शिमला।सुप्रीम कोर्ट की पर्यावरण को लेकर गठित मानिटरिंग कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व आइएफएस अधिकारी वी पी मोहन ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनकी सरकार को उसकी कारगुजारियों को लेकर बुरी तरह से धो डाला। वीपी मोहन ने कहा कि ग्रीन बेल्ट में एक बहुमंजिला इमारत बन रही है जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने बताया कि ये मुख्यमंत्री सुक्खू की इमारत हैं। हालांकि वो अभी इस बात पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने राजधानी शिमला में इस भवन के फोटो भी मीडिया को जारी किए व कहा कि वह प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे कि वह शिमला को बचाएं।
उन्होंने शिमला डवलपमेंट प्लान को भी कटघरे में खड़ा कर दिया व कहा कि सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर इसे मंजूर कराया गया । उन्होंने शिमला डवलपमेंट प्लान को शिमला डिस्ट्रक्शन प्लान करार दे दिया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अगले दस दिनों में मिलने की योजना बनाई है व कहा कि वही शिमला को बचा सकते हें। वीपी मोहन ने कहा कि हिमाचल खास कर शिमला इंवारनमेंटल क्रप्शन का अडडा बन गया है । ग्रीन बेल्ट में सरेआम निर्माण हो रहा हैं।प्रधानमंत्री को खुद शिमला आकर ये देखना चाहिए व किसी वरिष्ठ मंत्री को यहां भेजना चाहिए। जिस दिन शिमला डवलपमेंट प्लान को मंजूरी मिली उसी दिन से शिमला में निर्माण शुरू हो गया हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि पहाड़ों में विकास के लिए वाडिया इंस्टीटयूट आफ जियोलॉजी आफ हिमालय देहरादून को शामिल करे। इसके अलावा शिमला में चल रहे स्मार्ट सिटी के तमाम प्रोजेक्ट को बंद करवा दें। ये शिमला को स्मार्ट नहीं स्लम बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया तो वह खुद दिल्ली जाकर उनसे मिलेंगे।
इसके अलावा वह प्रधानमंत्री से शिमला में ईको टास्क फोर्स भेजने का भी आग्रह करेंगे। उनहोंने कहा कि जब मंसूरी तबाह हो रही थी तो ईको टास्क फोर्स को लाया गया था व मंसूरी को बचाया गया था।ये ईको टास्क फोर्स और हिमालयन वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ जियोलाली देहरादून ही है जो शिमला को बचा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ये सरकार व प्रशासन शिमला को हैंडल करने में विफल हो गए।देवदार लंग्ज है। हम लंग्ज में निर्माण कर रहे हें। गवर्नर से आधा घंटा बैठक की आगे कुछ नहीं हुआ। मैने वहां जाना ही बंद कर दिया।
उन्होंने कहा कि शिमला डवलपमेंट प्लान को तो गटर में फेंक देना चाहिए। इसे जला जला देना चाहिए। इसे फाड़ देना चाहिए। ये मैनुपुलेटिड हैं।ये शिमला डिस्ट्रक्शन प्लान हैं। अगर जंगल ही नहीं बचेंगे तो तो पहाड़ों में कैसे विकास करोगे । शिमला का जलवायू खराब हो रहा है। इस बार बर्फबारी ही नहीं हुई।नेताओं व नौकरशाहों को सरकारी गाउि़या मिली हुई है प्रोपेगेंडा करने के लिए वही हो रहा हैं।
उन्होंने नगर निगम शिमला के मेयर को भी कटघरे में खड़ा कर दिया व कहा कि वह कहते है कि उन्होंने दो सौ सूखे पेड़ कटाकर बड़ा काम कर दिया हैं। पूर्व वरिष्ठ आइएफएस अफसर ने कहा कि ये पेड़ खुद नहीं सूखे। इन्हें एसिड डाल कर सुखाया गया हैं । पेड़ गिराकर दावा कर रहे है कि बड़ा काम किया हैं। इन्हें देवदार के पेड़ कटवाना बड़ा काम हैं।
उन्होंने सुक्खू सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये सरकार अवैध निर्माण को रोकने व देवदार को बचाने में विफल हो गई हैं। इससे अब कोई उम्मीद नहीं बची हैं। वह राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक बैठक कर चुके हैं लेकिन काम की बात कुछ नहीं हो रहा हैं।
वीपी मोहन ने कहा कि एनजीटी ने अच्छा काम किया था 2017 में शिमला में हरित पटटी में निर्माण बंद कर दिया था। इसे बाद लोगों तकलीफ हो गई।यहां हर कोई बिल्डर है। हर कोई अपना गेसट हाउस बनाना चाहता है। नेता व नौकरशाह से लेकर बाकी लोगों को यहां पर अवैध निर्माण कर भवन बनाना चाहते है क्योंकि ये पर्यटन नगरी हैं।
चूंकि निर्माण पर बैन लग गया था इसलिए इन्होंने मिलकर शिमला डवलपमेंट प्लान बनाया। गुजरात की कंपनी को कंसलटेंट लगाया गया उसे करोड़ों की फीस दी गई।इस प्लान में काम की बात शून्य हैं। इन सबको यहां बहुमंजिला मकान बनाने थे।
