शिमला।प्रदेश की कांग्रेस की सुखविदंर सिंह सरकार की ओर से रेरा के अध्यक्ष की नियुक्ति रेरा अधिनियम के तहत तय सीमा में न करने पर जब प्रदेश हाईकोर्ट से मार पड़ी तो अब सुक्खू सरकार रेंगने पर आ गई हैं।
हाईकोर्ट की मार के बाद सुक्खू सरकार ने पांव के बल खड़े होकर रेरा के अध्यक्ष यानी पूर्व मुख्य सचिव और मुख्य सूचना आयुक्त राम दास धीमान की नियुक्ति तो कर ही दी साथ ही एक और सदस्य यानी पूर्व आइएएस अमित कश्यप को तैनात कर दिया।
ये सब सुक्खू सरकार ने 24 जून को कर दिया। याद रहे हाईकोर्ट ने 20 जून के आदेश में इन नियुक्तियों को 25 जून से पहले करने या फिर 25 जून को मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में हाजिर रहने की हिदायत दी थी। इसके अलावा रेरा के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति न करने पर पांच लाख रुपए की कॉस्ट लगा दी थी।
अब 25 जून को सुक्खू सरकार ने अदालत को अवगत करा दिया कि उसने अध्यक्ष ही नहीं सदस्य को भी नियुक्त कर दिया है। इसलिए अब सरकार पर लगाई पांच लाख रुपए की कॉस्ट को माफ कर दिया जाए।
अगर ये सब ही करना था तो फिर सुक्खू सरकार ने रेरा अधिनियम का उल्लंघन किया ही क्यों। इससे बेहतर तो ये होता कि पहले ही सब कर लिया जाता। लेकिन समझा जा रहा है कि सुक्खू की नौकरशाही और और उनकी जुंडली तब तक बाज नहीं आती जब तक फजीहत नहीं हो जाती। वैसे भी कानून का उल्लंघन करने पर अदालतें कैसे मौन रह सकती है ,ये सुक्खू सरकार और उनकी जुंडली को अभी तक समझ नहीं आ रहा हैं।
बहरहाल,मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधेवाल और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने 25 जून को हुई सुनवाई पर सरकार की इस गुहार पर अभी गौर नहीं किया बल्कि नोटिस जारी किए है ताकि जिन लोगों ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है उनका पक्ष भी जान लिया जाए।
इसके अलावा इस याचिका के तहत मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार को भी चुनौती दी गई हैं। इस बावत खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्र सरकार का जवाब अभी रिकार्ड पर नहीं आया है जबकि सुक्खू सरकार और सक्सेना के जवाब को रिकार्ड पर ले लिया हैं।
अब मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित कर दी गई हैं।
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