शिमला।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल के 1989 बैच के आइपीएस पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने आदेश दिए हैं। उन पर धर्मशाला के कारोबारी निशांत शर्मा को धमकी देने वालों का साथ देने का शक जताया गया हैं।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद राव और न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने डीजीपी के अलावा एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री को भी एसपी कांगड़ा के पद से हटाकर दूसरी जगह तैनात करने के आदेश दिए हैं।
सेवानिवृति से चंद महीने पहले इस तरह अदालत की ओर से पद से हटाए जाने के ये आदेश कुंडू के लिए बड़ा झटका हैं। कुंडू 1989 बैच के आइपीएस अधिकारी है। इस आदेश से प्रदेश की कांग्रेस की सुक्खू सरकार भी कटघरे में खड़ी हो गई हैं। जब यह मामला सरकार के नोटिस में आया था कि डीजीपी ही इल्जामों के घेरे में है तो उन्हें पहले ही उनके पद से हटा कर दूसरी जगह तैनाती दे देती । ऐसे में सुक्खू सरकार देश भर में अपनी फजीहत से बच सकती थी लेकिन सीएम सुक्खू ने ऐसा नहीं किया । संभवत: वह पहली बार मुख्यमंत्री बने है ऐसे में शायद अनुभव की कमी की वजह से ऐसा हुआ होगा।
यह है मामला
जिला कांगड़ा के पालमपुर के निशांत शर्मा नामक कारोबारी ने 28 अक्तूबर 2023 को मुख्य न्यायाधीश के नाम एक चिटठी लिखी थी। अदालत ने इस चिटठी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुक्खू सरकार से जवाब तलब किया था।
चिटठी में ये थे इल्जाम
निशांत शर्मा ने इस चिटठी में इल्जाम लगाया था उस पर उस के पिता पर एक बेहद अमीर व्यक्ति जिनमें एक पूर्व आइपीएस अधिकारी है और दूसरा वकालत करता है दबाव डाल रहे हैं।
निशांत ने कहा कि वह एक कारोबारी परिवार से हैं और पालमपुर में एक होटल चलाता हैं। इस पूर्व आइपीएस अधिकारी और वकील के एक रिश्तेदार ने उसकी कंपनी में विभिन्न प्रोजेक्टों में निवेश कर रखा हैं।जब ये वकील वितीय संकट में उलझा तो उसने पूर्व आइपीएस के प्रभाव के जरिए उससे व उसके पिता पर पैसे हड़पने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया।
निशांत ने शिकायत में कहा कि ये पूर्व आइपीएस अधिकारी और वकील उस पर कंपनी उनको बेचने का दबाव बना रहे हैं। वह कंपनी के आडिटरों को धमकी रहे हैं और उसे व उसके पिता को रिटर्न नहीं भरने दे रहे है और कानूनी तौर पर जरूरी बैठकें नहीं करने रहे हैं और किराए के गंडों के जरिए जानलेवा हमले भी करवा रहे हैं।
निशांत ने इल्जाम लगाया कि गुरुग्राम में 25 अगस्त को उसके पिता के घर के गेट पर वह व उका ढाइ साल बेटा गैंगस्टरों के योजनाबद्ध हमले में बाल –बाल बचे थे।उसने लिखा कि उसे डीजीपी कार्यालय से लगातर फोन आ रहे हैं। इसके अलावा पालमपुर के डीएसपी और एसएचओ के फोन भी आ रहे हैं। निशांत ने इमेल में इन काल्ज के समय का विवरण भी भेजा था।
निशांत ने मेल में लिखा था कि एसएचओ पालमपुर का वाटसएप पर संदेश आया जिसमें कहा गया कि डीजीपी कुंडू उसे बात करना चाहते है और वह उसे फोन नंबर भी दिया। जब उसने डीजीपी को फोन किया था डीजीपी कुंडू ने उससे शिमला में आकर मिलने के लिए कहा।
निशांत ने दावा किया कि 27 अक्तूबर को वह धर्मशाला में भागसूनाग में अपनी पत्नी व बेटे क साथ था। जब वह भगसूनाग से मैक्लोडगंज की ओर जा रहा था तो उसे पल्सर बाइक पर सवार दो लोगों ने रोका ।वह उसकी वत्नी व बेटे के पास गए और उन्हें भी रोका। उनमें से एक ने उसको गालियां देनी शुरू की व दूसरा मोबाइल पर इस घटना को गुरुग्राम में हुई घटना की तरह रिकार्ड करने लगा।
