शिमला।जयराम सरकार मे हुए कांस्टेबल भर्ती लिखित परीक्षा पेपर लीक मामले में सीबीआई ने हिमाचल के कई स्थानों समेत आधा दर्जन राज्यों के ठिकानों में छापेमारी की हैं। इस मामले में प्रदेश पुलिस पहले ही जांच पूरी कर अदालत में आरोपपत्र दायर कर चुकी हैं।
अब यह अजीब मामला बन गया है जिसमें प्रदेश पुलिस भी ओर सीबीआइ भी अलग जांच कर रही है और अलग –अलग आरोप पत्र दाखिल करेगी। हिमाचल पुलिस तो पहले ही चालान पेश कर चुकी हैं।
सीबीआइ ने आज इस मामले में प्रदेश के सात जिलों कांगडा,ऊना,मंडी हमीरपुर,कुल्लू, शिमला और सिरमौर में छापेमारी की।
इसके अलावा बिहार के नालंदा,समसतीपुर,मुंगेर,लकखीसराय,पटना व नवादा में छापेमारी की जबिक उतराखंड के हरिदवार और देहरादून के अलावा दिल्ली, पंजाब के पठानकोट,उतरप्रदेश के झांसी,वाराणसी,गाजीपुर,लखनऊ और अंबेदकर नगर और हरियाणाके रेवाडी जिला में छापेमारी की।
सीबीआइ का दावा है कि उसने सात राज्यों में कम से कम 50 ठिकानों में दबिश दी । साथ ही दावा किया है कि छापेमारी के दौरान संदेहास्पद दस्तावेज मिले हैं। अगर सीबीआइ को छापेमारी में कोई दस्तावेज मिले है तो फिर प्रदेश पुलिस ने जांच के दौरान इन कागजातों को हासिल नहीं किया होगा।
पूर्व की जयराम सरकार के कार्याकाल में प्रदेश में 13 सौ के करीब कांसटेबलों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। पेपर लीक होने का मसला सरकार तक पहुंचा था लेकिन सरकार व पुलिस ने इस बावत कुछ नहीं किया। बाद में कुछ युवक कांगडा एसी के कार्यालय में चले गए व उन्होंने कुछ सबूत पेश कर दिए। इसके बाद एसपी कांगडा खुशहाल शर्मा ने मामला दर्ज कर दिया।उसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया और चुनावी साल में राजनीतिक रणनीति के तहत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए। लेकिन सीबीआई ने इस मामले की जांच तुरंत शुरू नहीं की।
इस बीच प्रदेश पुलिसने तय किया कि जब तक सीबीआइ इस मामले की जांच शुरू नहीं करती है तब तक वह जांच जारी रखेंगी और डीजीपी कुंडू ने इस मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी ।एसआइटी ने तीव्रगतिसे जांच कर इस मामले को सुलझाने का दावा कर दिया और पेपर लीक करने का भंडा प्रिंटिंग प्रेस के एक अंशकालीन कर्मचारी के सिर फोड दिया।
इस मामले में हिमाचल पुलिस ने सवा सौ से ज्यादा आरोपियों को पकडा था व मामले को सुलझाने का दावा किया था। पुलिस ने अदालत में चालान भी पेश कर दिए थे।
जब सब कुछ प्रदेश पुलिस ने कर ही दिया था तो अचानक सीबीआइ ने कुछ अरसा पहले इस मामले को अपने सुपुर्द ले लिया। अब यह समझ से परे है कि सीबीआइ जिस मामले में चालान पेश कर चुकी है उसमें अब क्या ढूंढेंगी।
इस मामले में प्रदेश पुलिस ने पुलिस विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी थी जबकियह परीक्षाएं पुलिस विभाग ने ही करवाए थे व पेपर पुलिस अफसरों की कस्टडी में थे।
इस मसले पर कांग्रेस पार्टी ने पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर सवाल उठाए थे । बडा सवाल यही है कि क्या सीबीआइ प्रदेश पुलिस विभाग के अफसरों की भूमिका की जांच भी करेगी या जो जांच पुलिस ने कर रखी है उसी पर मोहर लगाएगी।अगर सीबीआइ नया कुछ नहीं निकाल पाई तो दो –दो एजेंसियों से जांच कराने का कोई मतलब नहीं हें।यह पेपर लीक मामला प्रदेश की जयराम नीत भाजपा सरकार में हुआ था। अब केंद्र की जांच एजेंसी जयराम के पुलिस अफसरों को क्लीन चिट दे पाएगी या नहीं यह दिलचस्प िस्थिति पैदा हो गई हैं।
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