उन्होंने दावा किया जब वह सुबह की सैर में जा रहे थे को किसी ने कहा कि नोल्जवुड में ग्रीन बेल्ट में सात मंजिला इमारत बन रही हैं। यह हरित पटिटका छह में बन रही हैं। उन्होंने उस शख्स पर भरोसा नहीं किया। उसने विभाग से गाड़ी मंगवाई व फोटोग्राफर को लेकर वह मौके पर पहुंचे तो लोगों ने बताया की ये मुख्यमंत्री की कोठी हैं।
उन्होंने कहा कि मैं अभी भी विश्वास नहीं कर रहा हूं। ये पहले से ग्रीन बेल्ट है। ये किसकी बिल्डिंग हैं। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि वह देवदार बचाना चाहते हैं।अगर शिमला में देवदार नहीं हैं तो शिमला तबाह हैं। किसकी बिल्डिंग है वहां पर हैं।अथारिटी नहीं सुन रही मैं देवदार बनाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि शिमला को ये सरकार नहीं बचा सकती।
उन्होंने कहा कि लोगों को पागल बनाने के लिए ये सरकार कह रही है कि आठ और ग्रीन बेल्ट बना दी है। जबकि पहले की 17 बेल्ट में निर्माण शुरू करवा दिया हैं। लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि जो पहले की 17 ग्रीन बेल्ट है उन्हें जमीन पर चिन्हित कराओ उनकी फैंसिंग कर ाकर पहले उन्हें बचाओ। इनको बचाने में ये सरकार समर्थ नहीं हैं।
अपना किस्सा भी सुनाया
उन्होंने अपना किस्सा भी सुनाया व कहा कि जब उन्होंने शहर की 19 हरित पटिटयों में इंटरलिकिंग व चेन लगावाई थी तो उन पर सरकार ने केस कर दिया। उन पर इल्जाम लगाया गया कि उन्होंने इसमें पैसे खाए। उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि वह आगे आए व इसे साबित करे। सरकार साबित नहीं कर पाई। तमाम काम डीएफओ ने किया था।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद जताई कि वही कुछ कर सकते हैं।वह उनसे मिलने का समय मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि
वह प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे कि शिमला की 19 हरित पटिटयों को बचाएं इसमें जिस भी नेता, नौकरशाह व अन्यों ने निर्माण शुरू किया है उसे बंद कराया जाएं। वह प्रदेश सरकार से तो निराश हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि वह हर मामले में मोदी के साथ है लेकिन एक मामले में साथ नहीं हैं। बटिंडा व शिमला में विकास का एक मॉडल नहीं हो सकता। पहाड़ों में विकास बिलकुल अलग तरह से किया जाने की जरूरत हैं। पहाड़ों में रिस्क नहीं ली जा सकती।
भाजपा व कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया।
उन्होंने भाजपा व कांग्रेस दोनों को कटघरे में खड़ा किया व कहा कि भाजपाइ कह रहे हैं कि हमने शिमला डवलपमेंट प्लान बनाया। कांग्रेस कह रहीहै कि हमने अच्छे वकील दिए। जबकि सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया गया। सरकारें हिमाचल खास कर शिमला के वनों को खत्म करने पर तुली हैं।
जस्टिस बवई से वीडियो कांफ्रेंसिंग करने से इंकार
86 वर्षीय वीपी मोहन ने कहा कि शिमला डवलपमेंट प्लान पर जजमेंट देने वाल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों की पीठ के मुखिया जस्टिस बी आर गवई से उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष्ज्ञ रखने का समय मांगा था। उनके निजी सचिव से बात भी की थी। लेकिन बीते रोज ही उन्होंने उन्हें संदेश दे दिया कि वह उनसे भी नहीं मिलना चाहते। जब सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किा जा सकता है तो बाकी क्या बचता हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन डालने से भी कोई फायदा नहीं हैं। इस याचिका को भी सार्वजनिक तो नहीं सुना जाएगा। इसे सर्कुलेशन में सुना जाएगा। वहां गलत तथ्य रखकर नक्शे पास कराने का काम किया गया हैं।
सुक्खू सरकार शिमला के देवदार बचाने में सक्षम नहीं
उन्होंने कहा कि ये सरकार शिमला के देवदार बचाने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने निर्माण की परमिशन दी ।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल हाउस से सेंट बीटस जाने वाली सड़क पर सरकार ने सड़क के ऊपर व नीचे दोनों जगहों पर निर्माण की परमियान दे दी हैं।साथ में कहते है कि जहां पेड़ हें वहां परमिशन नहीं दी हैं। ये लोगों को मूर्ख बनाने जैसा हैं । क्या यहां व जाखू में बिना पेड़ गिराए निर्माण संभव हैं।
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