इन्होंने उसे धमकी दी कि अगर उसने गुरुग्राम में दर्ज कराई पुलिस शिकायत वापस नहीं ली तो वह व उसके बेटे के गायब कर दिया जाएगा। इसके बाद वे दोनों भाग गए। बाइक में नंबर प्लेट नहीं थी।
उसने लिखा कि वह लगातार डर में रह रहा है व हिमाचल का पुलिस का ससे बड़ा पुलिस अफसर कथित तौर पर उनके साथ है जो उसे मार डालना चाहते हैं।
उसने कहा कि वह इस घ्ज्ञटना के बाद पत्नी व बच्चे समेत एसपी कांगड़ा के आवास पर भी गए लेकिन वह घर पर नहीं थी । उसने एसपी के पीएसओ को भी फोन किया व उसके बाद वह घर लौट आए ।
शिकायत में अदालत से दखल देने का आग्रह करते हुए उसे व उसके परिवार को इस पूर्व आइपीएस और वकील और उनके बेहद खंख्चार सहयोगियों से बचाने की प्रार्थना की।
खंडपीठ ने अपने आदेश में लिखा कि इसी तरह की इमेल निशांत ने 28 अक्तूबर को एसपी कांगड़ा और गृह सचिव को भी भेजी थी।लेकिन मैकलोड़गंज थाने में कोई एफआइआर दर्ज नहीं की गई।यही नहीं निशांत की ओर से गुरुग्राम पुलिस को दी शिकायत पर भी केवल डायरी में शिकयत दर्ज की गई और एफआइआर दर्ज नहीं की गई।
अदालत में शुरू हुई कार्यवाही
प्रदेश हाईकोर्ट में 9 नवंबर को इमेल के आधार पर ये याचिका दायर की गई और 10 नवंबर को मामले की सुनवाई हुई। मामले में हिमाचल के गृह सचिव, एसपी कांगड़ा और एसपी शिमला को पार्टी बनाया गया।
खंडपीठ ने एसपी कांगड़ा व शिमला को 16 नवंबर तक मामले में स्टेटस रपट दायर करने के आदेश दिए।
16 नंवबर को एसपी कांगड़ा व एसपी शिमला ने अदालत में स्टेटस रपट दायर की । खंडपीठ ने इन दोनेां को आदेश दिए कि वह निशांत की परिवार को उचित सुरक्षा मुहैया कराएं।खंडपीठ ने आदेश में कहा कि सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को भरोसा दिलाया कि इस मामले में कांगड़ा एसपी की ओर से एफआइआर दर्ज की जाएगी।
मामले की सुनवाई 22 नंवबर को निर्धारित की गई।
खंडपीठ ने कहा कि इसके बाद कहीं जाकर 16 नंवबर को मैक्लोडंगज थाने में अनजान लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 341,504,506 और 34 के तहत एफआइआर दर्ज की गई।
यह शिकायत देने के 18दिन बाद और हाईकोई में याचिका दायर होने के एक सप्ताह बाद दर्ज हुई।
कांगड़ा एसपी की स्टेटस रपट
कांगड़ा एसपी की ओर से 16 नंवबर को दायर स्टेटस रपट में एसपी कांगड़ा ने कहा कि शिकायत कर्ता ने उसे इमेज भेजी जिसमें लिखा था कि दो लोगों ने उसे फोन किया व उसे कहा गया कि उसके खिलाफ शिमला में कोई एफआइआर हुई हैं।
एसपी ने यह भी कहा कि शिकायत कर्ता की सेंट्रल सीआइडी स्टाफ की ओर से निगरानी रखी जा रही हैं। बाकि पहलुओं पर वह कुछ नहीं कहेंगी।
शिमला एसपी की स्टेटस रपट
शिमला एसपी संजीव गांधी की स्टेटस रपट में सामने आया कि 4 नवंबर को डीजीपी कुंडू ने छोटा शिमला थाने में निशांत शर्मा के खिलाफ धारा 299,469,499, 500 और 505 के तहत एफआइआर दर्ज कराई गई।
स्टेटस रपट में एसपी ने डीएसपी की ओर से तैयार रपट का हवाला देते हुए कहा कि काल डाटा रिकार्ड और निशांत की ओर से बताए गए फोन नंबर के सीएएफ से पता चला कि 27 अक्तूबर को निशांत पर भागसूनाग में हमला होने से बिलकुल पहले डीजीपी संजय कुंडू और निशांत के बीच बातचीत हुई थी। डीजीपी के कार्यालय के लैंड लाइन से निशांत के नंबर पर 15 मिस्ड काल्ज गई जो निशांत के बयान से मेल खाती हैं।
