शिमला। सीबीआई ने हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ,उनकी पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य के आय से अधिक मामले में आज प्रारंभिक इंक्वारी दर्ज कर दी है। हालांकि अभी मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। सीबीआई के आला अधिकारी ने सीबीआई मुख्यालय से रिपोर्टर्स आई डॉट कॉम से फोन पर बातचीत में इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि ये प्रारंभिक जांच वीरभद्र सिंह के स्टील मंत्री रहते 2009 से 2011 के बीच कमाए गए 6.1 करोड़ रुपए को लेकर है। ये अनक्लेमड मनी व अनएक्सप्लेंड मनी का मामला लग रहा था। आनंद चौहान नामक व्यक्ति ने वीरभद्र सिंह के नाम पांच करोड़ की एलआईसी पॉलिसी ली थी। लेकिन इस पैसे की कोई एक्सप्लेनेशन नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच के दौरान छापेमारी नहीं की जाती। ये जांचा जाएगा कि मामला बनता है या नहीं। प्रारंभिक जांच को पूरा करने की कोई समय अवधि निर्धारित नहीं की गई है। उधर मुख्यमंत्री ने इस सारे खेल को राजनीतिक बदला और पूर्व मुख्यमंत्री धूमल का खेल करार दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का ये धूमल के कहने पर ये सब कर रही है। लेकिन वो पाक साफ हो कर निकल कर आएंगेा
इस आला अफसर ने कहा कि ये प्रारंभिक जांच दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मामलों में पहले से शुरू प्रारंभिक जांच से अलग है। उन्होंने कहा कि ये हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई का ऑफशूट है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस प्रारंभिक जांच में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनके परिवार के सदस्यों व आनंद चौहान में नाम शामिल कर लिए गए है। आनंद चौहान ने वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों के नाम पांच करोड़ रुपए की एलआईसी कराई थी। ये पैसा कहां से आया था इस पर सवाल उठे थे।पीई में वीरभद्र सिंह, आनंद चौहान,उनकी पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह,उनके बेटे व प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य व बेटी अपराजित सिंह की आय को जांच के घेरे में लाया गया है। संभवत: इनसे पूछताछ हो सकती है।हालांकि सीबीआई सूत्रों ने इस बात की पुष्टि नहीं की । न इंकार किया न हां ही बोला।
अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक दिल्ली स्तर पर आयकर विभाग प्रशांत भूषण के मामले में चल रही आयकर विभाग की जांच को क्लोज करने जा रही थी। लेकिन बताते है कि आयकर विभाग के चंडीगढ़ कार्यालय का एक आला अफसर अड़ गया और उसने दिल्ली हाईकोर्ट में मोदी सरकार के अतिरिक्त सॉलिस्टिर जनरल संजय जैन की दी मौखिक स्टेटमेंट का हवाला देकर इस मामले को बंद करने से इंकार कर दिया।संजय जैन ने दिल्ली हाईकोर्ट में प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौीरान 1 सितंबर 2014 को कहा था कि उन्होंने इस मामले के दस्तावेज देखें है, इस मामले में एफआईआर बनती है। लेकिन उस स्टेटमेंट के बाद वो चुप हो गए। बताते है कि बीच में कई कुछ हुआ और मोदी सरकार के एक करीबी मंत्री के करीबी अफसर ने अपनी भूमिका निभाई।
इससे पहले वीरभद्र सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने वीबीएस रिश्वत कांड और वीरभद्र सिंह के खुद के व परिवार के सदस्यों की आय से अधिक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इस याचिका पर सीबीआई और आयकर विभाग ने पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट में अपने अपनी रिपोर्टं पेश कर रखी है। लेकिन ये सब सीलबंद लिफाफे में है। बाहर कुछ नहीं आया है। अब सीबीआई ने आज से अलग से एक प्रारंभिक जांच शुरू की है। इस तरह मोदी सरकार वीरभद्र सिंह के खिलाफ मामला अदालत से बाहर ले आई है। हालांकि सीधे एफआईआर न कर सीबीआई खुद सवालों के घेरे में है। क्योंकि इस मामले में पहले ही अदालत के आदेशों पर प्रारंभिक जांच हो चुकी है।
