शिमला। हिन्दी व अँग्रेज़ी के चर्चित साहित्यकार व समीक्षक डॉ. कुँवर दिनेश सिंह की हिन्दी कहानियों का संग्रह जब तक ज़िंदा हैं, प्रकाशित होकर आया है। इस संग्रह में कुल दस कहानियाँ हैं जो भारतीय समाज के विविध पहलुओं को उजागर करतीं हैं। इन कहानियों में छोटे नगर और ग्रामीण समाज की जीवन-शैली की झलक देखी जा सकती है। साथ ही विविध मानवीय संबंध और ईश्वरीय सहायता पर उनकी निर्भरता इन कहानियों का महत्त्वपूर्ण विषय है।
हिमाचल प्रदेश साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखकए कुँवर दिनेश की हिन्दी और अँग्रेज़ी में कविता और आलोचना की कई पुस्तकें प्रकाशित और पुरस्कृत हो चुकी हैं। मूलत: हिमाचल प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाले डॉ. कुँवर दिनेश सिंह वर्तमान में शिमला में रहते हैं जहाँ वे एक राजकीय महाविद्यालय में अँग्रेज़ी के प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।
इन कहानियों में कथाकार कुँवर दिनेश ने भारतीय समाज के संस्कारों व जीवन मूल्यों को बेहद मार्मिक ढंग से उकेरा है। रिश्तों का मान, बुज़ुर्गों का सम्मान, परम्परा का अधिमान, एकल नारी की स्थिति, विधवा की परिस्थिति, बच्चों के मनोभाव, मानव के नियत स्वभाव एवं कृत्रिम हावभाव ― इन सबका लेखक ने गहरी संवेदना एवं अनुभूति तथा सजीवता के साथ चित्रण किया है। कथ्य की परिपक्वता एवं शिल्प की सुगढ़ता इन कहानियों को रुचिकर बनाती हैं। आम आदमी के जीवन के सूक्ष्मतर पहलुओं एवं बुनियादी समस्याओं पर केन्द्रित ये कहानियाँ अनूठी हैं और लीक से हटकर हैं। इन कहानियों में रमी हुई हिमाचली पहाड़ी भाषा की आंचलिक सुगन्ध, इन्हें और अधिक आत्मीय बनाती है।
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