शिमला। प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश और मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग के बाद कांग्रेस आलकमान ने सरकार व संगठन के बीच के विवादों को सुलझाने के लिए जो समन्वय समिति गठित की है उसमें तमाम हालीलाज कांग्रेस विरोधी नेताओं को शामिल कर दिया हैं। इस समिति में शामिल किए गए नेताओं के जरिए आलाकमान ने साफ कर दिया है कि वो बगावत करने वालों के आगे झुकने को तैयार नहीं है बेशक सरकार गिर ही क्यों न जाए।
कांग्रेस आलाकमान सरकार गिरने से बैखौफ हो कर आगे बढ़ रही हैं। ये दुस्साहस से कम कुछ भी नहीं हैं।
अगर सरकार बची तो यह समिति मुख्यमंत्री सुक्खू को मजबूत करने के औजार के अलावा कुछ नहीं हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के सी वेणुगोपाल की ओर से समन्वय समिति की घोषणा की कर दी गई हैं। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व सांसद प्रतिभा सिंह ही हालीलाज कांग्रेस की नुमाइंदगी कर रही हैं। वह पहले भी सुक्खू सरकार को लेकर आलाकमान के अलावा मीडिया तक अपना गुब्बार निकाल चुकी हैं। विक्रमादित्य सिंह ने तो 28 फरवरी को मंत्री पद से इस्तीफा दे अपनी मंशा जाहिर ही कर दी हैं।
इसके अलावा इस समिति में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हैं वह पहले ही हालीलाज कांग्रेस को ठिकाने लगाने में तुले हुए हैं। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का भी हालीलाज कांग्रेस से सरकार बनते ही अलगाव हो गया था। ये तो मुख्यमंत्री सुक्खू थे जिन्होंने अग्निहोत्री को साथ लिया। ये दीगर है कि पिछले सवा साल से सुक्खू किसी भी मंत्री को आजादी से काम नहीं करने दे रहे हैं। उन्होंने पूरी कमांड अपने हाथों में ही रखी नतीजतन इतना बड़ा कांड हो गया और अब सरकार बचाने के लाले पड़े हुए हैं।
अग्निहोत्री के अलावा समिति में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, पूर्व मंत्री राम लाल ठाकुर और मंत्री धनीराम शांडिल को शामिल किया गया है।
कौल सिंह ठाकुर ने 2021 के मंडी संसदीय हलके के चुनावों में प्रतिभा सिंह को जीतने के लिए पूरा जोर लगाया था । प्रतिभा सिंह जीत भी गई थी।
लेकिन विधानसभा चुनावों में मंडी से भाजपा ने दस में से नौ सीटें जीती थी। इल्जाम है कि कांग्रेस के एक धड़े ने जयराम व उनकी भाजपा संग अंदरूनी सांठगांठ कर कौल सिंह ठाकुर समेत बाकी नेताओं को हरा दिया। इस बावत हालीलाज कांग्रेस समर्थकों पर संदेह जताया जाता रहा ।अब कौल सिंह ठाकुर समन्वय समिति में है तो वह हालीलाज कांग्रेस समर्थकों का कितना पक्ष लेंगे इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता हैं।
राम लाल ठाकुर तो बहुत लंबे अरसे से हालीलाज कांग्रेस से अलग हो चुके है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बिलासपुर जिला में रामलाल ठाकुर के समानांतर बंबर ठाकुर को खड़ा कर दिया था। इससे आहत रामलाल ठाकुर की हालीलाज कांग्रेस से दूरियां बढ़ती गई। वह भी समन्वय समिति में शामिल हैं।
रही बात मंत्री धनी राम शांडिल की तो उनकी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से नजदीकियों के अलावा कोई ज्यादा अहमियत नहीं है। वह अपना विभाग तक सही तरीके से नहीं संभाल पा रहे हैं।ऐसे में पूरी समन्वय समिति में हालीजाल कांग्रेस के समर्थक तो कोई है ही नहीं हैं।
यही कारण है कि सोलन जिला के दौरे पर मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ गए मंत्री विक्रमादित्य सिंह के तेवर ढीले नजर आए। उनका पूरा रुख ही बदला हुआ नजर आया हैं।
हैरानी की बात है कि कांग्रेस आलाकमान ने समन्वय समिति से पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला को भी बाहर रखा हैं।शुक्ला को लेकर आब्जर्वर की जो रपटें आलाकमान तक पहुंची है वह सही नहीं हैं। यही कारण है कि शुक्ला को बाहर रखा गया हैं।
पार्टी के भीतरी सूत्रों के मुताबिक समन्वय समिति के गठन के मायने ही ये है कि प्रतिभा सिंह व विक्रमादित्य सिंह को पाला बदल कर भाजपा में जाने का बहाना मिल जाए।आलाकमान भी यही चाहता है कि ये अपना अलग ठिकाना बना ले ताकि पार्टी में इनका दखल खत्म हो जाए। अब सरकार बचती है तो सुक्खू बच जाएंगे अन्यथा सुक्खू के लिए आने वाला समय ठीक नहीं लग रहा हैं पर कांग्रेस आलाकमान ने अपने तो तेवर दिखा दिए है जो बगावत करने वालों को सबक से कम नहीं हैं।
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