शिमला। कैग ने अपनी 31 मार्च 2013 तक की रिपोर्ट में प्रदेश के विभिन्न विभागों में 1258.95 करोड़ रुपए की अनियमितता निकाली है।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कैग की रिपोर्ट को आज सदन में पेश किया।
विभिन्न विभागों की इन 1258 करोड़ की अनियमितताओं में गैर जरूरी खर्च कर दिया। कहीं पर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया गया है। कहीं फंड रोक दिया तो कहीं इसे डायवर्ट कर दिया है। कई जगह बेकार निवेश कर दिया है व कहीं जरूरत से ज्यादा खर्च कर दिया है।
रिपोर्ट में कैंपा के किए आडिट का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार ने मई 2013 तक बिजली प्रोजेक्टों के 2001से 2006 तक मिले कैट फंड में से 21 करोड़ 51 लाख रुपए कैंपा के खाते में जमा ही नहीं कराए है। 2009 से 2013 तक कैंपा के उपलब्ध 188.38 करोड़ में से केवल 127 करोड़ ही खर्च किए जा सके है। इसके अलावा मानिटरिंग तंत्र बुरी तरह से अप्रभावी रहा है।कैंपा के अलावा कैग ने मेडिकल एजुकेशन एंडरिसर्च का परफारमर्ेंसआडिट भी किया है।
आडिट के मुताबिक विभाग ने मंजूर बजट से 55 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च कर दिया। पीडब्ल्यू डी विभाग को मंजूर21 करोउ़ में से 7 करोड़ रुपए किसी और ही काम के लिए डायवर्ट कर दिया। 2008से 2013 के बीच 14 करोड़ 30 लाख में से मेडिकल संस्थानों ने 8 करोड़ 14 लाख के ही यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट दिए। बाकी के सर्अिफिकेटनदेने की वजह से 11 करोड़ 27 लाख की केंद्रीयसहायता नहीं मिल पाई।
सरकारीमेडिकल कालेजों व अस्पतालों में रखरखाव के लिए दिया3करोड़ 52 लाख खर्च ही नहीं कियागया है।
पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्य के परफार्मेंस आडिट के मुताबिक अवास्तविक अनुमानबनाए गए। जिसके तहत 2008 से लेकर 2013 तक मंजूर बजट से 1084 करोड़ 14 लाख रुपए ज्यादा खर्चहो गए।2008 से 2013 के बीच 914 काम किए जाने मंजूर हुए। इनमें से 521 करोड़ के 823 काम मार्च 2013 तक पूरे हो जाने चाहिए थे। लेकिन 152 करोड़ 74 लाख के 183 काम पूरे हुए है और 640 काम जिन पर 126 करोड़ खर्च हो गया है वो मार्च 2013 तक पूरे नहीं हुए थे।
हिमाचल प्रदेश विवि में आकउंटस प्रावधानों के तहत नहीं रखे गए है। स्टूडेंट फंड से 13 करोड़ 65 लाख रुपए कॉर्पस फंड के लिए हस्तांतरित कर दिए।2009 से 2011के बीच आधारभूत ढांचे के सुधार के लिए मिले अढाई करोड़ खर्च ही नहीं किए गए।इसी तरह यशवंत सिंह परमार वानिकी व बागवानी विवि सोलन ने आईसीएआर से मिली 5करोड़ 71 लाख की ग्रांटके इस्तेमाल के यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट बढ़ाचढ़ा कर दे दिए।
2010 से 2013 के बीच में विधायक निधि में से जिला उपायुक्तों ने 14करोड़62 लाख रुपए के 1362काम बिना तकनीकी मंजूरी के मंजूरकर दिए।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश के नौ डिविजनों में तहत 103 करोड़ के 55 सड़कों के काम छोड़ दिए गए है व 41 करोड़ से 240 किमी सड़कों पर आशिंक काम हुआ है।
स्वच्छता के लिए 2010 से 2013 तक 16 करोउ़ रुपए मंजूर हुए इसमें से मार्च 2013 तक केवल 9करोड़ 20 लाख रुपए ही खर्च हुए है।
1023 करोड के कम करों का आकलन
कैग में 2012 -13 में प्रदेश की 241 औदयोगिक इकाइयों के करों का आकलन कर पाया कि इनमें से 780 मामलों में 1023 करोड़ 30 लाख रुपए के कर कम कर के आंके गए है।इन करों में वैट,बिकी कर,हुडज एंड पैसेंजर टैक्स समेत वनों से प्राप्तियां शामिल है।
सरकार ने 516 मामलों में 778 करोड़ 17 लाख रुपए कम आंकने की दावे को मान लिया है।विभा 183 मामलों में केवल66 करोड़ 53 लाख रुपएकी रिकवरीकर पाया हे।
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