शिमला।हिमाचल प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ बुजुर्ग नेता व पूर्व शिक्षा मंत्री ईश्वरदास धीमान का आज मंगलवार सुबह पांच बजे के करीब निधन हो गया।वह भोरंज विधानसभा हलके से भाजपा के विधायक थे।दिसंबर 2012 में हमीरपुर जिला से पांच सीटों में से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुुमार धूमल,विजय अग्निहोत्री व वो ही भाजपा के टिकट पर जीते थे। एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी तो एक पर निर्दलीय जीता था।
उनके करीबी व भोरंज मंडल के भाजपा अध्यक्ष जयमाल ठाकुर ने कहा कि उनके निधन से सभी हैरान थे। वो बिलकुल ठीक थे। रात करीब अढाई बजे तक वो घर के लोगों केसाथ बातचीत करते रहे। अढाई बजे के करीब उन्होंने परिवार के लोगों से कहा कि उन्हें नींद आ रही है व वह सोना चाहते है। उन्होंने परिवार के सदस्यों को भी सोने के लिए कहा। लेकिन सुबह जब चार बजे परिवार के सदस्य उठे तो उन्होंने देखा कि धीमान जी हिल डुल नहीं रहे हैं। उनका नींद में ही निधन हो गया था। उन्हें नींद कम आती थी।
परिवार के करीबियों के मुताबिक उनके घुटनों में दर्द था व र्स्वाइकल की समस्या भी थी।वो फिजियोथैरेपी करवा रहे थेे । बाकी कोई समस्या नहीं थी। उनके बेटे अनिल धीमान स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर है। वो घर पर ही थे व उन्होंने खुद उनका मुयाअना किया था। सब कुछ ठीक था।
अपनी सादगी व ईमानदारी के लिए भाजपा के अलावा पूरे राजनीतिक दायरे में मशहूर धीमान ने 8 जुलाई 1989 को भाजपा को ज्वाइन किया था।17 नवबंर 1934 को जन्में धीमान ने पंजाब विवि,चंडीगढ़ व हिमाचल प्रदेश विवि से शिक्षा हासिल की व लंबे समय तक शिक्षा विभाग में शिक्षक रहे।
82 वर्षीय धीमान लगातार छठी बार बीजेपी के टिकट पर दिसंबर 2012 में हिमाचल विधनसभा के लिए चुने गए थे। इससे पहले दिसंबर2007 से दिसंबर 2012 तक वो धूमल सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। यही वो समय था जब 2003 से 2007 तक सता में रही वीरभद्र सिंह सरकार के समय शिक्षा विभाग में तैनात किए गए पीटीए टीचरों को में बर्खास्त करने की मुहिम चल पड़ी थी। धूमल सरकार ने बाकायदा जांच करवाई थी व जांच रिपोर्टो को मीडिया को जारी भी किया जाता था।
एक समय ये आ गया था कि सभी पीटीए टीचरों को बर्खास्त किया जाने वाला था। लेकिन धीमान इस से सहमत नहीं थे। उन्होंने इस मसले पर कहा था कि अगर इन्हें बर्खास्त कर दिया गया तो सरकार उलझ जाएगी। उनका मकसद उलझना नहीं शिक्षा की गुणवता को बढ़ाना है।
उस समय शिक्षा सचिव पी सी धीमान हुआ करते थे।आखिर में पीटीए शिक्षकों को बर्खास्त नहीं किया। धीमान के फैसले को मान लिया गया। राजनीतिक तौर पर ये कुछ परिपक्व फैसला था लेकिन प्रशसनिक व न्यायिक स्तर पर इसे परखा ही नहीं गया। हालांकि राजनीतिक तौर पर दिसंबर 2012 में जब दोबारा विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा को इस फैसले से राजनीतिक लाभ नहीं मिला था। बहरहाल धीमान किसी को परेशान न करने वाली शख्सियत थे।
वह सबसे पहले 1990 में हिमाचल विधानसभा के लिए चुने गए। उसके बाद1993,1998,2003,2007 व 2012 में विधानसभा के लिए चुने गए।वह विधानसभा की विभिन्न कमेटियों में रहे व 1998 से 2003 व 2007 से 2012 तक धूमल सरकार में शिक्षा मंत्री रहे।
उनका उनके पैतृक गांव दियालड़ी में अंतिम संस्कार कर दिया गया है।अंतिम संस्कार में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल,कर्नल इंद्र सिंह,वीरेंद्र ठाकुर समेत दर्जनों शख्ािसयतों ने शिरकत की। उधर, राज्यपाल आचार्य देवव्रत व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत पूरी केबनेट ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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