शिमला।पावर कारपोरेशन के पूर्व चीफ इंजीनियर विमल नेगी की हुई रहस्य मौत मामले में आरोपी आइएएस अफसर व कारपोरशन के पूर्व एमडी हरिकेष मीणा की जमानत रदद नहीं हो पाई हैं। आज यानी 15 मई को मीणा की जमानत की अर्जी पर हाईकोर्ट की जस्टिस वीरेंद्र सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। विमल नेगी की ओर से व्यक्तिगत तौर पर पैरवी कर रहे वकीलों ने मीणा की जमानत रदद करने की मांग की।
उधर ,पुलिस ने अदालत में ये खुलासा कर कि विमल नेगी का मोबाइल मिल गया है और उसे एसएफएल जुन्गा को भेजा गया हैं, सबको चौंका दिया।
पुलिस ने कहा कि जब तक मोबाइल फोन की रपट नहीं आ जाती तब तक पुलिस मीणा को लेकर इस मामले में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। वो रपट आने व इसका विश्लेषण करने के बाद ही अदालत को कुछ बता सकती हैं।
इसके बाद अदालत ने मीणा की अंतरिम जमानत अगली सुनवाई तक बढ़ा दी और मामले की अगली सुनवाई 29 मई को तय कर दी हैं।
अब सबकी निगाहें 29 मई तक पुलिस की आगामी कार्यवाही पर लगी हुई हैं।
बना न्याय मंच
उधर ,विमल नेगी की मौत को 58 दिन हो जाने के बाद उनकी रहस्यमय मौत से पुलिस पर्दा नहीं उठा पाई हैं। पुलिस की जांच में कई तरह के झोल हैं।
अब किन्नौर की जनता ने विमल नेगी को न्याय दिलाने के लिए विमल नेगी जनजातीय न्याय मंच खड़ा कर दिया हैं। मंच ने आज राजधानी में संवाददाता सम्मेलन कर सुक्खू सरकार व पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया।
मंच की ओर से राजेंद्र नेगी ने मांग कर डाली कि इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की रपट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा हैं। सरकार जनता से क्या छिपाना चाहती हैं। मंच की ये मांग जायज भी है क्योंकि ओंकार शर्मा ने जांच पब्लिक के पैसों के दम पर की है। वो पब्लिक सवैंट हैं। ऐसे में उनने क्या जांच की ये जानना जनता का हक है।
रपट के सार्वजनिक होने से जनता की ओर से भी इस मामले से जुड़ी कई तरह की जानकारियां साझा हो सकती थी। ऐसे में इस रपट को छिपाने की कोई जरूरत ही नहीं हैं।
इसके अलावा मंच की ओर से इस मामले को सीबीआइ के सुपुर्द करने की मांग की गई हैं। ये मामला अभी अदालत के अधीन हैं।
मंच की ओर से सबसे महत्वपूर्ण जो कदम उठाने की जरूरत है वो है सड़कों पर उतरकर आंदोलन छेड़ने की ताकि सरकार व जांच एंजेसियों पर दबाव बनाया जा सके। अब देखना है कि मंच आगे क्या कार्यवाहियां कर पाता हैं।
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