शिमला/दाड़ला।अदाणी सीमेंट की ओर से मालभाड़ा कम करने की आंच अब ट्रक आपरेटरों को महसूस होने लगी है व कम भाड़ा मिलने के बाद हो रहे नुकसान को लेकर आपरेटरों में आक्रोश की चिंगारी दोबारा से सुलगने लगी हैं।
इस बार इस मसले को हवा मांगल व बाघल विकास परिषद ने दी हैं और दाड़ला, बरमाणा व भलग सीमेंट कारखानों में पहले जैसे मालभाड़ा अदा करने की मांग उठा दी हैं। पहले समझा जा रहा था कि यह विवाद खत्म हो गया है लेकिन अब नए सिरे से मांगल विकास परिषद ने मांग उठाई हैं।
मांगल व बाघल विकास परिषद के कानूनी सलाहकार नंद लाल चौहान ने सीधे-सीधे इल्जाम लगा दिया है कि अदाणी सीमेंट के साथ –साथ अल्ट्राटेक सीमेंट भी ट्रक आपरेटरों को पूरा मालभाड़ा नहीं दे रही हैं । सीमेंट कारखानों में कम मालभाड़ा तय होने से उन्हें नुकसान हो रहा हैं जिसकी वजह से फायनेंसरों की किश्तें देने में देरी हो रही हैं । नतीजतन ट्रक आपरेटरों पर कर्ज की किश्तों का बोझ बढ़ रहा रहा हैं।
चौहान ने कहा कि दाड़ला, बाघा-भलग और बरमाणा में ट्रक आपरेटरों के कम किए गए मालभाड़े का परिषद विरोध करती है। उन्होंने इल्जाम लगाया कि अदाणी सीमेंट व अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी कंपनियां व सुक्खू सरकार स्थानीय लोगों व ट्रक आपरेटरों व किसानों पर दबाव डालकर आपरेटरों को कुलचने में लगी है और स्थानीय ट्रक आपरेटरों और किसानों की एकता को छिन्न भिन्न करने का असफल प्रयास कर रही हैं।
चौहान ने कहा कि परिषद ने कंपनियों व सरकार को कम मालभाड़े को पहले जितना करने की मांग को लेकर पहले ही ज्ञापन के जरिए अपनी बात पहुंचा दी हैं व ट्रक आपरेटरों की मांगों का निपटारा शीघ्र करने का आग्रह किया गया हैं।
चौहान ने इल्जाम लगासा कि सुक्खू सरकार, अदाणी सीमेंट व अल्ट्राटेक सीमेंट लोगों व ट्रक आपरेटरों की समस्याओं को सुझाने के बजाय उलझाने का प्रयास कर रही हैं। ये कंपनियों ट्रक आपरेटरों को मालढुलाई का पूरा किराया नहीं दे रही हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों व ट्रक आपरेटरों से एक रहने का आग्रह करते हुए उनको अपना समर्थन देने का एलान किया हैं। उन्होंने सुक्खू सरकार से आग्रह किया कि ट्रक आपरेटरों को पहले की तरह मालभाड़ा दिलाया जाए ताकि आपरेटर ट्रकों की कियतें आसानी से अदा कर सके।
उन्होंने अदाणी व अल्ट्राटेक कंपनियों समेत सुक्खू सरकार को आगाह किया कि अगर पहले के फार्मूले के हिसाब से मालभाड़ा अदा नहीं हुआ तो परिषद को सीमेंट कारखानों में आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने केलिए मजबूर होना पड़ेगा।
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