शिमला। कांग्रेस नीत सुक्खू सरकार सत्ता में आने के एक महीना बीत जाने के बाद भी जीत के जश्न में मस्त है जबकि अदाणी व टाटा समुह की कंपनियां अरबों रुपए के अपफ्रंट मनी को हासिल करने में पूरी ताकत से जुटी हुई हैं! चंबा में चिनाब नदी पर टाटा समूह की टाटा पावर और सिंगापुर की कंपनी स्टेट क्राफट की ओर से लगाए जाने वाली साढे चार सौ मेगावाट डुग्गर पन बिजली परियोजना की एवज में जमा कराए अप फ्रंट मनी के 26 करोड रुपए का चेक आज सुक्खू सरकार ने उच्च न्यायालय में जमा करा दिए।
चिनाब नदी पर लगने वाली साढ़े चार सौ मेगावाट की डुग्गर पन बिजली परियोजना से संयुक्त रूप से टाटा पावर व स्टेटक्राफट सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 2017 में हाथ खींच लिए गए थे। कंपनी ने जमा अप फ्रंट मनी की रकम लौटाने के लिए आर्बिट्रटर के सामने मुकदमा कर दिया जयराम सरकार के शासनकाल में ही सरकार अप फ्रंट प्रीमियम की यह जंग भी हार गई है।यह जंग जयराम सरकार क्यों हारी यह जांच व समीक्षा का मसला है लेकिन प्रदेश के उच्च नेतृत्व को इस बावत कोई फिक्र ही नहीं हैं।
अपफ्रंट मनी वापस करने के मामले को निपटाते हुए हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में नियुक्त किए गए आर्बिट्रटेर सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायामूर्ति सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने सरकार को दस फीसद ब्याज के साथ डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड कंपनी को अप फ्रंट मनी के 47 करोड़ 20 लाख रुपए लौटाने के आदेश दिए है। इसके अलावा 16 लाख रुपए आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत कंपनी को देने के आदेश दिए थे।
आर्बिट्रेटर न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड की दलीलों को सही माना है व सरकार के अप फ्रंट मनी को बतौर जुर्माना जब्त करने के फैसले को बिना सुनवाई का मौका दिए गलत करार दिया है।इसके अलावा न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस परियोजना से डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड की ओर से हाथ खींचने से क्या नुकसान हुआ है यह वह साबित नहीं पाई है। हालांकि इस बावत सरकार ने उनके सामने अपना पक्ष जरूर रखा था।
याद रहे टाटा पावर व स्टेटक्राफट कंपनी ने इस परियोजना के लिए डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड नाम से स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाया था। डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड की ओर से इस 449 मेगावाट की परियोजना से 24 अप्रैल 2017 में हाथ खींचने के बाद सरकार ने इस इस परियोजना के आवंटन को रदद कर दिया था व बोली की शर्तों के मुताबिक अपफ्रंट मनी को जब्त कर लिया था।
आर्बिट्रेटर जस्टिस ठाकुर के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी व स्टे मांगा था। लेकिन अदालत ने कहा कि पहले पैसा जमा कराओं उसके बाद बाकी मसलों पर बात होगी। अब बाकी रकम भी जमा कराई जानी हैं।
दिलचस्प यह है कि पिछली जयराम सरकार की तरह ही सुक्खू सरकार भी प्रदेश के खजाने में लग रही अरबों रुपए की इस सेंध को लेकर बेखबर हैं। वही पुरानी वाली नौकरशाही है और सरकार जश्न में मस्त में है। अन्यथा अब तक समीक्षा हो गई होती और उदयोगपतियों के खिलाफ यह मामले जीत लिए गए होते। कारोबारियों से जुडा इस तरह का यह पहला मामला नहीं हैं।
मजेदार यह है कि साढे 47 करोड का अप फ्रंट मनी का मुकदमा हार जाने के बाद जयराम सरकार ने इस परियोजना को सरकारी उपक्रम को दे दिया व चुनावों से डुग्डुगी बजाई की उसने प्रदेश के लिए करोडों का निवेश लाया हैं।
