शिमला।कुनिहार नागरिक अस्पताल से आज अस्पताल की लैब में टेस्ट कराने आए मरीजों व उनके तीमारदारों को वापस भेज दिया गया। इनमें से कुछ तो अस्पताल में ही दाखिल मरीज भी थे व बाकी दूसरे मरीज भी शामिल थे।
मरीजों के तीमारदारों के मुताबिक ऐसा नहीं था कि अस्पताल में लैब में काम करने वाले नहीं थे। वहां बरसों से टेस्ट करती आ रही एक लैब तकनीशियन मौजूद थी लेकिन बावजूद इसके आज टेस्ट नहीं हो पाए।
प्रदेश के तमाम अस्पतालों में बहुत से ऐसे टेस्ट है जिन्हें सरकार ने फ्री कर रखा है। इन्हें अस्पताल का ही स्टाफ करता है। कई जगहों पर आउटसोर्स पर कर्मचारी लगाए गए है तो कई जगहों पर आरकेएस की तरफ से तैनाती की गई है।
कुनिहार नागरिक अस्पताल में भी कुछ ऐसा ही इंतजाम किया गया है।एक मरीज के तीमारदार उमेश ने कहा कि उनके मरीज के सुबह डाक्टर ने बलगम और खून के टेस्ट के लिए लिखा था। जब वो लैब पहुंचे तो उन्हें वापस भेज दिया।
उधर, पता चला कि जो लैब तकनीशियन यहां तैनात है उसको आज अस्पताल प्रशासन ने काम नहीं करने दिया। उनके उपकरण उठावा दिए गए व मरीजों को कहा कि उनके टेस्ट कल होंगे।
उमेश ने कहा कि वहां स्टाफ में कुछ कांट्रेक्ट को लेकर समस्या है लेकिन खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा हैं ।उन्होंने कहा कि उनके मरीज को बुखार व बाकी तकलीफों की वजह से अस्पताल में दाखिल कराया गया है।लेकिन आज टेस्ट नहीं हुए।
इस बावत खंड चिकित्सा अधिकारी डाक्टर तारा चंद नेगी ने reporterseye.com से कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। वह पता करते है। उन्होंने कहा कि अब यहां पर कृष्णा लैब में टेस्ट होते हैं और एक नियमित लैब तकनीशियन भी हैं।ये पूछे जाने पर कि अगर नियमित लैब तकनीशियन अवकाश पर चला जाए तो फिर टेस्ट कौन करेगा।
डाक्टर नेगी ने कहा कि सरकार अस्पतालों में ये सब निजी हाथों में दे रही हैं। ऐसे में जरूरत ही नहीं हैं।अगर कोई न हो तो नमूनों को शिमला भेज जा सकता है। एक्सरे अब डिजिटल हो गए हैं।
जाहिर है कि अगर सब निजी लैब में ही होना है तो नियमित लैब तकनीशियन व बाकी स्टाफ की भी क्या जरूरत हैं।
यही नहीं अस्पताल में डाक्टरों की भी कमी हैं। दो डाक्टर पीजी करने चले गए हैं तो उनकी जगह अभी कोई नहीं आया है। ऐसे में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा हैं।
अपने 72 साल की बजुर्ग मरीज के साथ आए तीमारदार हरिचंद ने कहा कि वो सुबह से अस्पताल में परेशान रहे। वो अपनी बुजुर्ग मरीज को घर ले जाना चाहते थे। लेकिन अस्पताल वालों ने सुबह से लेकर उन्हें इधर से उधर घुमाए रखा और उन्हें पौने पांच बजे अस्पताल से छोड़ा। तब तक शाम हो चुकी थी व ठंड भी बढ़ गई थी।
वो पूरा दिन खाना भी नहीं खा पाए। मालू का बान गांव के रहने वाले हरिचंद ने कहा कि उन्हें अगर दिन को 12 या साढ़े बारह बजे अस्पताल से फ्री कर दिया जाता तो वह उन्हें अंधेरे में घर नहीं पहुंचना पड़ता। उन्होंने सुबह ही गाड़ी वालों को भी बोल दिया था वो भी साढ़े नौ बजे से शाम तक इंतजार करता रहा। गांव में वो अंधेरे में पहुंचे और बड़ी मुश्किल से मरीज को अंधेरे में उठा कर घर पहुंचाया।
अल्ट्रा साउंड की मशीन है पर चलाने वाला कोई नहीं
यही नहीं कुनिहार अस्पताल में अल्ट्रा साउंड मशीन भी अरसे से धूल फांक रही हैं।इसे चलाने वाला ही कोई नहीं हैं। ये अपने आप में हैरानी भरा है कि इतनी ज्यादा आबादी वाले कुनिहार के सरकारी अस्पताल में अल्ट्रा साउंड मशीन चलाने वाला ही कोई नहीं हैं। खंड चिकित्सा अधिकारी डाक्टर तारा चंद नेगी ने कहा कि अल्ट्रा साउंड मशीन तो है लेकिन इसे चलाने वाला कोई नहीं हैं।
बहरहाल, कुनिहार अस्पताल को लेकर और भी बहुत कुछ है। वो सब कभी आगे।
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