शिमला। भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई व ईडी की विभिन्न टीमों ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला स्थित आवास हॉली लॉज, रामपुर के महल व दिल्ली में उनके आवास समेत 11ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर दी।प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक छापेमारी में रामपुर में कुछ कैश व सोना मिला है।छापेमारी अभी भी जारी है। उधर,सीबीआई की छापेमारी के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडरा गया है।
सीबीआई व ईडी की टीमों ने आधुनिक उपकरणों के साथ हाली लॉज का चप्पा -चप्पा छान मारा। यहां तक कि घर की दीवारों की उपकरणों से स्कैनिंग की गई ताकि ये पता लगाया जा सके कि कहीं दीवारों में तो कहीं कुछ छिपा नहीं रखा है।सीबीआई ने आते हीवीरभद्र सिंह के साइन लिए और घर केसभी लोगों को बाहर कर दिया। इसकेे बाद छानबीन शुरू कर दी। सीबीआई के साथ शिमला में ईडी के सहायक निदेशक भूपेंद्र सिंह भी टीम में शामिल है। ये भूपेंद्र सिंह वही अफसर है जो वीरभद्र सिंह के प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया केआय सेअधिक संपति मामले की जांच कर रहे हैं। वो इन दिनों मोदी सरकार के वित मंत्रालय के प्रर्वतन निदेशालय में डेपुटेशन पर है। वीरभद्र सिंह सरकार ने उन्का डेपुटेशन समाप्त करने के लिए मोदी सरकार को लिखा था। वो वीरभद्र सिंह से जुड़े विभिन्न् मामलों की जांच कर रहे थे।
बताते है कि प्रदेश आपदा प्रबंधन के उपाध्यक्ष व हमीरपुर के पूर्व भाजपा नेता व धूमल के करीबी राजेंद्र राणा के नाम से इडी को जो शिकायत गई थी उससे ईडी व सीबीआई के हाथ में कई कुछ लगा है। बाद में राणा ने ये शपथपत्र दिया था कि ये शिकायत उसने नहीं की है।सीबीआई व ईडी इन सब मामलों की छज्ञनबीन करने के लिए आज छापेमारी पर उतर गई।
राजधानी शिमला के हॉलीलाज में आज सुबह तड़के सीबीआई व ईडी की टीमें सायरन बजाती कारों में दनदनाती आ पहुंची और सीएम वीरभद्र सिंह को छापेमारी होने वाली है इसकी भनक तक नहीं लगी। इस समय हॉलीलॉज में वीरभद्र सिंह के अलावा उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह ,उनका बेटा विक्रमादित्य सिंह व उनकी बेटी अपराजिता सिंह मौजूद है। सीबीआई वीबीएस रिश्वत कांड और आय से अधिक संपति के मामले की जांच कर रही थी। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के तत्कालीन मनमोहन सरकार में स्टील मंत्री रहते उनके काल का कोई 70 हजार करोड़ का घोटाला निकाल रखा है। जिसमें बताते है कि प्रदेश के 22 लोग शामिल है।हालांकि अभी इसकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है।
वीरभद्र सिंह के खिलाफ वीबीएस रिश्वत कांड और आय से अधिक संपति मामले में दिल्ली 19 जून को सीबीआई ने दिल्ली में प्रारंभिक इंक्वारी दर्ज की थी। लेकिन तब से लेकर अब तक सीबीअाई एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी। सूत्रों के मुताबिक इससे पहले सीबीआई ने आनंद चौहान,वीरभद्र सिंह, उनके बेटे विक्रमादित्य व बेटी अपराजिता सिंह से पूछताछ की थी।लेकिन आज सुबह सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के ठिकानों पर छापेमारी कर दी।
छापेमारी में क्या क्या मिला है इसका खुलासा सीबीआई की ओर से नहीं किया जा रहा है। सीबीआई ने मीडिया से दूरी बनाई हुई है।सीबीआई की छापेमारी की भनक मिलने के बाद सबसे पहले वीरभद्र सिंह समर्थक व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट,कुलदीप सिंह पठानिया,पर्यटन निगम के वाइस प्रेसिडेंट हरीश जनारथा हॉलीलाज पहंचे।इसके बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ सबसे आगे वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स हॉलीलाज पहुंचे।इसके बाद वीरभद्र सिंह की बेटी अपराजिता सिंह हॉलीलॉज पहुंची। जब सुबह सीबीआई की टीम हॉलीलॉज पहुंची तो वीरभद्र सिंह भी संकट मोचन को चले गए थे। बाद में सुधीर शर्मा व बाकी मंत्री हॉलीलाज आना शुरू हो गए थे।पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके बेटों भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और छोटे बेटे अरुण ठाकुर ने वीरभद्रसिंह परिवार के ढेरों घपलों को सार्वजनिक किया था।
उधर,राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी वीरभद्र सिंह की पक्ष में उतर गई है। पार्टी के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट,इंकमटैक्स में लंबित था। बावजूद इसके येछापेमारी की । उन्होंने कहा कि से लोकतंत्र पर हमला है। देश में आपातकाल लग गया है।उधर, प्रदेश भाजपा ने वीरभद्र सिंह से मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा मांगा है! भाजपा विधायक दल के चीफ व्हीप सुरेश भारदवाज ने यहां जारी बयान में कहा कि पूरा भाजपा विधायक दल मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से तुरंत इस्तीफे की मांग करता है।
सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर को लेकर जारी की ये प्रेस रिलीज-:
The Central Bureau of Investigation has registered a case against then Union Minister; his wife; two private persons and unknown others on 23.09.2015 on the allegations of possession of Disproportionate Assets. This FIR was the outcome of a preliminary enquiry which revealed that then Union Minister while serving during 2009-2012 had allegedly accumulated assets worth Rs 6.03 crore (approx) in his name and in the name of his family members which were found to be disproportionate to his known sources of income. The other FIR named persons had allegedly abetted then Union Minister in committing the offence.
It was further alleged that then Union Minister for Steel & MSME had invested his unaccounted income in LIC policies in his name and in the name of his wife & other family members through a private person by showing the same as agricultural income. This was done by creation of a MoU purportedly dated 15.06.2008 for maintenance of an apple orchard, with the said private person for a period of three years. The private person had allegedly deposited Rs.5 crore cash (approx) in his own bank account and debited the same through cheques for purchasing various LIC policies in their names. Later, then Union Minister allegedly attempted to legitimize the same as agricultural income by filing revised ITRs in 2012. The agricultural income as claimed by him in his revised ITRs was not found to be tenable. The then Union Minister had allegedly accumulated other assets disproportionate to known sources of income.
Searches have been conducted today at 13 different locations in Shimla & Solan(Himachal Pradesh) and New Delhi. During searches, incriminating documents, property papers, investments, hard disks, pen drives etc have been recovered.
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