उधर, इस जांच के नए सिरे ये शुरू होने केे बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है।वीरभद्र सिंह के समर्थक मंत्री विधायक व विभिन्न बोर्डों व निगमों के उपाध्यक्षों के बीच सलाह मशविरा शुरू हो गया है। इसके अलावा वीरभद्र सिंह के करीबी अफसरों में भी हलचल मच गई है। भाजपा ने वीरभद्र सिंह के इस्तीफे की मांग कर दी है। भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती ने बयान जारी कर कहा कि वीरभद्र सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए।
CBI की Prelim.इंक्वारी, वीरभद्र पर फंदा या समझौते की Call
सीबीआई की ओर से सीधे तौर पर एफआईआर दर्ज न कर कई सवाल खड़े हो गए है। वीरभद्र सिंह सरकार की विजीलेंस ने भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटों भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और उनके छोटे बेटे अरुण धूमल के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज कर रखे है। ऐसे में धूमल व उनके बेटों ने मोदी सरकार के वित मंत्री अरुण जेटली पर लगातार दबाव बनाए रखा है। सता के गलियारों में तो ये भी चर्चा है कि बीते दिनों वीरभद्र सिंह ने अरुण जेटली से मुलाकात की। बताते है कि जेटली ने वीरभद्र सिंह से कहा कि वो धूमल को साथ लेकर आए। उधर,इस मसले पर धूमल ने अपने एक करीबी से कहा कि वो दिल्ली क्यों जाएंगे। बताते है कि धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल ने भी इस मामले को यहां तक पहुंचाने में भूमिका निभाई है। वो विदेश में बैठकर कर कई कुछ करते रहे हैं। बताते है कि वीरभद्र सिंह के अफसरों के पास उनके खिलाफ कई कुछ है।ऐसे में ये क्यास लगाए जा रहे है कि सीबीआई की ये जांच कहीं दोनों के बीच समझौते की कॉल तो नहीं है।अगर जल्द एफआईआर नहीं हुई तो इस बात को बल मिलेगा।
उधर, वीरभद्र सिंह ने इस मामले पर कहा कि उन्हेंव उनके परिवार को राजनीतिक बदले की भावना से टारगेट किया जा रहा है।उन्होंने कहा उन्होंने अपनी आयकर की डिटेल संबंधित अफसरोंको पहले ही सौंप दी है व आयकर अफसरों की ओर से कई स्तरों पर इसकी जांचकी जा चुकी है।एक जनहित याचिका भी दिल्ली हाईकोर्ट में दायर है जहां पर सीबीआई और आयकर विभाग ने विस्तृत जवाब दायर कर रखे है।ऐसे में अदालत में लंबित केस के दौरान सीबीआई की ओर से की जा रही जल्द बाजी से साफ है कि ये राजनीतिक दबाव में किया गया है। उन्होंने कहा कि ये सब उनकी छवि खराब करने को किया गया है।उनके व उनके परिवार के सदस्यों केखिलाफ बनाए गए मामले अदालत में खड़े नहीं रह पाएंगे और वो पाक साफ होकर बाहर आएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति की सहायता करने से भाजपा नेताओं की भूमिका का पर्दाफाश हो गया है जिसके विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय ने ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया है। इस मामले में एनडीए सरकार और भाजपा रक्षात्मक मुद्रा में आ गई है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मामले दर्ज करने के लिए एनडीए सरकार जांच एजेंसियों पर दबाव बना रही है कि ताकि लोगों का ध्यान बांटा जा सके।
दिलचस्प है कि जब वीरभद्र सरकार ने धूमल व उनके बेटों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे तो भाजपा में धूमल समर्थक नेताओं व धूमल समेत उनके दोनों बेटों ने भीयही कहा था कि वीरभद्र सिंह राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रहे है।
अब इन दो परिवारों की लड़ाई दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है।
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