हमीरपुर( रजनीश ) सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के अनेक पंचायत प्रतिनिधि खुलकर विधायक राजेन्द्र राणा के समर्थन में आगे आ गए हैं और उन्होंने सुजानपुर मंडल भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए पूछा है कि पार्टी के लिए एक दशक तक पसीना बहाने वाले राजेन्द्र राणा को भाजपा से छह वर्ष के लिए निष्कासित करना, उन्हें भाजपा टिकट से वंचित करना , उनके खिलाफ आए दिन षडय़ंत्र रचना और चुनावों में उनकी डटकर मुखालफत करना क्या राजेन्द्र राणा को उनकी वफादारी के बदले में दिए जाने वाले किसी समान की श्रेणी में आता था या फिर राजेन्द्र राणा को हाशिये पर धकेलना भाजपा का कोई छिपा हुआ एजेंड़ा था ।
इन पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा है कि जनता के सुख , दुख में शामिल होने वाले राजेन्द्र राणा को जब भाजपा से निष्कासित करके टिकट से वंचित कर दिया गया था तो वह जनता के टिकट पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े और रिकार्ड मार्जन से चुनाव जीते। अब इलाके के विकास को गति देने और आम आदमी के हितों की पैरवी के लिए अगर राजेन्द्र राणा कांग्रेस के एसोसिएट सदस्य बने हैं तो यह फैसला भी उन्होंने इलाके की जनता की भावनाओं को सर्वोपरि रखकर , जनता को विश्वास में लेकर किया है। इस फैसले पर उंगली उठाने वालों को अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए।
आज एक संयुक्त बयान में जिला परिषद सदस्य ठाकुर लेखराज, जौल के प्रधान किशोर चंद, टीहरा के प्रधान मदन लाल, पटलांदर के प्रधान कैप्टन सुरेन्द्र , री पंचायत के प्रधान अशोक कुमार, बनाल के उपप्रधान अमर सिंह, धबडियाना की प्रधान केसरी देवी, उपप्रधान पृथीचंद, पनोह की प्रधान नीलम देवी, चलोह के उपप्रधान बरडू राम, ऊहल की प्रधान नर्बदा देवी, उपप्रधान अमीं चंद, चारियां दी धार की प्रधान मंगलेश कुमारी सहित अनेक पंचायती राज प्रतिनिधियों ने मंडल भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा है कि राजेन्द्र राणा की आलोचना करने वाले मंडल नेता यह बताएं कि क्या वे विधानसभा चुनाव में राजेन्द्र राणा के साथ कदमताल करके उनके लिए वोट मांगने निकले थे या भाजपा प्रत्याशी के लिए वे घर – घर जाकर वोट मांग रहे थे? इन नेताओं ने कहा कि जब राजेन्द्र राणा को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था , तब मंडल के नेताओं ने पार्टी के इस निर्णय का पुरजोर विरोध क्यों नहीं किया था।
विधायक राजेन्द्र राणा के समर्थन में आगे आए इन पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा है कि जनता के अटूट समर्थन से चुनाव जीते राजेन्द्र राणा के फैसले पर अब मंडल भाजपा के नेता हाय तौबा क्यों मचा रहे हैं। उन्हें किस बात की परेशानी हो रही है? क्या वे राजेन्द्र राणा की बढ़ रही लोकप्रियता से हताश हैं या महज अखबारों में अपने नाम छपवाने की लालसा में वे बैचेन हुए जा रहे हैं? इन पंचायत प्रधानों व पंचायत प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा है कि राजेन्द्र राणा के साथ वे चटटान की तरह पहले भी खड़े थे और अब भी खड़े हैं। इन नेताओं ने मंडल भाजपा से यह भी पूछा है कि उन्होंने आठ माह पहले निर्दलीय विधायक बने राजेन्द्र राणा को भाजपा में लाने के लिए क्या प्रयास किए? इन प्रतिनिधियों ने यह भी पूछा है कि विधानसभा चुनावों से पहले विधायक राजेन्द्र राणा ने जब भी अपनी सर्वकल्याणकारी संस्था के बैनर तले सुजानपुर हलके में कार्यक्रम आयोजित किए, तब मंडल भाजपा इन कार्यक्रमों के विरोध में फतवा किसके कहने पर जारी किया करती थी और वे कौन से नेता थे जो राजेन्द्र राणा को अपने राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा मानने लगे थे? भाजपा शासन में राजेन्द्र राणा के कार्यक्रमों में शामिल होने वाले कर्मचारियों के तबादले कौन करवाता था और राणा समर्थकों को चुन चुन कर निशाना किसके कहने पर बनाया जाता था? पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा है कि राजेन्द्र राणा सही मायनों में धरती से जुड़े हुए नेता हैं और विधानसभा चुनावों में उनकी जीत का मार्जिन कई दिग्गजों से ज्यादा रहा है।
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