शिमला। हिमाचल में वामपंथी पार्टी माकपा के संस्थापक सदस्य व वामपंथ के हस्ताक्षर कामरेड मोहर सिंह का बीती रात को पीजीआइ में चंडीगढ़ में निधन हो गया। वामपंथी पार्टी माकपा के लाल झंडे में लपेट कर अपने पार्थिव शरीर को आज सुबह इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज को दान कर दिया गया । वामपंथियों के बीच गुरू जी के नाम से मशहूर कामरेड मोहर सिंह का प्रदेश में वामपंथ की जडे जमाने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।
25 दिसम्बर 1948 को शिमला जिला की दुर्गम तहसील कुपवी के गांव चलायन में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे मोहर सिंह ने कठिन परिश्रम करके पढ़ाई की और एक दुर्गम क्षेत्र से निकलकर प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमफिल किया। इस बीच उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य भी किया। मार्क्सवादी विचारों से प्रेरित होकर 1974 में मोहर सिंह ने सीपीआई (एम) की सदस्यता ग्रहण की और 1977 में पार्टी के कुलवक्ती कार्यकर्ता हो गए। इसी बीच विश्वविद्यालय में एसएफआई को गठित करने में भी इनका अहम् योगदान रहा। 1977 में जब पंजाब से अलग होकर प्रदेश में पार्टी का पुनर्गठन किया गया और 5 सदस्सीय तदर्थ कमेटी बनाई गई तो उन पांच सदस्यों में मोहर सिंह भी एक सदस्य रहे। कामरेड ताराचन्द उस कमेटी के संयोजक थे।
1985 से 1991 तक मोहर सिंह पार्टी के कार्यवाहक सचिव रहे और 1991 में माकपा के आठवें सम्मेलन में उन्हें पार्टी का सचिव चुना गया। वे 2004 तक पार्टी के राज्य सचिव रहे। प्रदेश में भारत की जनवादी नौजवान सभा को बनाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
कामरेड ने ताउम्र वाम विचारों आगे बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनका जीवन बहुत ही सरल और सादा रहा। मोहर सिंह प्रख्यात मार्क्सवादी चिंतक रहे। उनमें काडर की सही पहचान करने की अद्भुत क्षमता थी। आज प्रदेश में माकपा का अधिकतर वरिष्ठ नेतृत्व उन्हीं की खोज और मार्गदर्शन का प्रतिफल है।
माकपा के केन्द्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य एवं पूर्व राज्य सचिव को करीब एक सप्ताह पहले उन्हें पक्षाघात हुआ था। माकपा ने कामरेड मोहर सिंह के देहांत को अपूर्णीय क्षति बताते हुए गहरा शोक प्रकट किया है।
शनिवार को मोहर सिंह की इच्छानुसार उनके परिजनों और पार्टी के सैंकड़ों सदस्यों की मौजूदगी में उनका शव इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान शिमला को सौंप दिया गया। इस मौके पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए और अंतिम विदाई दी गई।
माकपा के सचिवमंडल के सदस्य और विधायक राकेश सिंघा ने अपने अल्प वक्तव्य में कहा कि कॉमरेड मोहर सिंह का जीवन सही मायनों में प्रेरणादायक है। वे जीवनभर विचारों का दान करते रहे और मरने के बाद सामाजिक सेवा के निमित अपनी देह का भी दान कर दिया। सिंघा ने कहा कि गुरूजी अपने अंतिम दिनों में भी प्रदेश की सामाजिक परिस्थितियों पर शोध कर रहे थे। पार्टी उनके द्वारा किए गए शोध कार्य का प्रकाशन करेगी ताकि अन्य शोधकर्ता भी उससे लाभान्वित हो सके।
माकपा के राज्य सचिव ओंकार शाद ने कहा कि 29 जनवरी 2019 को गेयटी थियेटर में मोहर सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए शोकसभा आयोजित की जाएगी जिसमें माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी सहित अन्य नेता भी शामिल होंगे।
ओंकार शाद ने कहा कि यह सार्वजनिक श्रद्धांजलि सभा होगी जिसमें सीपीआई (एम) के सदस्य, कॉ. मोहर सिंह के सम्बन्धी और अन्य दलों के लोग और कामरेड के प्रशंसक शामिल हो सकते हैं।
(2)