नई दिल्ली, 27 दिसंबर । दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 12 सूत्री मसौदा योजना तैयार की गई है जिसमें पराली जलाने पर रोक के लिए समन्वित प्रयास करने, अध्ययन करने तथा उल्लंघन के बारे में रिपोर्ट करने के लिए एक हॉटलाइन और एप शुरू करने जैसे कदम भी शामिल हैं।
मसौदा योजना में यात्रा योजना बताने वाला एप लाए जाने की भी बात कही गई है जो मेट्रो, डीआईएमटीएस और डीटीसी सेवाओं को एकीकृत करेगा तथा छह महीने के भीतर समूची डीटीसी, क्लस्टर और मेट्रो सेवा में एकीकृत टिकटिंग की व्यवस्था करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय टास्क फोर्स ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मसौदा तैयार किया है तथा इसे और ‘‘प्रभावी एवं व्यावहारिक’’ बनाने के लिए 15 दिन में सुझाव आमंत्रित किए हैं।
पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए मसौदे में कहा गया है कि कार्य योजना में महत्वपूर्ण उपाय सूचीबद्ध किए गए हैं जिन पर टास्क फोर्स निगरानी रखेगी। वायु गुणवत्ता से संबंधित विभिन्न विभाग अपनी आवश्यकता के आकलन पर आधारित कई अन्य कदम उठाएंगे।
इसमें कहा गया है, ‘‘कार्य एजेंडे के समूचे समन्वय का दायित्व पर्यावरण एवं वन मंत्रालय सचिव का होगा।’’ मसौदे में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए समन्वित कार्रवाई और पराली जलाए जाने की समस्या को कम करने के लिए प्रवर्तन कदमों पर निगरानी रखने का प्रस्ताव किया गया है।
इसमें फसल की पराली को उचित रूप से निपटाने के लिए भी योजना क्रियान्वित करने और यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि पराली जलाए जाने के संबंध में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा अन्य के साथ सहयोग से स्वतंत्र डेटा उपलब्ध हो।
योजना में कहा गया है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समिति के साथ समन्वय में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दिल्ली-एनसीआर में पर्याप्त संख्या में वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र हों।
इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वार्षिक रूप से अध्ययन करने की बात भी कही गई है। योजना में विशिष्ट उल्लंघन के संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण रोधी हेल्पलाइन स्थापित करने की बात भी कही गई है।
योजना में कहा गया है, ‘‘प्रदूषण संबंधी एक एप तैयार किया जाना चाहिए जहां लोग उल्लंघन संबंधी तस्वीरों को तुरत कार्रवाई के लिए अपलोड कर सकें।’’ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एनटीपीसी और अन्य बिजली संयंत्रों में समयबद्ध तरीके से क्षति रोकने संबंधी कदम उठाए जाने तथा पर्यावरण मंत्रालय से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण फैला रही ‘रेड कैटगरी’ की इकाइयों का एक ‘डैशबोर्ड’ विकिसत करने की बात कही गई है।
योजना में कहा गया कि इन इकाइयों में से प्रत्येक को अपने परिसर में प्रदूषण संबंधी एक प्रमाणित मीटर लगाना चाहिए।
मसौदे में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, खासकर बागपत (उप्र), झज्जर (हरियाणा) जैसे क्षेत्रों में बिना पर्यावरण मंजूरी के चल रहे ईंट भट्टों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
साभार एजेंसी
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