तपोवन/धर्मशाला।तारादेवी में 477 पेड़ों के कटान पर वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के जवाब से असंतुष्ट भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सदनसे वाकआउट किया।भाजपा विधायकों सुरेश भारद्वाज और रविंद्र सिंह रवि ने सदन में कहा कि सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से इतना बड़ा कांड हो ही नहीं सकता। भाजपा विधायकों ने भरमौरी के इस्तीफे या मुख्यमंत्री से उन्हें केबिनेट से हटाने की मांग की।
उधर,सदन में इस मसले पर बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक आशाकुमारी ने कहा कि प्रदेश में वन माफिया सक्रिय हो गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को याद दिलाया कि उन्हें तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रदेश में तब सक्रिय वन माफिया का सफाया करने के लिए ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन अब जब वो छठी बार सीएम बने है तो उन्हीं के कार्याकाल में वन माफिया दोबारा कैसे पनप सकता है।बहस में भाजपा विधायक रणधीर शर्मा,कांग्रेस विधायक नंदलाल,बंबर ठाकुर,आशाकुमारी हिलोपा विधायक महेश्वर सिंह समेत कई विधायकों ने भाग लिया। लेकिन भरमौरी के जवाब से भाजपा सदस्य संतुष्ट नहीं हुए और सदन से वाकआउट कर दिया।
उधर,मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला के समीप तारादेवी में बडे़ पैमाने पर पेड़ों के कटान में संलिप्त दोषियों के विरूद्व कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री आज धर्मशाला के तपोवन विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
अवैद्य कटान में संलिप्त दोषियों को पकड़ने के लिये उठाए गये कदमों पर पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा सरकार ने इस जघन्य अपराध को गम्भीरतापूर्वक लेते हुए वन रक्षक, डिप्टी रेंजर, रेंजर तथा वन मण्डलाधिकारी को निलम्बित किया ह वीरभद्र सिंह ने कहा कि तारादेवी के अलावा शिमला स्थित ‘मच्छी वाली कोठी’ के समीप भी पेड़ काटने का मामला प्रकाश में आया है, जिसकी छानबीन की जा रही है और अपराधी शीघ्र ही गिरफ्त में होंगे।
मुख्यमंत्री को ‘पर्यावरण का सरंक्षक’ कहने पर एक प्रश्न के उत्तर में वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में सक्रिय हो रहे वन माफिया के खिलाफ अभियान छेड़ने के लिये उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गान्धी ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाकर भेजा था। तब से लेकर आज तक उन्होंने अपना जीवन पर्यावरण के संरक्षण के लिये समर्पित किया है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह किसी भी व्यक्ति को, चाहे उनका अपना बेटा ही क्यों न हो, प्रदेश की वन सम्पदा और वन्य प्राणियों को नष्ट नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा कि वनों के संवर्द्धन के अलावा वन्य प्राणियों और जानवरों का संरक्षण भी हम सब की नैतिक जिम्मेवारी है।
पेड़ों के कटान के मामले में चन्द लोगों की संलिप्तता होने के प्रश्न में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक चिडि़या के चहचाने से ग्रीष्म ऋतु नहीं आ जाती’, अर्थात हमें अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि किसी कम्पनी का सलाहकार जिसने भूमि के मालिक के साथ अनुबन्ध किया है, की जमानत रद्द हो गई है, और उसे जल्द ही गिरफतार कर लिया जाएगा।
अवैद्य कटान पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इतने कठोर वन नियम बनाए हैं, कि कोई भी व्यक्ति, यहां तक कि अपनी निजी भूमि पर किसी पेड़ की एक टहनी तक नहीं काट सकता। उन्होंने कहा कि सरकार सभी पहलुओं पर गौर कर रही है और अवैध कटान के दोषियों पर नकेल कसने पर उन्हें सबसे अधिक खुशी और संतोष होगा।
इस मामले में उनका अगला कदम क्या होगा, इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैद्य कटान की जांच चल रही है, और यदि वह दोषियों को नहीं पकड़ पाए तो यह उनके जीवन की बडी़ असफलता होगी।
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