दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्रीय मंत्री व हिमाचल के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर और दिल्ली के भाजपा नेता प्रवेश वर्मा के खिलाफ देश के गददारों को ..गोली मारो.. जैसे नारे लगाने के मामले में एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं। याचिका में इन दोनों युवा नेताओं पर नफरती भाषण देने के इल्जाम लगाए गए हैं।
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही याची की याचिका को खारिज कर चुका हैं अब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई हैं।हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एफआइआर दर्ज करने के लिए सीआरपीसी की धारा 196 के तहत मंजूरी जरूरी हैं। इस मामले को वामपंथी नेता वृंदा कारत दिल्ली हाईकोर्ट ले गई थी व इन दोनों नेताओं के खिलाफ एफआइआर करने की मांग की थी लेकिन अदालत ने उनके आग्रह को खारिज कर दिया था।
आज मामले की सुनवाई न्यायामूर्ति के एम जोजेफ और बी वी नागरत्ना की खंडपीठ में हुई। खंडपीठ ने कहा कि निचले कोर्ट का यह कहना कि एफआइआर के लिए मंजूरी जरूरी हैं , सही नहीं हो सकता हैं।
न्यायमूर्ति के एम जोजेफ ने अदालत में कहा कि मैं भरोसा करता हूं कि मंत्री अनुराग ठाकुर का देश के गददारों से मतलब ट्रेटर से हैं और गोली मारों का मतलब जाहिर तौर दवा की गोली से तो नहीं ही था।
याद रहे ये भाषण इन दोनों नेताओं ने दिल्ली विधानसभा के चुनावों से पहले 2020 में दिए थे । उस समय में दिल्ली में सीएए के विरोध में प्रदर्शन हो रहे थे।
इस मामले दिल्ली की एक निचली अदालत ने दोनें नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश देने से इंकार कर दिया था । इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट गया व हाईकोर्ट ने कहा था कि सीआरपीसी के तहत बिना मंजूरी के एफआईआर दर्ज करने याचिकाएं अब अाम बात हो गई है और चिंताजनक हैं।
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