शिमला। नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल एनवी की ओर से अप फ्रंट मनी के रूप में 2008 में अदाणी पावर द्वारा जमा कराए 280 करोड़ रुपए लौटाने के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट में आज अदाणी पावर ने सुक्खू सरकार की ओर से दायर की गई अर्जी का विरोध किया। इस मामले में सुक्खू सरकार ने अदालत में अर्जी दायर कर रखी है कि ब्रेकल कंपनी का निदेशक नीदरलैंड का नागरिक डीन गेस्टरकैंप विजीलेंस के मामले में फरार है व जब तक वह जांच में शामिल नहीं होता तब इस पैसे को अदाणी पावर को जारी न किया जाए।
गेस्टरकैंप के खिलाफ विजीलेंस ने धारा 420 के तहत दर्ज किए गए मामले में ब्लू नोटिस जारी किया हुआ हैं। सुक्खू सरकार ने अपनी अर्जी में कह रखा है कि गैस्टरकैंप की ओर से अलग–अलग दस्तावेजों में किए दस्तख्त मेल नहीं खा रहे हैं।अदाणी पावर के साथ गेस्टरकैंप बोनाफाइडी निवेशक है इसलिए अदाणी पावर को कहा जाए कि वह गेस्टरकैंप को हाजिर करे।सुक्खू सरकार ने इस तरह कुछ नए दस्तावेज सामने लाने को लेकर अर्जी दायर कर रखी हैं।
याद रहे 2006-07 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने 960 मेगावाट की दो पन बिजली परियोजनाएं जंगी थोपन जंगी पोवारी नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल एन को आवंंटित की थी। लेकिन यह कंपनी तय समय सीमा में अप फ्रंट मनी जमा नहीं करा पाई। तत्कालीन धूमल भाजपा की चार्जशीटमें यह मामला था। बाद में धूमल ने इसकी जांच कराई व ब्रेकल की ओर से जमा कराए दस्तावेज फर्जी पाए गए ।लेकिन इसके बावजूद धूमल सरकार ने इस प्रोजेक्ट ब्रेकल को ही आवंटित रखा। बोली में दूसरे नंबर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर इस मामले को अदालत ले गई व 2009 में अदालत ने इस आवंटन को रदद कर दिया था।
इस बीच अदालत में सुनवाई के दौरान अप फ्रंट मनी अदाणी समूह की कंपनियों की ओर से जमा कराए गए थे। ब्रेकल ने बाद में सरकार को बताया था कि उसने यह रकम अदाणी पावर से उधार ली थी।
हाल की में अदालत में दायर अर्जी में सुक्खू सरकार ने कहा है कि ब्रेकल के निदेशक गेस्टरकैंप ने अदाणी पावर को एनओसी दे रखी है कि अगर अपफ्रंट मनी का पैसा अदाणी पावर को लौटा दिया जाए तो उसे कोई आपति नहीं हैं। लेकिन इस एनओसी पर गेस्टरकैंप के ही दस्तख्त है, इसमें संदेह हैं।
आज सोमवार को इस मामले की प्रदेश हाईकोर्ट में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना की खंडपीठ सुनवाई हुई व सरकार की ओर से अगली डेट मांगी गई । अब इस मामले की अगली सुनवाई 2मई को निर्धारित की गई है।
अदाणी पावर की ओर से आज हाईकोर्ट में दलीलें दी गई कि ये तमाम तथ्य व दस्तावेज सरकार के पास पहले से मौजूद थे। इसमें नया कुछ भी नहीं हैं।
याद रहे अप्रैल 2022 में न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने सरकार को आदेश दिए थे कि अदाणी पावर को दो महीने के भीतर 280 करोड़ रुपए लौटाए जाए। दो महीनों के बाद इस रकम पर नौ फीसद ब्याज लग जाएगा।
लेकिन सरकार ने यह रकम अदाणी पावर को नही लौटाई और अदालत में स्टे की अर्जी डाल दी साथ ही इस फैसले को चुनौती भी दे रखी हैं। उधर अदाणी पावर ने ब्याज 2008 से अदा करने की अर्जी अदालत में दे रखी हैं। अदाणी व सरकार की तमाम अर्जियों अभी लंबित पड़ी हैं। ल
याद रहे 2008 में अदाणी पावर ने ब्रेकल की ओर से ये अप फ्रंट मनी जमा कराया था। कानूनविदों का मानना है कि कायदे से अदाणी पावर को इस रकम को ब्रेकल से मांगना चाहिए था। लेकिन जयराम सरकार ने इस मामले को सही तरीके से अदालत के सामने नहीं रखा और अदाणी पावर इस मुकदमें को एकल जज के सामने जीत गई। लेकिन अब प्रदेश में सरकार बदल गई है और राष्ट्रीय स्तर पर अदाणी समूह मुश्किलों में हैं।
बड़े वकील पर असमंजस
उधर, इस हाइप्रोफाइल मसले पर अब किसी बड़े वकील से पैरवी करवाने को लेकर भी सरकार के स्तर पर विचार चल रहा है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया हैं। इसी उधेड़बुन के बीच इस मसले पर दिसंबर से लेकर अब तक तारीखें ही ली जा रही हैं। हालांकि कायदे से सरकार को इस मामले में कपिल सिब्बल या अभिषेक मनुसिंघवी जैसे बड़े वकील को पैरवी करने के लिए बुलाना चाहिए । हालांकि अदाणी का असर तो चारें दिशाओं में है ही। अब सुक्खू सरकार क्या फैसला लेती है ये देखा जाना हैं। इसके अलावा विजीलेंसे गेस्टरकैंप को ढूंढ पाती है इसका भी इंतजार ही हैं।
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