शिमला। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार में हिमाचल के भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के मामले में दर्ज किए गए मामलों व कांगड़ा की अदालत में दायर चालान को निरस्त करने की अनुराग ठाकुर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया हैं।
भाजपा ससद अनुराग ठाकुर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दखिल की गई थी। इन से तीन पर फैसला सुरक्षित रखा गया हैं व एक याचिका पर सुनवाई स्थगित हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट में इन मामलों की पैरवी कर रहे वकील स्रेहाशीष मुखर्जी ने कहा कि दो स्पेशल लीव पिटिशन थी व दो याचिकाएं अलग से थी।
इनमें से तीन पर फैसला सुरक्षित रखा गया है और एक याचिका पर सुनवाई स्थगित की गई हैं। याद रहे कि विजीलेंस ने एचपीसीए मामले में जमीन हथियाने,नियमों को ताक पर रखकर एचपीसीए को जमीन आवंटित करने व सरकारी जमीन पर कब्जा करने औ पेड़ काटने जैसे मामलों में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ,उनके पिता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व बाकियों
के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। विजीलेंस ने जांच के बाद इन मामलों में कांगड़ा कीअदालत में चालान पेश कर दिए थे। कांगड़ा की अदालत की ओर से आरोपियों को सम्मन जारी कर ने पर अनुराग ठाकुर ने इन मामलों में दर्ज एफआइआर और चालान को निरस्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थी । इनमें से एक याचिका को न्यायमूर्ति तिरलोक सिंह चौहान ने और एक याचिका को पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर ने खारिज कर दिया था। प्रदेश हाईकोर्ट के इन फैसलों के खिलाफ अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। चुनौती देते हुए अनुराग ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर वादी बना लिया था।
इस बीच प्रदेश में जयराम ठाकुर सरकार सता में आ गई और सता में आते ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एलान कर दिया कि एचपीसीए समेत वीरभद्र सिंह सरकार में राजनीतिक आधार पर दर्ज मामलों को सरकार वापस ले लेंगी। इस बावत प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने गए भी। जयराम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि प्रदेश सरकार इन मामलों को वापस लेना चाहती हैं। अदालत ने सरकार को कहा कि वह इस बावत राज्य स्तर पर कार्यवाही करे। अगर सुप्रीम कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी हैं तो वह मेरिट के आधार पर की जाएगी व सुनवाई स्थगित कर दी। लेकिन जिस दिन यह सुनवाई हो रही थी उस दिन वादी वीरभद्र सिंह की ओर से अदालत में दलील दी गई की इस तरह मामला वापस लेना गलत हैं। पूरी जांच हो चुकी हें। चालान पेश हो चुका हैं। प्रदेश हाईकोर्ट से अनुराग की याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।
इस पर अनुराग ठाकुर की से दलीलें दी गई कि वह वीरभद्र सिंह को बतौर वादी हटाना चाहते हैं। इस पर वीरभद्र सिंह की ओर से दलील दी गई कि वह वाद बनने के लिए नए सिरे से अर्जी दाखिल करेंगे।
18 जुलाई को अदालत ने अनुराग ठाकुर को निर्देश दिए थे कि वह अपनी याचिकाएं वापस लेनेचाहते हैं तो वापस लें ।
इस घटनाक्रम के बाद 26 जुलाई को अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह चाहते है कि मामले की सुनवाई पर मेरिट के आधार पर हो।
ऐसे में जयराम ठाकुर सरकार की ओर से इन मामलों को वापस लेने का रास्ता बंद हो गया। वैसे यह रास्ता था भी पेचिदा।
याद रहे कि दिसबंर 2012 में सता में आने पर वीरभद्र सिंह सरकार ने एचपीसीए के खिलाफ एक अगस्त 2013 को पहली एफआइआर की थी। इसके बाद कई और एफआइआर की गई। तब अनुराग ठाकुर एचपीसीए के अध्यक्ष थे। उसी दौरान प्रदेश सरकार ने रातों रात धर्मशाला में स्थित क्रिकेट स्टेडियम समेत एचपीसीए की सारी संपति सील कर ली थी। इसके खिलाफ अनुराग ठाकुर व एचपीसीए ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हिमाचल हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर ने सरकार को आदेश दिए कि इन संपतियों की जो स्थिति सील करने से पहले थी, वही बहाल कर दी जाए।
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