शिमला। राष्ट्रीय हरित पंचाट ने प्रदेश सरकार के नगर नियोजन विभाग को शिमला विकास योजना -2041 जिसके तहत सरकार ने शिमला में पंचाट के आदेशों के खिलाफ जाकर भवन निर्माण का प्रावधान कर दिया था को इस योजना पर अगला कोई भी कदम बढ़ाने से रोक लगा दी है।
साथ ही पंचाट ने चेतावनी दी है कि इस आदेश की अवहेलना करने पर प्रदेश के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। । मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय कर दी है।
यह रोक के आदेश पंचाट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी,न्यायमूर्ति ए संथिल वेल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की प्रधान पीठ ने याचिकाकर्ता योगेंद्र मोहन सेनगुप्त की याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से तैयार किया गया शिमला विकास योजना 2041 का मसौद पूरी तरह से गैरकानूनी है और सरकार को ईमेल के जरिए कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया कि याचिकाकर्ता के आग्रह को क्यों न मंजूर कर लिया जाए। पीठ ने सरकार से एक महीने के भीतर जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि योजना का मसौदा सतत विकास के सिद्धांत के विपरीत और पर्यावरएा का ध्वंस करने वाला लोगां की सुरक्षा के खिलााफ हैं। इसके अलावा पंचाट ने अपनी 16 नवंबर 2017 के फैसले में पहले ही नियामक कदम उठाने के दिश निर्देश दे रखे कि राजधाानी में कोर व हरिट पटटी पर निर्माण पर रोक रहेगी व बाकी जगह कितने मंजिल के भवन बनेंगे व यह दिशा निर्देश अभी तक लागू है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार की ओर से बुरी नियत और गैरकानूनी तरीके से पंचाट के आदेशों की अवहेलना की गई है। इस अवहेलना के लिए विभाग के प्रमुख को सजा दिए जाने का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि पीठ का ध्यान पंचाट के आदेशें के खिलाफ योजना के मसौदे में राजधानी कई मंजिला भवन बनाने , कोर व हरति पटटी में निर्माण करने धंसने वाली व ढलान वाली जमीन पर निर्माण की इजाजत का प्रावधान करने की ओर दिलाया गया है।पीठ ने कहा कि अगर सरकार इस तरह आगे बढ़ती है तो इससे कानून का राज तबाह हो जाएगा और इससे पर्यावरण व लोगों की जिंदगी को भी तबाही भी परिणाम भुगतने पड़ सकते है।
पीठ ने कहा कि इस मसौदे में कानून के अवहेलन करने की मंशा या जानकारी के अभाव में निर्माण की इजाजत देने के लिए कई सारी दलीले दे रखी है जो सरकार के गैर जिम्मेदाराना व गैरकानूनी व्यवहार को दर्शाती है।
मसौदे में सरकार ने कहा है कि पंचाट के पास किसी शहर में किस तरह से भवनों का निर्माण होगा इसका फैसला करने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा भी कई दलीलें मसौदें में दी गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से पंचाट में कहा गया कि इस तरह की दलीलों से पता चलता है कि सरकार पंचाट के क्षेत्राधिकार की सीमाओं को अपने हिसाब से तय करने की कोशिश कर रही है जो कानून की उल्लंघना है और काननून बनी सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। सरकार के एक कानून व संविधान के तहत काम करती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि कानून की उल्लंघना करने के लिए मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाए। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को निर्धरित की गई है।
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