शिमला। जून-जुलाई 2022 राजधानी के माल रोड स्थित रिपोर्टिंग रूम के करीब हिमाचल रसोई में सिलेंडर लीकेज की वजह से गैस एकत्रित होने पर हुआ गैस धमाका था या बम धमाका इसे लेकर देश की प्रमुख जांच एजेंसी एनएसजी और एशिया की बेस्ट फारेसिंक प्रयोगशाल जुन्गा की रपटें कथित तौर पर अलग-अलग हैं। फारेसिंक लैब जुन्गा की रपट में किसी भी विस्फोटक का अंश नहीं मिला था जबकि दावा किया जा रहा है कि एनएसजी की रपट में इस धमाके में कोई विस्फोटक सामने आया हैं। यह विस्फोटक क्या है व कहां से आया है इसकी संभवत: सीआइडी जांच हो ही रही होंगी।
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि अगर एनएसजी की जांच में यहां पर विस्फोटक पाया गया है तो उसे फारेसिंक लैब जुन्गा क्यों नहीं पकड़ पाई। क्या फारेसिंक लैब जुन्गा उन्नत लैब नहीं हैं।
इस दावे को जुन्गा फारेसिंक लैब की निदेशक मीनाक्षी महाजन ने सिरे से खारिज कर दिया हैं।हालांकि एनएसजी की रपट में क्या है इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया हैं। लेकिन कुंडू ने अदालत में कहा था कि यह ब्लास्ट था। यानी रसोई गैस लीकेज की वजह से धमाका हुआ है इससे दीगर बात एनएसजी की जांच में सामने आई हैं।
कुंडू की ओर से ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दावा किया गया कि शिमला बम धमाके की जांच सही नहीं की गई यह धमाका था। यह अपने आप में सनसनीखेज हैं। चूंकि दावा डीजीपी की ओर से अदालत में किया गया है तो जाहिर है ये गंभीर भी हैं। उनकी ओर से हाईकोर्ट में पैरवी करने वाले वकील संजय जैन ने अदालत में यह भी कहा था कि एसपी शिमला की इस बावत सरकार से कार्रवाई करने को भी लिखा था। इसलिए एसपी शिमला का रवैया उनके प्रति दुश्मनी वाला हो गया ।
यह सब कारोबारी निशांत शर्मा की शिकायत पर उठे विवाद के बीच प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने के आदेश के बाद अदालती कार्यवाही में सामने आया ।
बहरहाल इस दावे के बाद फारेंसिक लैब जुन्गा की रपट कटघरे में खड़ी हो गई। लेकिन फारेसिंक लैब जुन्गा की निदेशक मीनाक्षी महाजन ने अपनी रपट को बिलकुल सही करार देते हुए कहा कि कि ये लैब एशिया की बेस्ट लैब में से एक है। उनकी टीम मौके पर गई थी । तीन चार दिनों तक रही और तमाम तरह के सैंपल लिए। पूरा प्रोटोकाल अपनाया गया। रसायनिक तरीके से भी व उपकरणों के जरिए भी जांच की प्रक्रिया पूरी की गई। लीकेज की वजह से यह साधारण रसोई गैस एकत्रित होने से हुआ धमाका हैं। क्राइम सींस से बम के सबूत नहीं मिले हैं। न ही कोई रसायन मिला हैं। अगर ऐसा होता तो आसानी से पकड़ में आ जाता ।
महाजन ने कहा कि उनकी लैब में विशेषज्ञ अपने काम में पूरी तरह से निपुण हैं। उनके विशेषज्ञों की रपट सौ फीसदी सही हैं। उनकी टीम के लोगों को पेशेवर महारत हासिल हैं।एनएसजी की टीम को जांच में क्या मिला इस बावत उनसे यानी फारेसिंक लैब जुन्गा से तो रपट साझा नहीं की गई हैं। अगर रपट साझा की जाएगी तो वह आगे कुछ टिप्पणी कर पाएगी।
यही नहीं उन्होंने कहा कि इसी तरह का धमाका बीते दिनों कोटखाई में एसडीएम के आवास पर हुआ था,वहां पर भी बिलकुल वही स्थिति थी जो शिमला में हिमाचल रसोई में थी। इसके अलावा कुल्लू में भी इसी तरह का हादसा हुआ था।
अरसा पहले प्रदेश में एक बम धमाका हुआ था उसमें आरडीएक्स सामने आ गया था। तो जब वहां चूक नहीं हुई तो यहां चूक कैसे हो सकती हैं।
याद रहे इस बम धमाके की जांच अब सीआइडी को सौंप दी गई हैं।अब सीआइडी इस मामले में क्या खुलासा कर पाती है इसका इंतजार रहेगा।
बहरहाल, अब इस मामले में कई सवाल उभर कर सामने आ गए हैं। अगर यहां पर सच में बम धमाका हुआ है तो एशिया की बेस्ट फारेसिंक लैब में से एक जुन्गा लैब में यह सब सामने क्यों नहीं आया।
इस मामले ने अब फारेसिंक लैब जुन्गा ही नहीं एनएसजी की जांच को भी कटघरे में खड़ा कर दिया हैं।
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