शिमला। होली के दिन बिलासपुर सदर से पूर्व कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर पर उनके ही के घर पर खूनी होली खेलने का कांड करने वालों की जांच करने के लिए डीजीपी अतुल वर्मा ने जिन आइपीएस अधिकारी सौम्या सांबशिवन की कमान में एसआइटी बनाई हैं,उनका पिछला रेकार्ड खंगालना लाजिमी हैं।
इस एसआइटी में डीआइजी सौम्या सांबशिवन की टीम में एसपी बिलासपुर संदीप धवल, डीएसपी चंदर पाल और हरमन सिंह इंस्पेक्टर शामिल किए गए हैं।
ये जांच हाल ही में केंद्रीय डेपुटेशन से लौटे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आइपीएस ज्ञानेश्वर सिंह की देखरेख में होंगी। ज्ञानेश्वर कभी सोलन के एसपी रह चुके हैं।
इस मामले में फायरिंग करने वाले फरार हमलावर पुलिस ने धर दबोच लिए है ऐसी जानकारी भीतर से मिल रही है लेकिन अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा हैं।
बहरहाल, पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार में जब गुडिया कांड हुआ था और शिमला के एसपी डोडुंप वाग्याल नेगी यानी डी डब्ल्यू नेगी को इस पद से हटाए जाने पर सौम्या सांबशिवन को शिमला का एसपी लगाया गया था। वह शिमला में एएसपी भी रह चुकी थी।
उन्होंने तब तमाम दबावों को दरकिनार कर जांच की थी। यही नहीं शिमला एसपी रहते एक महिला ने किसी कर्नल पर रेप का इल्जाम लगा दिया था। इल्जाम लगाया था कि कर्नल उसे होटल में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म कर दिया। इस मामले में भी एफआइआर न करने को लेकर उन पर भारी दबाव था लेकिन उन्होंने एफआइआर करने का फैसला लिया और कर्नल को दबोच लिया। बेशक बाद उक्त आरोपी को क्लीन चिट भी मिल गई।
गुडिया कांड में ही जब तत्कालीन आइजी जहूर हैदर जैदी की कमान में बनी एसआइटी की ओर से पकड़े आरोपियों में से एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में मौत हो गई तो उन भर सूरज की लाश को सूरज के परिजनों को देने का दबाव बनाया गया ताकि लाया का अंतिम संस्कार कर दिया जाए।सौम्या सांबशिवन ने सीबीआइ से संपर्क किया और लाश सूरज के परिजनों को नहीं दी। सीबीआइ ने सूरज की लाश का दोबारा पोस्टमार्टम कराया व तमाम तरह के नमूने लेकर उन्हें फारेंसिंक लैब को भेजा। तभी पता चला कि सूरज के साथ पुलिस ने हिरासत में बर्बरता की थी, उसे उसके साथियों ने नहीं मारा था।
इसी मामले में बाद में ट्रायल के दौरान सूरज हत्या कांड में सीबीआइ के चंगुल में फंसें तत्कालीन आइजी जहूर हैदर जैदी ने सौम्या सांबशिवन पर उनके पक्ष में गवाही देने का दबाव बनाया। तब जैदी जमानत पर आ गए थे। सौम्या इस दबाव के आगे झुकी नहीं और सीबीआइ के नोटिस में जैदी की हरकत को ला दिया। इसके बाद जैदी की जमानत खारिज हो गई और उन्हें सलाखों के पीछे रहना पड़ा। अदालत में भी उन्होंने वही बयान दिया जो सही था। सूरज हत्याकांड में जैदी को उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी हैं।
उपरी शिमला में वन भूमि पर सेब बगीचे से अवैध कब्जाधारियों से कब्जा हटवाने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट ने जो टीम बनाई उसमें भी सौम्या सांबशिवन को शामिल किया गया था। कुल मिलाकर ये कि उन पर दबाव तो नहीं चलता है। अब देखना है कि बंबर ठाकुर फायरिंग मामले में क्या सामने आता हैं। इस फायरिंग में बंबर ठाकुर और उनके पीएसओ घायल हो गए है। बंबर का आइजीएमसी शिमला व पीएसओ का एम्स बिलासपुर में इलाज चल रहा हैं।
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