शिमला। प्रदेश नौकरशाही में वरिष्ठता में दूसरे स्थान पर 1988 बैच के आइएएस अधिकारी संजय गुप्ता से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा छीन लिया हैं। कभी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले संजय गुप्ता प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में चल रही कारगुजारियों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम रहे ।
वह बोर्ड में अरसे से करतूतें दिखा रहे अधिकारियों पर नकेल कसने में पूरी तरह से विफल रहे। जबकि उनसे बहुत से लोगों ने उम्मीद लगा रखी थी कि जो अधिकारी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है वह बोर्ड में अरसे से करतूतें दिखा रहे अधिकारियों को तारे दिखा देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। वह अपना जलवा नहीं दिखा सके। उल्टे उन्हीं की कारगुजारियों को सरकार के कानों तक पहुंचा दिया गया और आखिर में उन्हें बीते रोज पद से हटा दिया गया । वह मुख्यमंत्री सुक्खू का भरोसा नहीं जीत पाए।जयराम सरकार में भी वह हाशिए ज्यादा महत्वपूण पदों पर नहीं रहे थे। बाद में उन्हें ,निशा सिंह व राम सुभग सिंह को जयराम ने और हाशिए पर धकेलते हुए सलाहकार बना दिया था व उनसे कनिष्ठ आइएएस राम दास धीमान को मुख्य सचिव लगा दिया था।
लेकिन सुक्खू ने रामसुभग सिंह व उनको मुख्य धारा में लाया पर…
सुक्खू सरकार के सत्ता में आने पर संजय गुप्ता मुख्य सचिव की दौड़ में आगे थे। इसके बाद भी वह मुख्य सचिव बनने के लिए प्रयासरत रहे लेकिन सुक्खू ने उन्हें मुख्य सचिव नहीं बनाया।
सुक्खू ने संजय गुप्ता से दो साल कनिष्ठ 1990 बैच के आइएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव बनाया हुआ है। जबकि संजय गुप्ता से भी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी 1987 बैच की महिला अफसर निशा सिंह को सुक्खू ने हाशिए पर रखा हुआ हैं। उनके पति राम सुभग सिंह को जरूर सेवानिवृति के बाद सुक्खू ने सरकार में सलाहकार लगाया हुआ हैं।
बीते रोज हुए प्रशासनिक फेरबदल में संजय गुप्ता से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जिम्मा वापस ले लिया है व उन्हें बिजली बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया हैं। प्रदूषण नियुत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा आइएएस अधिकारी ओंकार शर्मा को दिया गया हैं। वह इस मलाईदार बोर्ड में क्या गुल खिलाते है इसका इंतजार रहेगा।
जानकारी के मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में अधिकारियों व कर्मचारियों का एक वर्ग संजय गुप्ता के कार्यकलापों से खुश नहीं था। कुछ बेहद प्रभावशाली अधिकारी भी उन्हें लंबे अरसे से यहां से हटाने की कोशिश में लगे थे। इसके अलावा उदयोग जगत से भी कई प्रयास हो रहे थे। विपक्ष की नजर में तो उनके कामकाज थे ही।
उधर,बिजली बोर्ड में एक अरसे से कर्मचारी आंदोलन की राह पर है। कर्मचारियों ने पहले पूर्व अध्यक्ष राम सुभग सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था उसके बाद अब तक अध्यक्ष का जिम्मा संभाल रहे कनिष्ठ आइएएस अधिकारी ऋषिकेश मीणा के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था। अब संजय गुप्ता कर्मचारी आंदोलन को कैसे संभालेंगे यह आने वाला समय ही बताएगा।
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