शिमला। एक अरसे से वीरभद्र सिंह के अफसर सरकार की फजीहत कराने में कोई कोर -कसर नहीं छोड़ रहे है। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का मामला इकलौता फैसला नहीं है जिसमें सरकार के अफसरों की कारनामों की वजह से सरकार की फजीहत हुई हो।
ट्रांसपोर्ट सोसायटी के एक मामले में में वीरभद्र सिंह सरकार के रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी ने अपने पहले आदेश की फाइडिंग को कॉपी एंड पेस्ट कर हाईकोर्ट में जवाब दे दिया। हाईकोर्ट ने 14 नवंबर को अपने आदेश में प्रधान सचिव सहकारिता को आदेश दिए है कि वह रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करे।यही नहीं हाईकोर्ट ने याचिका कर्ता को भी कहा था कि अगर चाहे तो वो रजिस्ट्रार के खिलाफ अवमानना की अर्जी दायर कर सकते है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने पूरे मामले को रिवीजन अथारिटी सचिव सहकारिता को भेज दिया। वहां ये मामला अब 25 नवंबर को लगा है। सचिव सहकारिता अब असमंजस में है कि वो रजिस्ट्रार के खिलाफ क्या कार्रवाई करे। अगर कार्रवाई नहीं करते है तो अदालत की अवमानना में वह खुद लपेटे में आ रहे है।
ठाकुरदास भारदवाज व अन्य बनाम स्टेट आफ हिमाचल मामले में रजिस्ट्रार के जवाब पर हाईकोर्ट की टिप्पणियों से ये सामने आया है कि सरकारी अफसर हाईकोर्ट के आदेशों को कितनी गंभीरता से ले रहे है।
जिला सोलन व बिलासपुर की सीमा पर लगे जेपी कंपनी के सीमेंट कारखाने में मांगल लैंड लूजर्स इफैक्टिड ट्रांसपोर्ट कोआपरेटिव सोसायटी व अर्की के ट्रासपोर्टरों के बीच विवाद हो गया। सोसायटी व बाकी के ट्रांसपोर्टरों के बीच ढुलान के काम का 80 :20 के हिसाब से बंटवारा हुआ था। बाद में सोसायटी की एक मीटिंग हुई व इसमें सोसायटी ने ये बंटवारा 50:50 के हिसाब से कर दिया ।जब मामले का पता चला तो मामला रजिस्ट्रार के पास आ गया।
रजिस्ट्रार ने मामले की जांच संयुक्त रजिस्ट्रार से करा दी। संयुक्त रजिस्ट्रार की जांच में आया कि बंटवारे का काम जनरल हाउस ही कर सकता था लेकिन इसके लिए नोटिस ही नहीं दिया गया।कुछ ट्रांसपोर्टरों ने कहा कि उनके फर्जी दस्तख्त किए गए है। वो मीटिंग में थे ही नहीं।संयुक्त रजिस्ट्रार ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि सोसायटी का फैसला गलत है व रिपोर्ट रजिस्ट्रार को भेज दी।
जांच के आधार पर रजिस्ट्रार के आदेशों पर सहायक रजिस्ट्रार सोलन ने काम के बंटवारे की पहले वाली स्थिति बहाल कर दी। इस पर अर्की के ट्रांसपोर्टरों ने रजिस्ट्रार के समक्ष अर्जी भेजी वह ऐसा नहीं कर सकते। रजिस्ट्रार ने अब 50:50 वाली स्थिति बहाल रखी। लेकिन आदेश में बाकी के बिंदुओं पर कोई फैसला नहीं दिया।इस पर मांगल की ये सोसायटी दोबारा हाईकोर्ट पहुंच गई ।हाईकोर्ट ने सारे मामले पर नए सिरे से गौर करने के लिए दोबारा मामला रजिस्ट्रार को भेज दिया। रजिस्ट्रार ने हाईकोर्ट के आदेशों पर अपने पहले वाले आदेशों को ही कट एंड पेस्ट कर दिया व जनरल हाउस और फर्जी दस्तख्त वाले बिंदुओं पर कोई फाइंडिंग नहीं दी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आब्जर्व किया है कि रजिस्ट्रार ने अपने पहले वाले आदेश को कॉपी वपेस्ट कर दिया ये अदालत के आदेशों की अवहेलना है।इस पर मांगल की सोसायटी दोबारा हाईकोर्ट चली गई तो हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के खिलाफ टिप्पणी कर दी कि ये हाईकोर्ट के आदेशों की उल्ल्ंघना है।
अब सारा मामला मुख्य सचिव पी मित्रा के पास है। सचिव सहकारिता का प्रभार भी उन्हीं के पास है। अदालत ने कहा कि सचिव सहकारिता इस मामले को रविजन याचिका दाखिल होने के बाद तीन सप्ताह में निपटा देंगे।
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