न्यूयार्क।अमेरिका के नवर्निवाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1 बी बीजा पर अपना कड़ा रुख अपनाते हुए यह साफ कर दिया है कि वह अमेरिका को एक नई दिशा की ओऱ ले जा रहे है। साथ ही विदेशों से अमेरिका में नौकरी करने वालों की तनख्वाह में भी वृद्धी कर दी है। इससे अब अमेरिका के उद्योगपतियों को सस्ते दरों पर विदेशों से कामगार नहीं मिल पाएंगे।
ट्रंप के इस फैसले का सिधा प्रभाव भारतीय आईटी इंडस्ट्री औऱ पेशेवरों पर भी पड़ेगा। इस फैसले का सीधा असर यहां की प्रदयोगिकी कंपनियों में काम कर रहे भारतीयों पर दिखेगा। ट्रंप के इस फैसले के बाद भारत में आई.टी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को अमेरिका जाना मुश्किल हो जाएगा।
एच-1 बी बीजा के लिए पंजीकृत लोगों में से दो तिहाई भारतीय है जो वहां विभिन्न तरह की भारतीय आईटी इंडस्ट्री में कार्य कर रहे है जिनमें टीसीएस, इनफोसिस और विपरो मुख्य रुप से शामिल है। यही नहीं अब इस रोक का असर गुगल और असैंट्योर में काम का सपना संजोने वाले आई.टी. के छात्रों और इस क्षेत्र में काम कर रहे पेशेवरों पर पड़ेगा।
नियमों मे बदलाव के बाद अब सिर्फ वही विदेशी पेशेवर एच-1 बी बीजा के लिए पात्र होगें जिनका मासिक वेतन 1,30,000 डालर होगा। ट्रंप द्वारा जारी किये गए कार्यकारी आदेश के अनुसार पुर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा के कार्यकाल में विदेशों से पढ़ने आये विद्यार्थियों को पढ़ाई पूरी करने के उपरांत वहां काफी समय तक रहने की अनुमति दी जाती थी, जिसमें अब बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
होमलैंड सुरशा सचिव के अनुसार आदेश जारी होने के 90 दिनों के भीतर उन सभी नियमों में बदलाव किये जाएंगे जिन नियमों से देश और उसके कानूनों पर उसका प्रभाव पड़ता हो। साथ ही आदेश में श्रम और होमलैंड सुरक्षा सचिवों से यह अपिल की गई है कि वह देश की अखंडता और गरिमा को बनाये रखने में अपना पूरा योगदान दे।
ट्रंप के इस फैसले का मुख्य उदे्शय प्रवासी नितियों द्वारा अमेरिका पर हो रहे प्रभावों की जांच करना है। अमेरिका हर वर्ष लगभग 85,000 विदेशी पेशेवरों को एच-1 बी बीजा मुहैया करवाता है।
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