शिमला। सुक्खू सरकार की ओर से प्रो टेम स्पीकर के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर चुने हुए विधायकों को शपथ दिलाने व मंत्रिमंडल गठन से पहले मान्यता देने के मसले पर बहस शुरू हो गई हैं। जयराम ठाकुर को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तो मान्यता दे दी गई है लेकिन उन्होंने भी अभी विधायक की शपथ नहीं ली हैं।ऐसे में बहस शुरू हो गई है कि क्या किसी दल का कोई भी प्रत्याशी जो जीत कर आया है वह सदन में विधायक की शपथ लेने से पहले विधानसभा का सदस्य माना जा सकता है या नहीं। उधर,क्या प्रो टेम स्पीकर किसी विधायक को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता दे सकता है या नहीं। अमूमन यह काम नियमित स्पीकर के अधिकार में आता है।
पूर्व स्पीकरों के मुताबिक नए चुने हुए विधायकों को शपथ दलाने के अलावा प्रोटेम स्पीकर को और कोई काम नहीं होता है और अब तक कुछ और काम उन्होंने किया हो ऐसा उन्हें याद ही नहीं हैं।
कहा जा रहा है कि अगर कोई आपात परिस्थिति हो तो मामला अलग हो जाता हैं। अब सुक्खू सरकार के सामने क्या आपात काल परिस्थितियां हैं इसका खुलासा तो नहीं किया जा रहा है ।
कहा जा रहा है कि सुक्खू सरकार ने मुख्य सचिव आइएएस अधिकारी आर डी धीमान को सेवानिवृति से पहले ही नई नौकरी का इंतजाम कर दिया हैं। धीमान को जुलाई से खाली मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर ताजपोशी करने का इंतजाम कर दिया गया हैं। इस पद पर ताजपोशी करने के लिए मुख्यमंत्री,एक मंत्री व नेता प्रतिपक्ष को बैठक कर कोई फैसला लेना होता हैं। कहा जा रहा है कि इस बावत बीते दिनों एक बैठक कर ली गई। हालांकि इस बावत सार्वजनिक कुछ नहीं किया गया हैं।
कहा जा रहा है कि इसके लिए विधायकों को शपथ दिलाने व मंत्रिमंडल गठन करने से पहले ही प्रो टेम स्पीकर के जरिए ही जयराम ठाकुर को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता दिला दी गई।बडा सवाल यह है कि क्या केवल एक आइएएस अधिकारी जो मुख्य सचिव है और 31 दिसंबर को सेवानिवृत होना है उसके लिए सेवानिवृति से पहले ही नई नौकरी का इंतजाम करने के लिए सुक्खू सरकार ने प्रोटेम स्पीकर के जरिए जयराम को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दिला दी। यह पद पिछले छह महीने से खाली है। स्पीकर बनने,मंत्रिमंडल का गठन होने और विधायकों को शपथ दिलाने के बाद भी तो धीमान को राज्य का मुख्य सूचना आयुक्त लगाया जा सकता था।
उधर राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा है कि बेहतर होता अगर सुक्खू सरकार ने जयराम सरकार -में लंबित विभिन्न पदों के परिणामों की घोषणा करवाई होती। बीते दिनों ही उनसे युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल 2021 से लंबित अपनी नौकरियों के परिणाम को घोषित करवाने के लिए मिला। अच्छा होता अगर सुक्खू एक आइएएस अधिकारी को नौकरी देने से पहले इन युवाओं को नौकरी देते। आइएएस अधिकारियों के पास तो पहहे से ही अकूत साधन है। यह नहीं भूतपूर्व सैनिक के आश्रितों के जेबीटी के पदों के लिए अक्तूबर 2020 में जिला शिमला में काउसंलिंग हो गई थी । उनका परिणाम तब से लटका पडा है। कोई पूछने वाला भी नहीं हैं। इसी तरह और भी युवाओं के परिणाम लटके पडे हैं। कहा जा रहा है कि सुक्खू आइएएस अफसरों के मुख्यमंत्री होंगे या जनता और बेरोजगार युवाओं के मुख्यमंत्री ।
प्रो टेम स्पीकर के अधिकार व शक्तियों को लेकर नियम
विधानसभा की ओर से अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए नियमों में प्रो टेम स्पीकर का कहीं कोई जिक्र नहीं हैं। उनकी शक्तियों को लेकर भी कोई जिक्र नहीं हैं। लेकिन संवैधानिक परंपराओं के मुताबिक जब नई सरकार आती है तो सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रो टेम स्पीकर बना दिया जाता है और नए विधायकों को शपथ दिलाने का काम करता हैं। इसके बाद सदन स्पीकर व डिप्टी स्पीकर का चुनाव करते हैं।
इसके अलावा प्रो टेम स्पीकर के अधिकारों व शक्तियों को लेकर नियमों में कहीं कोई ज्यादा जिक्र नहीं हैं।प्रोटेम स्पीकर नेता प्रतिपक्ष को मान्यता दे सकते है या नहीं। स्पीकर तो नेता प्रतिपक्ष को मान्यता देते आए हैं लेकिन हिमाचल विधानसभा के इतिहास में संभवत: यह पहली बार हुआ है कि विधायकों को शपथ दिलाने और मंत्रिमंडल गठन से पहले ही नेता प्रतिपक्ष को प्रो टेम स्पीकर की ओर से मान्यता दे दी गई हो।
पूर्व स्पीकर व आधा दर्जन बार विधायक व मंत्री पद पर रहे गंगू राम मुसाफिर ने कहा कि उन्हें नहीं याद कि कभी प्रो टेम स्पीकर ने नए विधायकों को शपथ दिलाने के अलावा कहीं और जगहों पर अपनी शक्तियों का प्रयोग किया हो। लेकिन उन्होंने जोडा कि यह पहली बार है कि परिणाम घोषित होने के बाद विधायकों को शपथ दिलाने और मंत्रिमंडल के गठन में इतना बिलंब हुआ हो। इस तरह की परिस्थितियां पहली बार सामने आई हैं। संभवत: ऐसा पहली बार हुआ हैं।
याद रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी केंद्र की मोदी सरकार पर संविधान व संविधान की मूल भावना से छेडछाड करने के इल्जाम लगाते रहे हैं। सुक्खू सरकार की ओर से लिए जा रहे फैसले निश्चित तौर कांग्रेस के इन दोनों नेताओं की निगाह में तो आएंगे ही ।
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