अनुबंध सेवा काल में पास की इंजीनियर डिग्रियां ए जल शक्ति विभाग में सेवा काल कोटा से बना दिए एसडीओ
संघ आने वाले विधानसभा चुनावों में इन धांधलियों को मुद्दा बनाएगा और नोटा का प्रयोग कर अपनी नाराजगी जताएगा।
रजनीश शर्मा
हमीरपुर । हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति हिभाग में कहिष्ठ अभियंताओं की पदोन्नति में कई प्रकार की त्रुटियां और भ्रष्टाचार की बू सामने आ रही है। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने इस मामले को अतिरिक्त मुख्य सचिव जल शक्ति विभाग तथा इंजीनियर इन चीफ जल शक्ति विभाग के समक्ष भी कई बार उठाया लेकिन अभी तक विभाग की तरफ से कोई जबाव हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी संघ को मिला है।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी संघ के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया है कि जल शक्ति विभाग में कनिष्ठ अभियंता की पदोन्नति में त्रुटियों और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। उन्होंने कहा कि विभाग में तैनात जिन कनिष्ठ अभियंताओं ने अनुबंध सेवाकाल के दौरान इंजीनियरिंग डिग्रियां पास की थी उनको सहायक अभियंता कोटा से एसडीओ बना दिया गया है जबकि पदोन्नति नियमावली के अनुसार ए एम आई ई का कोटा नियमित सेवा काल में डिग्री पास करने वालों को ही दिया जाता है। जब से विभाग बना है तब से ए एम आई ई कोटा केवल उन कनिष्ठ अभियंताओं को मिलता था जो नियमित सेवाकाल के दौरान ए एम आई ई की उपाधि प्राप्त करते थे] लेकिन जनवरी 2021 में हुए आदेशों के अनुसार यह कोटा उन कनिष्ठ अभियंताओं को दे दिया गया जिन्होंने अनुबंध सेवाकाल के दौरान इंजीनियरिंग की डिग्रियां ए एम आई ई की उपाधि हासिल की थी।
सूूत्र केे अनुसार यहां पर एक बात गौर करने योग्य है कि पदोन्नति नियमावली में पदोन्नति के लिए हमेशा नियमित सेवा काल को ही सेवा काल में गिना जाता हैए जिससे स्पष्ट होता है कि जहां पर पदोन्नति नियमावली में नियुक्ति तथा सेवाकाल सब आता है व्यक्ति तथा नियमित सेवा को ही दर्शाता है लेकिन हाल ही में हुए नियमों के अनुसार विभाग ने पदोन्नति नियमावली में बने नियमों के मूल अर्थ को ही बदल दिया गया है । पदोन्नति आदेश हिमाचल प्रदेश कार्मिक विभाग के एक ओपिनियन के अनुसार किए गए हैं जिनमें विभाग को गुमराह किया गया है।
नियमों के तहत उस सेवाकाल के दौरान कोई शैक्षणिक योग्यता प्राप्त हो तो उससे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। पदोन्नति नियमावली के अनुसार आज तक नियमित इससे पहले जो भी कनिष्ठ अभियंता इंजीनियरिंग इसके समकक्ष डिग्री धारक होते थे उनको स्नातक कोटे से पदोन्नत किया जा सकता था और जब से सरकार में अनुबंध नीति लागू की है तब से सिर्फ एक बार में भर्ती 2019 में इस नियम को लागू किया गया।
पदाधिकारी ने सवाल उठाया है कि अनुबंध नीति के अनुसार एक साल में केवल 17 से अधिक आकस्मिक अवकाश का प्रावधान नहीं है तो फिर उन कनिष्ठ अभियंताओं ने अनुबंध सेवाकाल के दौरान विभिन्न संस्थानों से इंजीनियरिंग डिग्रियां कैसे पास कर ली। कनिष्ठ अभियंताओं की अनुबंध नीति में प्रावधान है कि यदि कोई बिना अवकाश के अनुपस्थित रहता है तो उसका अनुबंध एग्रीमेंट समाप्त हो जाएगा।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने इस मामले को अतिरिक्त मुख्य सचिव जल शक्ति विभाग तथा इंजीनियर इन चीफ जल शक्ति विभाग के समक्ष बार बार उठाया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। संघ आने वाले विधानसभा चुनावों में इन धांधलियों को मुद्दा बनाएगा और नोटा का प्रयोग कर अपनी नाराजगी जताएगा।
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