शिमला। पूर्व की जयराम सरकार में कोई भी घोटाला हो जाता था या कोई भी घटना हो जाती थी तो उसकी जांच के लिए प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू एसआइटी पर एसआइटी गठित कर देते थे। उन्होंने डीजीपी रहते न जाने कितनी एसआइटी गठित की व इनमें कई –कई अधिकारी सबंद्ध कर दिए ।
उनका ये खास तौर तरीका था। अब उनका ये गुरुमंत्र मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी ले लिया है और वह भी अब तमाम तरह के फैसले लेने से पहले मंत्रिमंडल की सब कमेटियां गठित करते जा रहे हैं।
आज यानी 9 फरवरी को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ही उन्होंने तीन सब कमेटिया गठित कर दी।
सुक्खू मंत्रिमण्डल ने आज यानी 9 फरवरी को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों को आवंटित तथा पट्टे पर दी गई और लम्बी अवधि से अनुपयोगी पड़ी राजस्व भूमि की समीक्षा के लिए एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति गठित करने का निर्णय लिया।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी इस उप-समिति के सदस्य होंगे।
इसके अलावा मंत्रिमण्डल ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों में अनुपयोगी पड़े रिक्त भवनों की समीक्षा के लिए एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति गठित करने का भी निर्णय लिया। नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी तथा आयुष मंत्री यादविन्द्र गोमा इस उप-समिति के सदस्य होंगे।
जबकि हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के तहत पुलिस जांच के कारण लम्बित विभिन्न परीक्षा परिणामों के कानूनी पहलुओं के परीक्षण के लिए उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति गठित करने को भी मंजूरी प्रदान की।
इस समिति में मुख्यमंत्री के लाडले उद्योग मंत्री हषवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी,हालीलाज कांग्रेस व सुक्खू विरोधी खेमे से लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और आयुष मंत्री यादविन्द्र गोमा को शामिल किया गया हैं।
जयराम सरकार में भी प्रदेश के नौकरशाह सरकार से ऐसी की सब कमेटियां बनावाया करते थे और मामले ऐसे ही लंबित डाल दिए जाते थे। सुक्खू सरकार में वही नौकरशाह राज कर रहे है और उन्हीं तौर तरीकों से सरकार चला रहे हैं। उनके ऐसे ही तौर तरीकों से जयराम सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी अब लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों का क्या हश्र होगा इसका इंतजार हैं।
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