शिमला।सुक्खू सरकार की ओर से नियुक्त किए गए छह मुख्य संसदीय सचिवों की कुर्सी बचेगी या चली जाएंगी ये वरिष्ठ वकील व सपा के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने कपिल सिब्बल की कानूनी दलीलों पर निर्भर करेगा। प्रदेश की सुक्खू सरकार की ओर से सीपीएस मामले में कल यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाई में कपिल सिब्बल और महाधिवक्ता अनूप रतन सरकार का पक्ष रखेंगे।
महाधिवक्ता अनूप रतन प्रदेश हाईकोर्ट में ही दलीलें देते रहे है कि हिमाचल सरकार की ओर से नियुक्त किए मुख्य संसदीय सचिवों के मामले में वो कानून नहीं लगता जो असम में नियुक्त किए गए मुख्य संसदीय सचिवों के मामले में लगाया गया था। असम में नियुक्त संसदीय सचिवों को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया था। उसी तर्ज पर अब हिमाचल हाईकोर्ट ने भी सुक्खू सरकार के मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधनिक करार दे दिया है।
उधर कल की सुनवाई के दौरान बीजेपी की ओर से सीपीएस को लेकर हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराने को लेकर तो दलीलें दी ही जाएंगी लेकिन साथ ही इन नियुक्तियों को आफिस आफ प्राफिट के दायरे में साबित करने की भी कोशिश की जाएगी।
अगर सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की दलीलों का संज्ञान लिया तो इन मुख्य संसदीय सचिवों को विधायकी भी खतरे में है। सिब्बल को इसीलिए मैदान में उतारा गया है।
हिमाचल सरकार के संदर्भ में कल की सुनवाई बेहद महत्वपूर्ण है। ये मामला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पपीठ के समक्ष में लगा है।
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