शिमला। लोकसभा चुनावों से पहले प्रदेश की कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत मिली हैं। राजधानी शिमला में निर्माण पर एनजीटी की ओर से लगाई गई पांबदी को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के 2017 के फैसले कोखारिज कर दिया । इस फैसले के तहत राजधानी में कोर व ग्रीन बकल्ट में निर्माण पर पूरी पांबदी लगा दी गई थी और बाकी जगह केवल ढाइ मंजिल तक ही निर्माण हो सकता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के फैसले को रदद ही नहीं किया व कहा कि इस मामले में एनजीटी का दखल ही नहीं हो सकता था। एनजीटी को टीसीपी एक्ट में कोई दखल देने का अधिकार नहीं हैं। एनजीटी ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर काम किया।
अब शहर के कोर एरिया में एटिक के अलावा दो मंजिला भवन बन सकेंगे। इसके अलावा जिन प्लासटस तक सड़क हैं वहां पर दो मंजिल , एटिक के अलावा पार्किंग की मंजिल भी बनाई जा सकेंगी। कुल मिलाकर चार मंजिला भवन बनाने का इंतजाम हो गया हैं।
जबकि गैर कोर एरिया व प्लानिंग एरिया में तीन मंजिल, आवासीय एटिक और पार्किंग की मंजिल बनाई जा सकेगी।यानी पांच मंजिला भवन बनाने का इंतजाम हो गया हैं। पार्किंग की मंजिल के लिए यहां भी यही शर्त है कि जहां पर सड़क की सुविधा हैं।
पुराने भवनों को ओल्ड लाइन पर बनाने की हरी झंडी मिल गई हैं। याद रहे शिमला में एक ही बिल्डिंग के
ग्रीन बेल्ट यानी हरित पटटी में भी निर्माण को ही झंडी मिल गई हैं। जहां पर दो भवनों के बीच खाली प्लॉट है वहां पर एक मंजिला भवन बनाने का इंतजाम हो गया हैं। इसके अलावा एटिक भी बनाया जा सकता हैं। यानी दो मंजिला भवन बन सकता हैं। हालांकि हरित पटटी में जहां पेड़ होंगे वहां पर भवन बनाने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके अलावा वन क्षेत्र में वन संरक्षण अधिनियम के मंजूरी के बिना निर्माण नहीं हो सकेगा।
इसके अलावा निर्माण के लिए अब भूविज्ञानी से मिटटी जांच प्रमाणपत्र जरूरी कर दिया हैं।
यद रहे कि सुक्खू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को पूरी ताकत के साथ लड़ा था। महाधिवक्ता अनूप रतन ने पूरी तैयारी के साथ सरकार का पक्ष रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पर्यावरण के साथ-साथ विकास को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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