शिमला।दागी अधिकारियों की संवेदनशील पदों से असंवेदनशील पदों पर की तैनाती को लेकर हाईकोर्ट के 18 नवबंर के आदेश को बदलने के लिए सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि उसने ऐसा कभी नहीं कहा कि वह 43 दागी अफसरों को असंवेदनशील पदों पर तैनात कर रही है।
ये सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल ने अनजाने या गलती से अदालत में बोल दिया होगा। सरकार की ओर से दायर हलफनामे में ऐसा कुछ नहीं है।कार्यकारी मुख्य सचिव पी मित्रा की ओर से दायर इस अर्जी में कहा गया है कि सरकार में असंवेदनशील पद कोई होता ही नहीं है।
हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को शेर सिंह बनाम स्टेट मामले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह दो सप्ताह के भीतर दागी अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाकर असंवेदनशील पदों पर तैनाती दे।
कार्यकारी मुख्य सचिव पी मित्रा की ओर दायर इस अर्जी में कहा गया है कि सरकार में असंवेदनशील पद किसी भी कैडर में नहीं होता है । ऐसे में सरकार किसी भी दागी अधिकारी को असंवेदनशील पदों पर तैनाती नहीं दे सकती।
मित्रा ने अपनी अर्जी में सारा ठिकरा सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल पर फोड़ते हुए कहा कि सरकार की ओर से फाइल किए गए हलफनामें में कहीं भी ऐसा नहीं कहा था कि सरकार की ओर से 43 दागी अफसरों को संवेदनशील पदों से असंवेदनशील पदों पर तैनाती देने की प्रक्रिया जारी है।। उन्होंने कहा कि अदालत में एडिशनल एडवोकेट जनरल ने अनजाने में या गलती से ऐसा कह दिया।
18 नवंबर को हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए थे कि वो संदेहास्पद निष्ठा वाले अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटा दें।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अहमद मीर और जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने कार्यकारी मुख्य सचिव की इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिए कि इस अर्जी को 6 दिसंबर को उसी पीठ के सामने लगाएं जिसने संवेदन शील पदों से दागी अफसरों को हटाने के आदेश दिए थे।
पी मित्रा ने इस दिलचस्प अर्जी में कहा है कि उन्होंने 16 नवंबर को हाईकोर्ट में जो हलफनामा दायर किया था उसमें उन सक्षम अफसरों का ब्योरा दिया गया था जिन्हें कंसल्ट कर इन अफसरों की तैनाती की जाती है।
उन्होंने कहा कि सरकार की हमेशा कोशिश रहती है कि वह संदेहास्पद निष्ठा वाले अफसरों को असंवेदनशील पदों पर तैनाती दे। लेकिन किसी भी कैडर में असंवदेनशील पद ही नहीं है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस अर्जी को जस्टिस कुलदीप सिंह और धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ के समक्ष लगाने के आदेश दिए है। अब इस अर्जी पर छह दिसबंर को सुनवाई होगी।
(1)