शिमला। भाजपा के राषट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा के घर बिलासपुर में भाजपा की लाज बच पाएगी यह बडा सवाल है। नडडा ने इस बार बिलासपुर सदर से अपने चहेते त्रिलोक जम्वाल को मौजूदा भाजपा विधायक सुभाष ठाकुर को टिकट कटा कर भाजपा का टिकट दिलवाया था।यह बडा उल्टफेर था।नडडा अगर बिलासपुर सदर समेत जिला बिलासपुर की चारों सीटें भाजपा की झोली में डलवा पाएं तो उनका जलवा राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर बढ जाएगा। त्रिलोक जम्वाल का यह पहला चुनाव है और वह संगठन में बेहद सक्रिय रहे है।
मुख्यमंत्री कार्यालय में फिट करा दिए गए थे जम्वाल
त्रिलोक जम्वाल को नडडा ने मुख्यमंत्री कार्यालय में फिट करवा दिया था। उन्हें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का राजनीतिक सलाहकार बनाया गया था। इसके अलावा वह संगठन में पार्टी के महासचिव भी रहे थे। उनके पास दो-दो पद रहे थे। इसके बावजूद उन्हें टिकट भी दिया गया। इससे भाजपा के एक बडे तबके में गुस्सा भी था कि एक ही व्यक्ति को कई जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। जम्वाल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में रह कर लोगों के काम भी खूब करवाएं और विवादित भी नहीं हुए। लेकिन यह सबको मालूम था वह मुख्यमंत्री कार्यालय में नडडा के आदमी हैं।
बगावत में घिर गए हैं जम्वाल
भाजपा के मौजूदा विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काट दिए जाने के बाद त्रिलोक जम्वाल को टिकट तो दे दिया गया लेकिन इससे बिलासपुर भाजपा में रोष फैल गया। नडडा ने मौजूदा विधायक सुभाष ठाकुर को बागी नहीं होने दिया लेकिन भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य सुभाष शर्मा बागी होकर बतौर आजाद उममीवार मैदान में उतर गए। उनको मनाने के तमाम जतन विफल हो गए। नडडा के घर बिलासपुर में उनके करीबी उम्मीदवार त्रिलोक जम्वाल तिकोने मुकाबले में घिर गए हैं।
नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में
बिलासपुर सदर में भाजपा के बागी सुभाष शर्मा समेत नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। कांग्रेस ने यहां से हालीलाज कांग्रेस के बेहद करीबी बंबर ठाकुर को बिलासपुर कांग्रेस के कई बडे नेताओं के विरोध बावजूद चुनाव मैदान में उतरा है। ऐसे में अगर त्रिलोक जम्वाल अपना पहला ही चुनाव हार जाते है तो इससे भाजपा को तो नुकसान होगा ही साथ नडडा की साख पर भी आंच आएगी। इस सीट पर नडडा के अपने ही आमने –सामने हैं। यह नडडा की प्रतिष्ठा के हिसाब से भी बेहद महत्वपूर्ण सीट है और अगर भाजपा यह सीट हार जाती है तो नडडा प्रदेश में अपने विरोधियों के निशाने पर आ जाएंगे। वैसे भी प्रदेश में नडडा के विरोधी कम नहीं हैं। हालांकि पिछले पांच सालों में वह जयराम सरकार व संगठन के सहारे उन्हें हाशिए पर रखने में जरूर कामयाब रहे हैं।
ज्यादा मतदान खतरे की घंटी
बिलासपुर सदर में इस बार 76.48 फीसद मतदान हुआ है जो भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। हालांकि भाजपा ज्यादा मतदान का गुणा-भाग अपने हिसाब से कर रही है। भाजपा का मानना है कि उसका काडर उसी के साथ रहा है और जो भाजपा से नाराज थे वह बागी के पक्ष में मतदान करेंगे। इस तरह भाजपा से जुडे वोटरों का मत कांग्रेस को नहीं जाएगा। भाजपा, कांग्रेस और बागी के अलावा बाकी छह उम्मीदवार जो चुनाव मैदान में है वह कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंध लगाएंगे। जो भी हो इस सीट पर भाजपा की जीत और हार प्रदेश में नडडा के कद को तो जरूर ही प्रभावित करेगी।
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