शिमला।प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू को पद से हटाने के आदेश पर प्रदेश की जयराम और बिंदल की बीजेपी बुरी तरह से फंसी हुई हैं। इस मसले पर पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा राजीव बिंदल का मौन टूटे नहीं टूट रहा हैं। पता नहीं भाजपा के आलकमान को यह मौन खल नहीं रहा होगा।
इससे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को जरूर राहत मिल रही हैं। कम से कम नेता प्रतिपक्ष और विपक्षी पार्टी का अध्यक्ष मौन धारण किए हुए हैं। याद रहे उड़ीसा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद के घरों से अरबों रुपयों की नगदी मिलने पर बिंदल समेत प्रदेश की पूरी भाजपा कांग्रेस को आड़ों हाथों लेने से बाज नहीं आई थी।
लेकिन अब डीजीपी को सुक्खू सरकार के ही शिमला एसपी ने अपनी स्टेटस रपट में कटघरे में खड़ा कर रखा है और उस रपट के आधार पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने कुंडू को हटाने के आदेश तक दे रखे है। इसके बाद सुक्खू सरकार पर तीखी टिप्पणी भी कर रखी है सरकार ने आंखें मूंदें हुई हैं।
इतना कुछ होने के बावजूद जयराम व बिंदल खामोश दुबके हुए हैं। विपक्ष की आवाज पूरी तरह से गायब हैं। प्रदेश में डीजीपी के पद से हटाने के आदेश प्रदेश के इतिहास में अदालत की ओर से पहली बार आए हैं। ऐसा नहीं है कि नेता प्रतिपक्ष और भाजपा अध्यक्ष को इस आदेश के मायने मालूम न हो ।
यह समझ में आता है कि कुंडू भाजपा नेताओं खासकर जयराम के करीबी अफसरों में शुमार रहें हैं। 2015 के बाद यह दूसरी बार है जब आक्रामक भाजपा को असाधारण तौर पर मौन साधना पड़ रहा हो।
इससे पहले 2015 में जब तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने 980 मेगावाट का जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट अंबाणी समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 2006 की दरों पर ही आवंटित किया था व रिलायंस से मिलने वाले अप फ्रंट मनी को अदाणी पावर को अदा करने का फैसला लिया था तब भी भाजपा ने लंबे समय तक मौन साधा था। उस समय करीब पंद्रह दिनों बाद त्तकालीन भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती का मरियल जैसा बयान आया था।
उसके बाद यह दूसरा मौका है जब भाजपा मौन मुद्रा में आई हो। हालांकि भाजपा के दूसरे कनिष्ठ नेता बाइट उगाही में बेशक कुछ बोल रहे हों लेकिन नेता प्रतिपक्ष और विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष खामोश रहे ये कई कुछ ब्यां करता हैं।
निशांत शर्मा मामले में चल रही जांच को लेकर कुंडू के डीजीपी रहते क्या निष्पक्ष जांच हो पाएगी को लेकर जिस तरह की टिप्पणियां अदालत ने की हैं उसे लेकर जयराम व बिंदल को पार्टी का पक्ष तो साफ करना ही पड़ेगा अभी हाल ही में उप राष्ट्रपति की मिमिक्री के मामले में जयराम व बिंदल की बीजेपी ने प्रदेश भर में खूब नारे लगाए थे।ये तो पीडि़त कारोबारी और उसके परिवार पर हमले व जांच सही तरीके से न होने का संगीन मामला हैं।
कहा जा रहा है कि इस कारोबारी का पूर्व संबंध रहा भी अखिल भारतीय विदयार्थी परिषद से हैं। इसके बावजूद ये मौन हैरान करने वाला हैं। जाहिर है अंदरूनी तौर पर कई कुछ है जो समय के साथ बाहर आ ही जाएगा। उधर सुक्खू सरकार तो कटघरे में खड़ी है ही ।जो भी हो प्रदेश की जनता तो सब कुछ देख समझ रही ही हैं।
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