एसपी शिमला संजीव गांधी ने अपनी रपट में कहा कि शिकायत कर्ता ने इल्जाम लगाया है कि डीजीपी संजय कुंडू ने उसे शिमला आने के लिए दबाव बनाया लेकिन उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस पहलु की जांच की जरुरत हैं।
एसपी गांधी की रपट में कहा गया है कि निशांत 27 अक्तूबर को भागसुनाग में था इस बावत सीसीटीवी फुटेज मिली हैं। इसके अलावा निशंत की ओर से जबरन रोकने, धमकी ,जबरन उगाही आदि इल्जामों की गहन व विस्तृत जांच की जरूरत हैं।
एसपी गांधी ने आगे लिखा कि 27 अक्तूबर को डीजीपी कुंडू के फोन पर कहने पर शिमला आने से इंकार करने के कुछ समय बाद ही दो लोगों ने निशांत को रोका व गुरुग्राम में दर्ज एफआइआर को वापस लेने का दबाव बनाया।
शिमला एसपी ने अपनी रपट में कहा कि शिकायत कर्ता ने प्रापर्टी मामले को सैटल करने के लिए उगाही व आपराधिक बल इस्तेमाल करने के जो इल्जाम लगाए गए हैं उनके प्रथम दृष्टया सबूत हैं।
डीजीपी कुंडू के कार्यालय के दुरुपयोग और किराए पर आपराधिक गैंग जैसे इल्जामों की विस्तृत जांच की जरूरत हैं।
एसपी शिमला के मुताबिक निशांत की शिकायत पर मामला दर्ज न होना एक तथ्य हैं और हाई प्रोफाइल अधिकारियों और आपराधिक गैंगों का कारोबारियों के विभिन्न हिस्सोंदारों के बीच विवाद को निपटाने के लिए एक हिस्सेदार से उगाही करना व आपराधिक खाका बुनने आदि को नकारा नहीं जा सकता।
यही नहीं एसपी गांधी ने अपनी रपट में यह भी हवाला दे दिया कि गुरुग्राम में भी डीसीपी को दी गई शिकायत पर केवल डायरी एंट्री ही की गई एफआइआर दर्ज नहीं की गई जबकि निशांत ने जो वीडियो मुहैया कराया था उमें आपराधिक बल इस्तेमाल होने के पर्याप्त सबूत हैं।
भागसूनाग में निशांत पर हुए हमले और गुरुग्राम में हुए हमले के पीछे इरादा और उददेश्य आपस में मेल खाते हैं और दोनों जगहों पर एफआइआर दर्ज न होना साफ करता है कि अपराध को नजरअंदाज किया गया।
एसपी के मुताबिक मैक्लोड़गंज और गुरुग्राम हमला करने वालों या गैंग का हमला करने का तौर तरीका एक जैसा हैं ऐसे में आपराधिक साजिश की का पता लगाने के लिए जांच की जरूरत हैं।
14 दिसंबर को एसपी कांगड़ा ने अदालत में एक और स्टेटस रपट पेश कि जिसमें उन्होंने कहा कि पूर्व आइपीएस और वकील के बीच 27 जून से और9 नवंबर को वकील के बीच कई बार काल्ज हुई। कुछ काल्ज वकील कह किसी अन्य मोबाइल नंबर पर भी हुई और इस अन्य नंबर पर हुई काल्ज का डाटा मांगा गया हैं।
एसपी शिमला का अन्य स्टेटस रपट में कहा कि एसडीपीओ और एसएचओ पालमपुर ने सीआरपीसी की धारा
161 के तहत दिए बयान में कहा कि डीजीपी कार्यालय ने उन्हें जानकारी दी थी कि निशांत के होटल को निगरानीद पर रखा जाए लेकिन निगरानी के दौरान वहां कोई गैर कानूनी गतिविधि सामने नहीं आई
एसपी शिमला ने डीजीपी के सीनियर स्केल स्टेनोग्राफर और रीडर के बयानों का हवाला भी दिया है जिसमें कहा गया है कि डीजीपी ने 27 अक्तूबर को निशांत से बातचीत की थी। यह निशांत के फोन की सीडीआर से भी मेल खाती है और उसकी मैकलोड़गंज में होने की पुष्टि करती हैं।
एसपी ने कहा कि वकील जिसकी निशांत के साथ कारोबार में साझेदारी है उसकी फोन काल्ज से पता चला है वह डीजीपी से संपर्क में रहा है और सितबंर, अक्तूबर और नवंबर में छह बार काल्ज हुई हैं । सबसे लंबी काल 25 अक्तूबर 256 सेकंड की हैं। यह काल निशांत पर मैंकलोडंगंज में हुए हमले से दो दिन पहले हुई हैं।
एसपी शिमला ने कहा कि डीजीपी निशांत की लगातार जांच कर रहा था लेकिन वह ऐसा किस उददेशय व कारणों से कर रहा था यह जांच का विषय हैं।हैं।इसके अलावा डीजीपी कुंडू शिकायतकर्ता के हिस्सेदारों लगातार संपर्क में रहा हैं।इसके बाद अदालत ने महाधिवकता को स्टेटस रपट का अध्ययन करने व सरकार से दिशा निर्देश लेने का आग्रह किया और मामले की सुनवाई 21 दिसबंर को निधारित कर दी।
