नई दिल्ली ।आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के टॉप लॉ अफसर मुकुल रोहतागी पर सवाल खड़े कर दिए है। आम आदमी पार्टी की ओर से मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रोहतागी ने इंकम टैक्स को सलाह दी है कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट की उस जजमेंट के खिलाफ अपील नहीं करे जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुना रखा है कि वोडाफोन 32 सौ करोड़ रुपए का टैक्स अदा करने के लिए बाध्य नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि ये बेइमानी है,क्योंकि रोहतागी 24 मई 2012 को सुप्रीम कोर्ट में वोडाफोन की ओर से निजी वकील की हैसियत से पैरवी कर चुके है।इसलिए उन्हें उसी कंपनी के पक्ष में बतौर सरकार के टॉप लॉ आफिसर के तौर पर मामले में राय देने से खुद को अलग कर देना चाहिए था।पार्टी ने कहा कि यह समझ से परे है कि जब आई टी विभाग इस ब्रिटिश् कपंनी से इस टैक्स राशि की रिकवरी के लिए सुप्रीम में अपील करना चाहती है, और जब सालिस्टिर जनरल रंजीत कुमार ने विभाग के व्यू को एंडोर्स कर दिया है तो वित मंत्रालय ने रोहतागी से राय क्यों मांगी। ये भी हैरानी की बात है कि रोहतागी ने अपने पुराने क्लाइंट वोडाफोन के पक्ष में राय दे दी और अपने कंफलीक्ट आफॅ इंटरेस्ट डिस्कलोज नहीं किए।
पार्टी ने कहा है कि वो मोदी सरकार से जानना चाहती है कि वह अपने सबसे बड़े लॉ आफिसर के हितों को या जनता के हितों को सर्वोपरि रखना चाहती है।या देश का टैक्स राजस्व उसे ज्यादा मायने रखता है।
पार्टी ने कहा कि लगता है कि मोदी सरकार यूपीए सरकार के पदचिन्हों पर चल रही है जिसने वोडाफोन को टैक्स अदा करने से बचाने के लिए अपने बनाए कानून को संशोधित कर दिया था।पार्टी ने कहा है कि सरकार की ओर से ये दलील देना कि इससे विदेशी निवेशकों को सकारात्मक संदेश जाएगा,बेहूदा तर्क है। क्योंकि इन ग्लोबल जाइंटस को करो की देनदारी से छूने से देशी उदयोग को नुकसान होगा। बेइमान तरीकों से टैक्स अधिकारियों के बांहें मरोड़ने से इमानदार निवेशकों को निरुत्साहित करेगा।
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