महत्वपूर्ण यह है कि पर्दे के पीछे सरकारों, नौकरशाही, विणि के ज्ञाताओं और उदयोगतियों के बीच चल रहे इस खेल का हर हिमाचली को समझने की जरूरत हैं। अन्यथा पर्दे के पीछे अलग-अलग रासतों से 75 लाख जनता के खजाने में सेंध लगातार लगाई जा रही हैं।
शिमला। कांग्रेस नीत सुक्खू सरकार सत्ता में आने के एक महीना बीत जाने के बाद भी जीत के जश्न में मस्त है जबकि अदाणी व टाटा समुह की कंपनियां अरबों रुपए के अपफ्रंट मनी को हासिल करने में पूरी ताकत से जुटी हुई हैं! चंबा में चिनाब नदी पर टाटा समूह की टाटा पावर और सिंगापुर की कंपनी स्टेट क्राफट की ओर से लगाए जाने वाली साढे चार सौ मेगावाट डुग्गर पन बिजली परियोजना की एवज में जमा कराए अप फ्रंट मनी के 26 करोड रुपए आज सुक्खू सरकार ने उच्च न्यायालय में जमा करा दिए।
चिनाब नदी पर लगने वाली साढ़े चार सौ मेगावाट की डुग्गर पन बिजली परियोजना से संयुक्त रूप से टाटा पावर व स्टेटक्राफट सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 2017 में हाथ खींच लिए गए थे। कंपनी ने जमा अप फ्रंट मनी की रकम लौटाने के लिए आर्बिट्रटर के सामने मुकदमा कर दिया जयराम सरकार के शासनकाल में ही सरकार अप फ्रंट प्रीमियम की यह जंग भी हार गई है।
अपफ्रंट मनी वापस करने के मामले को निपटाते हुए हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में नियुक्त किए गए आर्बिट्रटेर सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायामूर्ति सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने सरकार को दस फीसद ब्याज के साथ डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड कंपनी को अप फ्रंट मनी के 47 करोड़ 20 लाख रुपए लौटाने के आदेश दिए है। इसके अलावा 16 लाख रुपए आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत कंपनी को देने के आदेश दिए है।
आर्बिट्रेटर न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड की दलीलों को सही माना है व सरकार के अप फ्रंट मनी को बतौर जुर्माना जब्त करने के फैसले को बिना सुनवाई का मौका दिए गलत करार दिया है।इसके अलावा न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस परियोजना से डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड की ओर से हाथ खींचने से क्या नुकसान हुआ है यह वह साबित नहीं पाई है। हालांकि इस बावत सरकार ने उनके सामने अपना पक्ष जरूर रखा था।
याद रहे टाटा पावर व स्टेटक्राफट कंपनी ने इस परियोजना के लिए डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड नाम से स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाया था। डुग्गर हाइड्रो पावर लिमिटेड की ओर से इस 449 मेगावाट की परियोजना से 24 अप्रैल 2017 में हाथ खींचने के बाद सरकार ने इस इस परियोजना के आवंटन को रदद कर दिया था व बोली की शर्तों के मुताबिक अपफ्रंट मनी को जब्त कर लिया था।
आर्बिट्रेटर जस्टिस ठाकुर के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी व स्टे मांगा था। लेकिन अदालत ने कहा कि पहले पैसा जमा कराओं उसके बाद बाकी मसलों पर बात होगी। अब बाकी रकम भी जमा कराई जानी हैं।ఀ
दिलचस्प यह है कि पिछली जयराम सरकार की तरह ही सुक्खू सरकार भी प्रदेश के खजाने में लग रही अरबों रुपए की इस सेंध को लेकर बेखबर हैं। वही पुरानी वाली नौकरशाही है और सरकार जश्न में मस्त में है। अन्यथा अब तक समीक्षा हो गई होती और उदयोगपतियों के खिलाफ यह मामले जीत लिए गए होते। कारोबारियों से जुडा इस तरह का यह पहला मामला नहीं हैं।
मजेदार यह है कि साढे 47 करोड का अप फ्रंट मनी का मुकदमा हार जाने के बाद जयराम सरकार ने इस परियोजना को सरकारी उपक्रम को दे दिया व चुनावों से डुग्डुगी बजाई की उसने प्रदेश के लिए करोडों का निवेश लाया हैं।
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