शिमला।जयराम सरकार के मीडिया सलाहकार रोहित सावल के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रधान निजी सचिव विनय सिंह की आखिरकार विकेट गिर ही गई। बीती शाम को उन्हें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रधान निजी सचिव के पद से हटा दिया गया।
अब अगला नंबर मुख्यमंत्री के ओएसडी महेंद्र सिंह धर्माणी का बताया जा रहा है।रोहित सावल, विनय सिंह और धर्माणी को मुख्यमंत्री कार्यालय से हटाने के लिए एक अरसे से मुहिम चली थी।रोहित सावल को मीडिया सलाहकार के पद से इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया गया था। उन्होंने इस्तीफा देने के लिए कम से कम दो महीने का समय मिला व जब दिल्ली में एक चैनल में उनका इंतजाम हो गया तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में वह इस चैनल से भी अलविदा कह गए। सावल के जाने के बाद जयराम ने किसी अन्य व्यक्ति को मीडिया सलाहकार नहीं बनाया।कम से कम उन्होंने यहां पर सरकारी खजाने का पैसा तो बचा लिया।
इसके बाद 2001 बैच के एसएएस अधिकारी विनय सिंह व महेंद्र धर्माणी उन लोगों के निशाने पर आ गए थे,जिनके निशाने पर रोहित सावल रहे थे।
बहरहाल, बीच में लोकसभा चुनाव व उसके बाद विधानसभा के उपचुनाव के कारण इन दोनों की कुर्सी बचती गई। फिर बजट सत्र और उसके बाद कोरोना महामारी के कारण ये दोनों अब तक अपनी कुर्सी बचाए हुए थे। लेकिन बीती शाम को विनय सिंह से मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव जैसा महत्वपूर्ण पद छीन लिया गया। लेकिन धर्माणी अभी तक अपने पद पर बने हुए है।कहा जा रहा है कि वह जयराम सरकार में कोई अन्य ओहदा हासिल करने के लिए हाथ पांव मार रहे है।लेकिन जहां वह जाने की चाह पाले हुए है,वहां कुछ लोग उन्हें कतई भी बैठा हुआ देखना नहीं चाहते।ऐसे में वह वह अपना मौजूदा पद ही बचा कर रख पाए ये ही उनकी बड़ी उपलब्धि होगी।
गनीमत है विनय सिंह को मुख्यमंत्री का विशेष सचिव बने रहने दिया गया है। इसके अलावा उन्हें लोक निर्माण विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है।विनय सिंह अपने ढाइ साल के कार्याकाल में मुख्यमंत्री कार्यालय को ताकतवर नहीं बना पाए थे।ऐसे में उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा।
उधर,मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ढाइ साल के अपने शासन में अपना चौथा प्रधान सचिव बदल डाला है और अपने प्रधान निजी सचिव के पद एक सेवानिवृत आइएएस अधिकारी को बिठाना पड़ा है।
बीती शाम को जयराम सरकार ने 1991 बैच के आइएएस अधिकारी जगदीश चंदर को मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बना दिया। यह पद आइपीएस अधिकारी संजय कुंडू के पुलिस महानिदेशक बनने के बाद खाली हो गया था। इस पर अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य आरडी धीमान की ताजपोशी का इंतजार किया जा रहा था लेकिन बीच में स्वास्थ्य घोटाला उछल गया व उसकी आंच धीमान तक जा पहुंची।
ज्रगदीश चंदर शर्मा ढाइ साल के शासनकाल में मुख्यमंत्री जयराम के चौथे प्रधान सचिव बने है। इससे पहले शुरू में आइएएस अधिकारी मनीषा नंदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रधान सचिव बनी। कहा जाता है कि इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय में कुछ घटनाक्रम होते गए तो उन्होंने मुख्यमंत्री को इस बावत आगाह करना शुरू किया जो मुख्यमंत्री को रास नहीं आया व उन्होंने मनीषा नंदा को अपने प्रधान सचिव के पद से हटा दिया व तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीकांत बाल्दी को इस पर बिठा दिया।बाल्दी मुख्य सचिव बनने तक इस पद पर रहे । जब बाल्दी मुख्य साचिव बन गए तो उनकी जगह पर आइपीएस अधिकारी संजय कुंडू को बिठाया गया।
जयराम कुंडू को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से प्रदेश् का डीजीपी बनाने लाए थे। लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया व वह डीजीपी मरड़ी को हटा कर कुंडू को डीजीपी नहीं बना पाए। ऐसे में जयराम ठाकुर ने कुंडू को आइएएस अधिकारियों को दिए जाने वाले विभागों को प्रधान सचिव बनाना शुरू कर उन्हें मजबूत करना शुरू कर दिया। वह विजीलेंस, आबकारी व कराधान जैसे महत्वपूर्ण विभागों के प्रधान सचिव रहें। जैसे ही 30 मई को डीजीपी मरडी सेवानिवृत हुए कुंडू ने डीजीपी का पद हासिल करने में कतई देर नहीं की। ऐसे में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का पद खाली हो गया व जगदीश शर्मा को इस पद पर बिठा दिया गया।।
जगदीश शर्मा जनवरी 2022 में सेवानिवृत हो जाने में है व जयराम सरकार के पांच साल दिसंबर 2022 में पूरे होने है। ऐसे में जयराम सरकार को जगदीश चंदर शर्मा को या तो सेवाविस्तार देना पड़ेगा या फिर नया प्रधान सचिव नियुक्त करना पड़ेगा। इसके मायने यह कि पांच साल के शासन काल में पांच प्रधान सचिव।
याद रहे विपक्ष में रहते अधिकारियों को सेवा विस्तार या उन्हें दोबारा नौकरी पर रखने को लेकर भाजपा मुखर रही है।
विपक्ष में रहते हुए भाजपा सेवानिवृत अधिकारियों को पद पर बिठाने के घोर विरोधी रही है और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की कमान में पूरी विपक्षी पार्टी भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर इस बात को लेकर टूट कर पड़ती थी। भाजपा का वीरभद्र सिंह सरकार पर इल्जाम ही ये था कि सरकार को रिटायर्ड, टायर्ड और हायर्ड अधिकारी चला रहे है।
लेकिन अब मुख्यमंत्री जयराम खुद अपनी ही पार्टी के स्टैंड के खिलाफ जाकर व वीरभद्र सिंह के नक्शे कदम पर चल कर सेवानिवृत अधिकारियों की ताजपोशी करने पर उतर गए है। 30 मई को सेवानिवृत हुए 2000 बैच के आइएएस अधिकारी आर एन बत्ता को बीती शाम को सरकार ने मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव के पद पर बिठा दिया। इसके अलावा उन्हें सलाहकार भी बनाया गया है। जिस तरह से वीरभद्र सिंह अपने चहेते अधिकारियों को सरकारी खजाने के दम पर सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर ताजपोशियां देते थे, जयराम ठाकुर भी बिलकुल उसी राह पर चल पड़ रहे।सरकार का खजाना पहले ही डांवाडोल हो चुका है।इससे पहले श्रीकांत बाल्दी को मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत होने के बाद रेरा का मुखिया बना दिया गया अब बता को सेवानिवृति के एकदम बाद सलाहकार व प्रधान निजी सचिव बना दिया गया। साफ है वीरभद्र सिंह की तरह ही सरकारी खजाने से चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
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