शिमला। प्रदेश की आर्थिक बदहाली को दुरुस्त करने के नाम पर प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार प्रदेश की पन बिजली परियोजनाओं पर सेस लगा कर सरकार के खजाने में चार हजार करोड सालाना एकत्रित करेगी। प्रदेश में अभी 172 पन बिजली परियोजनाओं दस हजार9 91 मेगावाट बिजली पैदा हो रही हैं।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज अध्यादेश को सदन में पेश किया व कहा कि यह उपकर जनता पर नहीं लगाया जा रहा हैं। इससे जनता पर कोई बोझ नहीं पडेगा। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर और उतराखंड ने पहले ही इस तरह के उपकर लगाए हुए। राज्य सरकार ने उसी के अनुरूप यह नीति लाने का निश्चय किया हैं।
उन्होंने कहा कि उपकर लगाने से निजी पन बिजली परियोजनाओं के साथ पहले हुए करारों पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा। इस बावत इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट में पहले से ही उपबंध मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि चूंकि विधानसभा सत्र में नहीं थी और राज्य की आय को बढाने में ज्यादा बिलंब नहीं किया जा सकता था इसलिए 15 फरवरी को सरकार ने इस अध्यादेश को जारी कर दिया था।
आज इसे सदन में पेश कर दिया हैं।
इस पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी, एनएचपीसी, एनटीपीसी और एसजेवीएनएल के अधिकारियों से वार्ता जारी हैं। अभी निजी इकाइयों के प्रबंधकों से वार्ता होनी है। सभी से बातचीत कर इस सेस को लगाया जाएगा। हो सकता है कि कुछ एउजेस्ट मेंट करनी पडे और यह चार हजार करोड की जगह कुछ कम या ज्यादा की आय हो सकती हैं।
अब बडा सवाल यही है कि सेस लगाने से जनता पर कोई बोझ नहीं पडेगा सरकार का यह दावा कितना सही हो सकता हैं।
बाद में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल प्रदेश पन बिजली उत्पादन पर जल उपकर विधेयेक 2023 भी पेश कर दिया। इस बिल में एक आयोग बनाने का प्रावधान भी किया गया हैं। अभी यह तय नहीं किया गया है कि एक मेगावाट पर कितना सेस लगाया जाएगा।
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