एक को बताया आरएसएस पृष्ठभूमि का आयकर अधिकारी तो दूसरा उतर प्रदेश में हाल ही में हुए चुनावों में जीती भाजपा विधायक का पति
शिमला। आय से अधिक संपति मामले में फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मोदी सरकार में वित मंत्री अरुणजेटली के मंत्रालय के दो अफसरों का नाम लेकर मोदी सरकार पर उन्हें फंसाने के लिए साजिश रचने का संगीन इल्जाम लगा दिया हैं।
मोदी सरकार वैसे भी विश्वसनीयता के संकट से गुजर रही हैं।ऐसे में वीरभद्र सिंह का अफसरों का नाम लेकर इल्जाम लगाना कई सवाल खड़े कर देता हैं। हालांकि ये सही है कि जब कोई नेता घोटालों में फंसता हैं तो वो इस तरह की बयान बाजी करता ही हैं।
वीरभद्र सिंह ने मीडिया को आधिकारिक तौर पर बयान जारी कर इल्जाम लगाया कि आरएसएस पृष्ठभूमि के एक अधिकारी विनोद शर्मा उप निदेशक आयकर फरीदाबाद को उनके कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर आयकर विभाग चंडीगढ़ से मिले निर्देशों के अनुसार झूठी, आधारहीन तथा मनघंड़त सर्वेक्षण रिपोर्ट एवं डोजियर तैयार करने को कहा गया, जिसका उद्देश्य प्रवर्तन निदेशालय एवं सीबीआई को झूठे मामले तैयार करने में सहायता देना था।
जहां तक फार्म लैंड खरीदने का मामला है उसे उनके बेटे विक्रमादित्य की मै. मैपल कम्पनी द्वारा 1.20 करोड़ में खरीदा गया था, जिसके लिए उनके बेटे ने अपने खाते से 90 लाख की अदायगी उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की गई और शेष राशि उन्होंने स्वयं व्यक्तिगत जमा पूंजी से दी। उनके परिवार ने वी चन्द्रशेखर से 5.90 करोड़ रुपये की राशि का ऋण लिया और उस राशि को बहुत समय पहले पूरे ब्याज के साथ वापिस किया और उपयुक्त ढंग से आयकर राशि की भी अदायगी की।
उन्होंने कहा कि यह रिकार्ड में दर्ज है कि सम्पत्ति 1.20 करोड़ रुपये में खरीदी गई परन्तु ईडी द्वारा इसकी मूल्यांकन 27 करोड़ रुपये का किया गया। यह भी पता चला है कि एक अधिकारी अजय सिंह जिनकी धर्मपत्नी उत्तरप्रदेश में भाजपा की विधायक है, को नई दिल्ली स्थित आयकर के सहायक आयुक्त के रूप में मैपल की सम्पत्ति के आकलन की जिम्मेवारी सौंपी गई, जिन्होंने जानबूझ कर इस सम्पत्ति के मूल्य का कई गुणा आकलन कर इसे 27 करोड़ रुपये का दर्शाया और अब ईडी आधारहीन राजस्व आकलन की राशि को सनसनीखेज बनाने के लिए 27 करोड़ रुपये की दर्शा रही है, ताकि उनकी छवि को खराब किया जा सके।
उन्होंने कहा कि यह सभी तथ्य रिकार्ड पर हैं परन्तु फिर भी वर्ष 2013 से उनको तथा उनके परिवार के सदस्यों को कई केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि केन्द्रीय एजेंसियों का किस स्तर तक दुरूपयोग किया जा रहा है, यह इससे स्पष्ट होता है कि उनके पुत्रियों के विवाह तथा पुत्र को कानूनी रूप से व्यवसाय अपनाने में सहयोग को भी एक अपराध के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है और उनके विरूद्ध ऐसी कानूनी कार्रवाई की जा रही है, जैसे यह राजस्व मामला न होकर कोई आपराधिक मामला हो ।
उन्होंने कहा कि प्रर्वतन निदेशालय यह सब एक सुनियोजित योजना के अन्तर्गत कर रहा है, यह इस बात से स्पष्ट होता है कि कम्पनी की सम्पति को सम्बद्ध करने से पहले उन्हें कानूनी नोटिस तक नहीं दिया गया और मीडिया को इस कार्रवाई के बारे में गैर-सरकारी रूप में सूचित किया गया और सबसे बड़ी बात यह है कि कार्रवाई का समय इसे और अधिक संदेहास्पद बताता है।
उन्होंने कहा कि इसी मामले को वर्ष 2012 में प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा नेता श्री अरूण जेतली ने भी राजनीतिक लाभ के दृष्टिगत उठाया था परन्तु प्रदेश के लोगों ने उनके इन आरोपों को पूर्ण रूप से खारिज किया और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को सत्ता सौंपी । उन्होंने कहा कि वे इन सभी आरोपों के विरूद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे!
बहरहाल ,वीरभद्र सिंह ने कहा है कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई योजनाबद्ध तरीके से साजिश के तहत उनकी सार्वजनिक छवि को विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत धूमिल करने का प्रयास है। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त की गई सम्पत्ति के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का इल्जलाम भी लगाया व कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि मामले को सनसनीखेज बनाया जा सके।
उन्होंने मोदी सरकार पर सीधे-सीधे हमला बोल दिया ।वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनकी राजनीतिक छवि को खराब करने के लिए राजनीतिक विरोधी साजिश रचेंगे, इसकी तो उन्हें अपेक्षा थी, परन्तु यह चिंता का विषय है कि एक उत्तरदायी सरकार की एजेंसी इस प्रकार का व्यवहार करेगी और उनके खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाएगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार प्रदेश की निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है और ईडी व सीबीआई का उनके खिलाफ झूठे आरोपों की जांच के लिए दुरूपयोग किया जा रहा है, हालांकि अभी तक इन मामलों में उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।
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