शिमला। एचपीसीए मामले में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर व बाकियोंं की ओर से थाने में नारेेबाजी करने पर दर्ज एफआईआर और सीजेएम की कार्यवाही को प्रदेश हाईकोर्ट नेेनिरस्त कर दियाहै।हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा की ओर से सुनाए गए फैसले में कहा गया कि कानून के मुताबिक थाने का एसएचओ इस मामले में सीजेएम की अदालत में अर्जी नहीं दे सकता था। ऐसा उसके वरिष्ठ अधिकारी या जिस संबंधित अफसर व कर्मचारी के काम में बाधा डाली गई थी ,वो शिकायत /एफआईआर दर्जकर सकता था।ऐसे में अदालत इस मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त करती है।
याद रहे है कि प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार ने सता मेंआने पर एचपीसीए को धूमल सरकार के समय दी जमीनोंं को लेकर एफआईआएर दर्ज की थीी। इसके अलावा पेड़ काटने के मामले भी एफआईआर दर्ज की थी। इसके विरोध में भाजपा सांसद व एचपीसीए के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर व बाकियों ने विजीलेंस थाने व एसपी के आफिस में विजीलेंस व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी।पुलिस ने सरकारी काम में बाधा डालने का मामला अनुराग व बाकी लोगों पर दर्ज कियाा था। मामला अदालत में गया तो अदालत ने अब बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को तलब कर लिया।
इस पर पूर्व मुख्य मंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर ने सीजेएम की ओर से की गई तलबी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी।हाईकोर्ट ने इस मामले को तकनीकी पहलुओं पर खारिज कर दिया। हालांकि ये बड़ा मामला नहीं था लेकिन अनुराग ठाकुर के लिए ये फैसला राहत भरा है।
जिन पहलुओ को लेकर हाईकोर्ट ने ये मामला खारिज किया है,उनको लेकर वीरभद्र सिंह की विजीलेंस पर सवाल खड़ेे हो गए है किआखिर उन्होंने इस तरह की खामियांं इस मामले में क्यों रखी है। अगर ऐसा ही करना था तो मामला ही दर्ज नहीं करते। मामले को विजीलेंस मुख्यालय से लेकर सचिवालय तक कई आला अफसरों ने वैट किया होगा।बावजूद इसके चूक हो जाना विजीलेंस व खुद मुख्यमंत्री की अपनी नीयत पर सवाल खड़ा कर देता है। मुख्यमंत्री के पास गृह मंत्री का जिम्मा भी है। एचपीसीए से जुड़े बाकी मामलों में भी इसी तरह की चूकें रखी गई है।ऐसे में संदेह होता है कि दोनों परिवारों के बीच मिलीभगत शुरू से ही चली हुई थी।
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