अंदाज के चलते कांग्रेस प्रदेश विधानसभा में बहुमत होने के बावजूद राज्यसभा की सीट हार गई। यही नहीं छह विधायकों ने क्रास वोटिंग करने के बाद सरकार तक गिरा दी थी लेकिन वो बाल-बाल बच गई।
तीन आजाद विधायकों समेत ये छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए और इनमें से दो भाजपा के टिकट पर जीत कर दोबारा विधानसभा में भी पहुंच गए हैं। जबकि सुक्खू के इसी तरह के शासकीय करतबों की वजह से कांग्रेस चारों लोकसभा सीटों को अपनी सरकार के होते हुए हार गई हैं। शिमला शहर में आरडीएक्स होने का दावा प्रदेश का पूर्व पुलिस प्रमुख करके चला गया व उसकी सच्चाई अब तक सामने नहीं आई हैं।हमीरपुर कर्मचारीीचयन आयोग के अध्यक्ष्ज्ञ व सदस्य कौन है किसीको पता नहीं हैं जबकि दावा किया जा रहा है कि भर्तियां शुरू कर दी गई हैं। आयोग का ही गठन नहीं हुआ हैं।
क्रास वोटिंग करने वाले विधायकों पर सुक्खू पंद्रह-पंद्रह करोड़ में बिके होने का इल्जाम लगाते फिरे लेकिन अब तक कोई सबूत व रिकवरी जनता को नहीं बता पाए।
अब तीन उप चुनाव और हैं व दस जुलाई को मतदान होना है लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू व उनकी जुंडली कहीं और ही जुटी हुई हैं। नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और अभी टिकट किसे देना है ये तय नहीं हुआ हैं।बहरहाल अब इन तीन सीटों पर क्या गत होगी आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन कहा जा रहा है कि जब कोई मुख्यमंत्री अपनी पार्टी व पार्टी समर्थकों की मांगों की ओर ही कान नहीं धरता तो ऐसी सरकारों को कौन बचा सकता हैं।
वैसे भी सुक्खु की कुर्सी से अभी संकट टला नहीं हैं।
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