शिमला। प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों ,बोडो् व निगमों में तैनात हजारोें आउटसोर्स कर्मचारी आठ व नौ जनवरी को प्रदेश भसर में पूर्ण हड़ताल करेंगे। इसके अलावा इन कर्मचारियों ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने का भी एलान किया हैं।
वामपंथी संगठन सीटू के बैनर तले आउटसोर्स कर्मचारियों एक आज आयोजित एक दिवसीय अधिवेशन में यह फैसला लिया गया गया हैं।
संगठित होकर अपने हकों की लड़ाई लड़ने के लिए आज हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन के नाम से यूनियन का गठन किया गया और यशपाल को यूनियन का राज्याध्यक्ष यशपाल चूना गया हैं।
राज्याधिवेशन का उद्घाटन करते हुए सीटू नेता विजेंद्र मेहरा व जगत राम ने कहा कि प्रदेश में तैनात करीब 42 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों का कई सालों की नौकरी के बावजूद उनका शोषण जारी है। इन नेताओं ने आउटसोर्स प्रणाली को खत्म करके इन्हें नियमित करने की मांग की है। ठेकेदार बदलने पर मजदूरों को नौकरियों से निकाल दिया जा रहा है। इन कर्मचारियों के लिए श्रम कानूनों की पालना नहीं की जा रही है। यही नहीं सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए तय वेतन उन्हें नहीं दिया जा रहा है व ठेकेदार मजदूरों के वेतन के एक हिस्से की भी लूट कर रहे हैं। केवल लेबर सप्लाई करने के नाम पर प्रदेश सरकार की ओर से करोड़ों रुपये की कमीशन ठेकेदारों को दी जा रही है व दोनों की मिलीभगत से प्रदेश को करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है।
इस मौके पर यूनियन के नव निर्वाचित राज्याध्यक्ष यशपाल व राज्य महासचिव नोख राम ने प्रदेश व केंद्र सरकार पर आउटसोर्स कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। ये दोनों सरकारें न केवल सुप्रीम कोर्ट के समान कार्य के समान वेतन के निर्णय का खुला उल्लंघन कर रही हैं बल्कि इनके नियमितीकरण के लिए कोई पॉलिसी भी नहीं बना रही हैं। यशपाल ने कहा कि मौजूदा सरकार इन कर्मचारियों की 42 हजार की संख्या को केवल 8 हजार कहकर इनकी भूमिका व योगदान को कम करने की कोशिश कर रही है। इस से साफ है कि प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस दोनों ने आउटसोर्स कर्मचारियों को केवल ठगने का काम किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को कम से कम 18 हजार रुपए न्यूनतम वेतन दिया जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर शीघ्र आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण बन्द न हुआ व इनके नियमितीकरण के लिए पॉलिसी न बनी तो आउटसोर्स कर्मचारी सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चेबन्दी करेंगे व हल्ला बोलेंगे।
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