शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के एनर्जी विभाग में विभाग के पूर्व निदेशक आइएएस अफसर हरिकेश मीणा विभाग में तैनात चपड़ासी बुधराम मामले में बड़ा कांड कर गए थे। अब बिजली विभाग के सचिव राकेश कंवर ने बुधराम मामले में दखल देकर उनके साथ हुए अन्याय की आंच कम करने की कोशिश की हैं। याद रहे इस मामले को reporterseye.com ने पूरी शिदद्त के साथ उठाया था।
आइएएस मीणा चपड़ासी बुधराम को सितंबर 2024 में रिप्रैट्रिएट करने का कारनामा कर गए थे। जबकि ऐसा करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार का कोई कानून ही नहीं है। सितंबर में बुधराम को नौणी विवि को रिप्रैट्रिएट करने का फरमान जारी किया गया था। लेकिन नौणी विवि ने उन्हें अपने यहां नौकरी पर रखने से इंकार कर दिया।इसके लिए नौणी विवि की ओर से सरकार के नियमों का हवाला दिया गया था। बुधराम दो दिन बाद दोबारा एनर्जी निदेशालय पहुंच गए और अपनी ज्वाइंनिंग दी। निदेशालय में उनकी ज्वाइंनिग को लेकर वहां के अफसरों ने क्या किया ये अभी तक किसी को पता नहीं हैं।
निदेशालय में सितंबर 2024 के बाद उनकी हाजिरी नहीं लगने दी और अक्तूबर में जो वेतन मिला उसमें सितंबर महीने की पांच ही दिनों का वेतन दिया। उसके बाद उन्हें न तो वेतन दिया गया और न ही उनकी हाजिरी लगने दी गई।उन्हें सितंबर से लेकर अब तक वेतन नहीं मिला हैं। ये किस कानून के तहत किया गया ये किसी को पता नहीं हैं। चूंकि वो चपड़ासी के पद पर है तो उन्हें ही बलि का बकरा बनाने का पूरा इंतजाम करने की कोशिश की जा रही हैं। जो चिटिठयां लिखी जा रही है उनमें जो लिखा जा रहा है उससे साफ हो रहा है कि सचिवालय में बैठे बाबू और एनर्जी निदेशालय में बैठे ये चंद अफसर अपनी लेखन कौशल में कितने हुनरमंद हैं।
अब दो दिनों पहले बिजली सचिव राकेश कंवर ने बुधराम मामले में कदम उठाते हुए उन्हें डयूटी ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं। बुधराम ने डयूटी तो ज्वाइन कर ली है लेकिन उनके साथ किस –किस ने क्या किया इस बावत कहीं कोई जांच नहीं हुई हैं। उन्हें किस कानून के तहत रिप्रैट्रिएट किया गया,इसका जवाब अभी तक नहीं मिला हैं। अगर ये गैरकानूनी था तो इस कारनामें को अंजाम देने वालों के खिलाफ क्या किया गया हैं। प्रदेश में कानून का राज हैं और नियम कायदे हर कर्मचारी के लिए बराबर हैं।
इसके अलावा बुधराम सितंबर 2024 से बीते रोज तक किस विभाग का कर्मचारी रहा इसका भी जवाब सामने नहीं आया हैं। उनका वेतन किस कानून के तहत और किस अफसरों के आदेश पर रोका गया ये भी पता नहीं हैं।
बुधराम के साथ जो प्रताड़ना की गई उसके लिए कोई तो जिम्मेदार रहा है और जो जिम्मेदार रहें है वो सुक्खू सरकार की छवि ही नहीं खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और बिजली सचिव राकेश कंवर की छवि और उनकी कार्यक्षमता को कटघरे में खड़ा करते नजर आ रहे हैं। बिजली महकमा सुक्खू के पास हैं और अब तक अधिकांश जितने भी कांड हुए है चाहे वो समोसा कांड हो या मुर्गा कांड सब उन्हीं के विभाग में हुए हैं।
साफ है ये इन सबमें विभाग के अफसर कहीं न कहीं शामिल रहे है लेकिन उन्हें न तो मुख्यमंत्री और न ही सचिव बिजली चिन्हित करने में कामयाब हो पाए हैं। कांड करने वालों के प्रति सुक्खू सरकार उदार रही है लेकिन जिन बुधराम जैसों के साथ अन्याय होता रहा उनके प्रति ये उदारता कहीं नजर नहीं आ रही हैं।अब ये विभाग के सचिवों की जिम्मेदारी है कि वो ऐसे कांड करने वाले विभागीय तत्वों का पता लगाएं व उन्हें निगाहबानी में रखे। अन्यथा कल ये कोई और बुधराम जैसा कांड करते रहेंगे।
बहरहाल, बुधराम मामला पूरी निगाहबानी में हैं। इस मामले में अभी एनर्जी विभाग और सचिवालय में बैठे अफसर क्या-क्या गुल खिलाते है, इसका इंतजार रहेंगा। आलम ये है कि एनर्जी विभाग और सचिवालय के ये चंद अफसर निदेशक एनर्जी राकेश प्रजापति और विशेष सचिव अरिंदम चौधरी तक को गच्चा देने से बाज नहीं आ रहे है।
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