शिमला। संघ के बड़े नेता इंद्रेश के सहारे जयराम सरकार में अपमानित होकर पार्टी के अध्यक्ष पद से निकाले गए राजीव बिंदल दोबारा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनने में कामयाब हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद ही धूमल ,अनुराग और बाकी नेता सुरेश कश्यप और जयराम ठाकुर के कुनबे को ठिकाने लगाने के अभियान पर थे।
इसके अलावा संघ के प्रतिनिधि व संगठन मंत्री पवन राणा को भी जयराम विरोधी खेमा एक अरसे से ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन संघ के राष्ट्रीय स्तर के कुछ बड़े नेताओं के सहारे राणा पार्टी में अपने कद से कहीं ज्यादा बड़े नेता बन गए थे। ऐसे में निगम चुनावों से पहले सुरेश कश्यप के साथ ही पवन राणा को भी ठिकाने लगा दिया गया हैं। बताया जा रहा है कि बाकियों का नंबर जल्द ही आएगा । जानकारी के मुताबिक बिंदल ने इंद्रेश का सहारा लिया और प्रदेश अध्यक्ष बन कर अपने अपमान का बदला ले लिया हैं। अब वह जयराम व उनके कुनबे के नेताओं के साथ क्या गेम खेलेंगे यह आने वाले दिनों में जगजाहिर होगा। हालांकि राजनीतिक खेल का पहला पड़ाव वह जीत चुके हैं।
जयराम सरकार में भ्रष्टाचार के मामले में अंगुली उठा दी गई थी
जयराम सरकार में जब बिंदल अचानक आलाकमान से गठजोड़ कर भाजपा अध्यक्ष बन गए थे तो स्वास्थ्य विभाग में एक घोटाला हो गया था और तत्कालीन स्वास्थ्य निदेशक स्वास्थ के एक आडियो वायरल हो गई थी। इस आडियों में निदेशक के साथ जिसकी आवाज थी उसे बिंदल का करीबी बताया गया था। इस तरह बिंदल विवादित हो गए थे व उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
नगर निगम चुनावों में अब सुक्खू कुनबा खतरे में
बिंदल के निगम निगम चुनावों से पहले भाजपाध्यक्ष बनने से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनका कुनबा खतरे में आ गया हैं। सुक्खू ने नगर निगम चुनावों में हालीलाज कांग्रेस को ठिकाने लगाने का काम किया हुआ हैं। हालीलाज कांग्रेस के कम ही प्रत्याशी निगम चुनावों में उतारे गए हैं। हालीलाज कांग्रेस की पूछ भी ज्यादा इन चुनावों में नहीं हो रही हैं।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह से लेकर रानी प्रतिभा सिंह और विधायक हरीश जनारथा तक सब सुक्खू की ओर से फेंकी गई राजनीतिक गोटियों के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। उधर निगम चुनावों में जयराम खेमा भी भाजपा की जीत के लिए कुछ ज्यादा नहीं कर रहा हैं। भाजपाइयों में अंदरूनी तौर पर जमकर घमासान मचा हुआ हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री सुक्खू शिमला नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा आसान समझ रहे थे लेकिन अब बाजी पलट गई हैं। ऐसे में जरा सी चूक भी सुक्खू के हाथ से निगम चुनावों की जीत खिसका सकती हैं। सुक्खू निगम चुनावों में अपनों लाडलों के सहारे ही आगे बढ़ रहे हैं।याद रहे सुक्खू पूर्व मुख्यमंत्री जयरम ठाकुर की तरह ही पार्टी सिंबल पर चुनाव कराने की चूक कर ही चुके हैं।
जबकि बिंदल चाहेंगे कि वह निगम पर भाजपा का कब्जा करा कर आलाकमान को अध्यक्ष बनाने का तोहफा दे दें। हालांकि यह आसान भी नहीं हैं। लेकिन अगर वह तमाम भाजपाइयों को एक करा पाए तो जीत नहीं तो मुकाबला कड़ा तो जरूर करा ही सकते हैं। यह दीगर है कि उप चुनावों में अर्की के प्रभारी थे व उससे पहले निगम चुनावों में सोलन के प्रभारी रहे थे व दोनों ही जगह भाजपा की हार हुई थी। लेकिन तब सरपरस्ती जयराम की थी।
जयराम की सरपरस्ती में खास नहीं रहा था कश्यप का कार्याकाल
भाजपा के सांसद व पूर्व अध्यक्ष सुरेश कश्यप को उनका कार्याकाल पूरा होने से पहले ही पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं। कश्यप नेता प्रतिपक्ष जयराम खेमे से व उनकी व जयराम की सरपरस्ती में भाजपा उप चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों तक तमाम चुनाव हार गए थे। उप चुनावों में तो में भाजपा चारों ही तीन विधानसभा व मंडी संसदीय हार गई थी।इससे पहले चार नगर निगमों के हुएचुनावों में भी अपनी सरकार होते हुए दो नगर निगम भाजपा हार गई थी। जबकि विधानसभा के चुनावों में पूरी मोदी सरकार के मैदान में उतरने के बावजूद शिमला संसदीय हलके की 17 सीटों में से भाजपा तीन ही सीटें जीत पाई थी। यह बुरी हार थी। यहां तक कि बिंदल खुद हार गए थे । कहा जा रहा है कि उन्हें घेर लिया गया था।यह सब तक हुआ था जब कांग्रेस में कोई बड़ा नेता व सशक्त टीम सामने थी ही नहीं ।
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