शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार चंबा में 36 मेगावाट के लगने वाले चांजू -1 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का मुकदमा भी हार गई हैं और आर्बिट्रेटर ने सरकार को इस प्रोजेक्ट को लगाने वाली कंपनी को 34 करोड़48 लाख 77 हजार 286 रुपए छह फीसद ब्याज समेत लौटाने का आदेश सुनाया हैं।सरकार को इस रकम को चार महीने में अदा करने का समय दिया गया हैं।
इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोजेफ आर्बिट्रेटर थे। उन्होंने अपने फैसले या अवार्ड में कहा गया है कि इस परियोजना के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों की ओर से किए गए विरोध के चलते इसका निर्माण रोकना पड़ा व इससे परियोजना में हुई देरी और वितीय नुकसान की एवज में उसे उक्त रकम बतौर मुआवजा दी जानी चाहिए।
याद रहे इस परियोजना के निर्माण को लेकर स्थानीय लोग जमीन देने का विरोध कर रहे थे । इसके अलावा परियोजना में नौकरी आदि को लेकर भी आंदोलन हुए थे।
इस प्रोजेक्ट का निर्माण आई ए हाइड्रो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से किया जा रहा था।
अगर सरकार को अब तक हारे तमाम मुकदमों में अपफ्रंट मनी व मुआवजे की ब्याज समेत ये रकम लौटानी पडें तो यह दस अरब रुपयों से ज्यादा आंकड़ा छू चुकी हैं।
सरकार इससे पहले अदाणी पावर 280 करोड़ रुपए की अप फ्रंट मनी का मुकदमा हार गई हैं। इसके अलावा डुग्गर परियोजना, सैली परियोजना, ऊहल परियोजना समेत कई परियोजनाओं के मुकदमें हार चुकी हैं और हारने का यह सिलसिला लगातार जारी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर प्रदेश की सरकारों ने ऐसा क्या किया होगा कि वो लगातार इन मुकदमों को हार रही हैं। बीच में कहीं कोई पेंच तो नहीं हैं इस पर खोजबीन जरूरी हैं।
दिलचस्प यह है कि निजी कंपनियों बेशक परियोजनाओं को लगाने में देरी कर दे उससे सरकार को होने वाले नुकसान का लेखा-जोखा न तो सरकार रखती है और ही कंपनियां सरकार को कोई मुआवजा देती हैं। ऐसे में कहीं तो कोई झोल तो जरूर हैं।
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