महाधिवक्ता का रोल
21 दिसंबर को सुनवाई दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जांच डीजीपी के प्रभाव के बिना निष्पक्ष तरीके से की गई है लेकिन उन्होंने इस बात पर कुछ संकेत नहीं दिए कि जब यह जानना चाहा कि क्या यह जांच तब भी निष्पक्ष चल सकती जब डीजीपी निशांत के साझेदार वकील जिसके साथ विवाद है,के साथ लगातार संपर्क में रहा हो। जब डीजीपी कुंडू निशांत की लगातर निगरानी करा रहा हो । जब डीजीपी ने 27 अक्तूबर को मैकलोडगंज में निशांत पर हुए हमले से पहले निशांत से बात की हो और उसे मिस्क काल्ज की हो।
यही नहीं डीजीपी ने खुद शिकायतकर्ता के खिलाफ धारा 299,469, 499,500 और 505 के तहत एफआइआर दर्ज कराई हो।
इस दौरान अदालत मित्र नीरज गुप्ता ने कहा कि एसपी शिमला की ओर से सामने लाई गई सामाग्री को देखते हुए ऐसे निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। एसपी कांगड़ा की जांच बेहद धीमी रही हैं और एफआइआर दर्ज करने में भी देरी की गई।
यही नहीं एसपी शिमला की ओर से एकत्रित की गई जानकारी को भी एपी कांगड़ा ने इस्तेमाल नहीं किया।
इसके अलावा एसपी कांगड़ा ने जो एफआइआर दर्ज की उसमें जानबूझ कर 341,504,506 और 34 जैसी कमजोर धाराएं लगाई गई हैं जबकि 327,347,323,506,352 और 120 बी के तहत मामला बनता हैं। अदालत मित्र ने कहा कि इस मामले में डीजीपी कुंडू के प्रभाव की जबरदस्त संभवना रही है और अगर वह अपने पद पर रहा तो न्याय की उम्मीद कम हैं।
अदालत की टिप्पणियां
खंडपीठ ने कहा कि एसपी कांगड़ा 28 अक्तूबर को शिकायत मिलने के बाद एफआइआर दर्ज करने में नाकाम रही और जांच भी नहीं की । वह इसका जवाब देने में नाकाम रहीं। एफआइआर 16 नवंबर को दर्ज की गई वह भी अदालत में मामला आने के बाद।
वह यह भी नहीं साफ कर पाई कि उसने एसपी शिमला की ओर से एकत्रित सामाग्री को इस्तेमाल क्यों नहीं किया। जबकि इसे गहन जांच के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।
एसपी शिमला की रपट में यह प्रथम द्ष्टया साफ होता है कि डीजीपी निशांत के साझेदार वकील के साथ संपर्क में रहा हैं। शिकायत कर्ता को लगातार संपर्क करता रहा हैं। निशांत के शिमला आने के लिए इंकार करने के बाद उसे मैकलोड़गंज में रोका जाता है और धमकाया जाता हैं। डीजीपी ने निशांत को निगरानी में रखा और 4 नवबंर को निशांत के खिलाफ एफआइार दर्ज करा दी।
खंडपीठ ने कहा कि इतनी सामाग्री सामने आने के बाद निष्पक्ष जांच के जारी रहने की संभवनाएं कम हो जारी हैं। इसके अलावा सुक्खू सरकार को एसपी कांगड़ा व एसपी शिमला की रपटों का अध्ययन करने का पूरा मौका दिया गया ताकि डीजीपी को उनके पद से हटाया जाता लेकिन सरकार ने इस मामले में जरा भी कदम नहीं उठाया। इसलिए अदालत इस मामले को अपने हाथ मे ंलेती है ताकि एफआइआर की निष्पक्ष जांच हो सके। अदालत इस सिंद्धांत पर चल रही है न्याल होना ही नहीं चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए।
सुक्खू सरकार पर टिप्पणी
खंडपीठ ने कहा कि इतनी सामाग्री सामने आने के बाद भी सरकार ने इस ओर आंखें बंद की हुई हैं। ऐसा उसने क्यों किया है वह वही जानती हैं।
अदालत ने सरकार को आदेश दिए कि वह डीजीपी कुंडू और एसपी कांगड़ा को तुरंत हटा दें ताकि मामले की जांच सही तरीके से हो सके।
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