नई दिल्ली, 17 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने आज संसद से कहा कि भीड़ द्वारा लोगों की पीट पीटकर हत्या करने की घटनाओं से प्रभावी तरीके से निबटने के लिये नया कानून बनाने पर विचार किया जये।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने भीड़ और कथित गौ रक्षकों द्वारा की जाने वाले हिंसा से निबटने के लिये ‘‘ निरोधक , उपचारात्मक और दंडात्मक उपायों का प्रावधान ‘‘ करने के लिये अनेक निर्देश जारी किये।
पीठ ने कहा कि विधि सम्मत शासन सुनिश्चित करते हुए समाज में कानून – व्यवस्था बनाये रखना राज्यों का काम है।
पीठ ने कहा , ‘‘‘‘ नागरिक कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते , वे अपने – आप में कानून नहीं बन सकते। ’’
न्यायालय ने कहा कि ‘‘ भीड़तंत्र की इन भयावह गतिविधियों ’’ को नया चलन नहीं बनने दिया जा सकता। ’’ पीठ ने यह भी कहा , ‘‘ उसने कहा कि राज्य ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। ’’
पीठ ने विधायिका से कहा कि भीड़ की हिंसा के अपराधों से निबटने के लिये नये दण्डात्मक प्रावधानों वाला कानून बनाने और ऐसे अपराधियों के लिये इसमें कठोर सजा का प्रावधान करने पर विचार करना चाहिए।
न्यायालय ने तुषार गांधी और तहसीन पूनावाला जैसे लोगों की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका में ऐसी हिंसक घटनाओं पर अंकुश पाने के लिये दिशा निर्देश बनाने का अनुरोध किया गया है।
न्यायालय ने इसके साथ ही इस जनहित याचिका को आगे विचार के लिये 28 अगस्त को सूचीबद्ध किया है और केन्द्र तथा राज्य सरकारों से कहा है कि उसके निर्देशों के आलोक में ऐसे अपराधों से निबटने के लिये कदम उठाये जायें।
खचाखच भरे अदालत कक्ष में आदेश पढ़ रहे प्रधान न्यायाधीश ने इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों को पढ़कर नहीं सुनाया।
इससे पहले , शीर्ष अदालत ने भीड़ द्वारा हिंसा करने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुये गौ रक्षकों द्वारा पीट पीटकर हत्या के मामलों को अपराध बताते हुये कहा था कि यह सिर्फ कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है।
इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने कहा था कि शीर्ष अदालत के आदेशों के बावजूद गौर रक्षकों द्वारा लोगों को पीट पीटकर मारने की घटनायें हो रही हैं।
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पी एस नरसिंम्हा ने कहा था कि केन्द्र इस स्थिति के प्रति सचेत है और इससे निबटने के प्रयास कर रहा है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल छह सितंबर को सभी राज्यों से कहा था कि गौ रक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोका जाये। न्यायालय ने प्रत्येक जिले में एक सप्ताह के भीतर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने और खुद में ही कानून की तरह आचरण करने वाले गौ रक्षकों के खिलाफ तत्परता से कार्यवाही की जाये।
साभार एजेन्सी
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